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Hindi News Explainers Explainer: आखिर कैसे बिगड़ गए पाकिस्तान और ईरान के रिश्ते, पहले दोनों थे कट्टर दोस्त; अब भारत से बढ़ी करीबी

Explainer: आखिर कैसे बिगड़ गए पाकिस्तान और ईरान के रिश्ते, पहले दोनों थे कट्टर दोस्त; अब भारत से बढ़ी करीबी

जिस ईरान ने पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक की है, कभी वह पाक का पक्का दोस्त था। दोनों देशों में भाई-भाई जैसा रिश्ता था। मगर वक्त का पहिया ऐसा घूमा कि धीरे-धीरे विभिन्न वजहों अब दोनों देश एक दूसरे के कट्टर दुश्मन हो गए। वहीं ईरान की करीबी इस बीच भारत के साथ बढ़ने लगी।

ईरान के राष्ट्रपति अनवर उल हक काकर और पाकिस्तान के कार्यवाहक पीएम अनवर उल हक काकर।- India TV Hindi Image Source : AP ईरान के राष्ट्रपति अनवर उल हक काकर और पाकिस्तान के कार्यवाहक पीएम अनवर उल हक काकर।

Explainer: पाकिस्तान और ईरान पहले कट्टर दोस्त हुआ करते थे। दोनों ही मुस्लिम देश हैं और इनमें भाई-भाई का रिश्ता था। यहां तक कि ईरान ने भारत-पाकिस्तान की जंग के दौरान 1965 और 71 में पाकिस्तान की पूरी मदद की थी। तमाम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी ईरान भारत के खिलाफ और पाकिस्तान के साथ खड़ा दिखता था। मगर आखिर ऐसा क्या हो गया कि कुछ ही वर्षों में दोनों देश एक दूसरे के जानी-दुश्मन हो बैठे? पाकिस्तान पर ईरान की एयर स्ट्राइक के बाद दुनिया इन दोनों देशों के रिश्तों में आए इस उतार-चढ़ाव की वजह जानने को आतुर है। ...तो आइए आपको बताते हैं कि अचानक कैसे और किस वजह से इन दोनों देशों के संबंध बिगड़ गए, किस कारण से ईरान और पाकिस्तान एक दूसरे के दुश्मन बन बैठे? ...और आखिर कैसे पाकिस्तान के दोस्त रहे ईरान की करीबी भारत के साथ बढ़ने लगी? 

पाकिस्तान और ईरान की दोस्ती में दरार आना तब शुरू हुई जब 1979 में ईरान में इस्लामिक क्रांति हुई। इसके बाद अफगानी जिहाद के दौरान पाकिस्तान का झुकाव सऊदी से प्रेरित इस्लाम के वहाबी स्वरूप की ओर हो गया। यहीं से दोनों देशों के बीच गलतफहमियां पलना शुरू हो गईं। बता दें कि पाकिस्तान की ज्यादातर आबादी सुन्नी मुसलमानों की है। जबकि ईरान में शिया मुसलमानों की संख्या ज्यादा है। शिया और सुन्नी दोनों ही मुस्लिम धर्म से जुड़े होने के बावजूद इनकी मान्यताओं और विचारधारा में काफी फर्क है। आमतौर पर सुन्नी कट्टरपंथियों में आते हैं, जबकि शिया मुस्लिम नरमपंथी कहे जाते हैं। शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच का असली विवाद सदियों पहले इस्लाम धर्म के प्रवर्तक पैगम्बर मोहम्मद की शिया मुसलमानों द्वारा हत्या कर दिए जाने के बाद शुरू हुआ। तब से शिया और सुन्नी समुदाय में दूरियां रहने लगी। 

1947 से पाकिस्तान का पक्का दोस्त था ईरान

ईरान और पाकिस्तान की दोस्ती पाक की आजादी के साथ जुड़ी है। भारत से पाकिस्तान जब 14 अगस्त 1947 को अलग हुआ तो पाकिस्तान को एक देश के तौर पर मान्यता देने वाला ईरान पहला देश था। ईरान और पाकिस्तान के बीच भाई-भाई जैसा रिश्ता था। दोनों देश भौगोलिक रूप से भी आपस में काफी गहराई से जुड़े हैं और 990 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं। वर्ष 1947 के बाद ईरान-पाकिस्तान के बीच कई मैत्रीय संधियां हुई। दोनों में दोस्ती इतनी प्रगाढ़ हो गई कि वह भारत के खिलाफ मिलकर एक जुट हो जाया करते थे। यहां तक की पाकिस्तान ने अपना पहला दूतावास भी ईरान में ही खोला था। 

ईरान ने भारत के खिलाफ जंग में पाकिस्तान को दिए थे बमवर्षक विमान

पाकिस्तान और ईरान की दोस्ती का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जब 1965 में भारत-पाकिस्तान के बीच जंग हुई तो ईरान ने पाकिस्तान को कई बमवर्षक विमान और युद्धक सामग्रियां दी थी। इसी तरह 1971 के भारत-पाक युद्ध में भी ईरान ने पाकिस्तान को पूर्ण राजनयिक और सैन्य समर्थन दिया। इतना ही नहीं, इसके बाद बलूचों ने जब पाकिस्तान के खिलाफ विद्रोह छेड़ा तो भी ईरान ने अपने दोस्त के लिए बलूचों के इस विरोध को दबाने में पूरी मदद की। बदले में पाकिस्तान के परमाणु वैज्ञानिकों ने ईरान में परमाणु कार्यक्रमों को विकसित करने में अपना योगदान दिया।

1979 से बदलने लगे रिश्ते

वर्ष 1979 से शुरू हुई गलतफहमियों के बावजूद दोनों देश के बीच संबंध उतना नहीं खराब हुए थे, जितना की अब 21वीं सदी में हो चुके हैं। पाकिस्तान और ईरान के रिश्ते आपसी मनमुटावों के बावजूद पहले सामान्य बने थे। मगर 1990 के दौर में जब पाकिस्तान में शिया और सुन्नी के बीच आपसी अंतर्कलह ने तेजी पकड़ी तो ईरान पर शियाओं को भड़काने का आरोप लगा। इससे भी दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने लगा। इसके अलावा लाहौर में ईरानी राजनयिक सादिक गंजी की हत्या और फिर वर्ष 1990 के दौरान पाकिस्तान ईरानी वायुसेना के कैडेटों की निर्मम हत्या से दोनों देशों की दुश्मनी और गहरी हो गई। पाकिस्तान और ईरान की अफगान में परस्पर विरोधी नीतियां भी दोनों देशों के बीच दुश्मनी की वजह बनीं। पाकिस्तान हमेशा तालिबानियों का समर्थक रहा। जबकि ईरान वहां की पूर्व सरकार का पक्ष लेता रहा था। इससे भी ईरान पाकिस्तान से खफा रहने लगा था। 2014 में ईरान के पांच सैनिकों को पाकिस्तान के आतंकी समूह जैश-उल-अदल ने अपहरण कर लिया। इसके बाद ईरान ने सैन्य कार्रवाई की चेतावनी दी थी। बाद में 4 रक्षकों को पाकिस्तानी आतंकियों ने वापस कर दिया और 1 को मार दिया। इससे विवाद बढ़ता गया।

वर्ष 2021 से पाकिस्तान-ईरान के संबंध फिर होने लगे थे सामान्य

विशेषज्ञों के अनुसार वर्ष 2021 से पाकिस्तान-ईरान के संबंध फिर से सामान्य होने लगे थे। दोनों देशों ने कई समझौते और संयुक्त सैन्य अभ्यास भी किए थे। द्विपक्षीय व्यापार भी बढ़ने लगा था। दोनों देशों ने बिजली वितरण की लाइन भी शुरू की थी। वर्ष 2023 में पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर ने ईरान का दौरा भी किया था। इससे दोनों देशों के संबंध फिर से सुधार की दिशा में थे। मगर पाकिस्तान आतंकियों पर शिकंजा नहीं कस पा रहा था। हाल में ईरान में हुए आतंकी हमले में भी पाक आतंकियों का हाथ होने की आशंका थी। इसलिए ईरान ने पाकिस्तान पर सरप्राइज अटैक कर दिया। इससे अचानक फिर से पाकिस्तान-ईरान के रिश्ते अब तनावपूर्ण हो गए। 

भारत-ईरान संबंध

पाकिस्तान और ईरान के साथ संबंध बिगड़ने के बाद भारत और ईरान के रिश्ते नए दौर में बदलने शुरू हो गए। भारत-ईरान के रिश्ते में सबसे बड़ी मजबूती तब से आनी शुरू हुई जब वर्ष 2001 में पूर्व पीएम अटल बिहारी बाजपेई ने ईरान की यात्रा की और कई अहम समझौते किए। अटल की तर्ज पर चलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी वर्ष 2016 में ईरान दौरे पर गए। इस दौरान दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में 12 से अधिक अहम समझौते हुए। फिर ईरान के तत्कालीन राष्ट्रपति रूहानी 2018 में भारत आए। इससे दोनों देशों के रिश्ते प्रगाढ़ होते गए। भारत-ईरान के संबंधों में उस वक्त और मजबूती आनी शुरू हुई जब समरकंद में पीएम मोदी और ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की वर्ष 2022 में पहली बार  मुलाकात हुई और दोनों में आपसी संबंधों को लेकर काफी सकारात्मक वार्ता हुई। 

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