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Hindi News भारत राष्ट्रीय नागरिकता (संशोधन) कानून नहीं है भारत के मुसलमानों के खिलाफ: नितिन गडकरी

नागरिकता (संशोधन) कानून नहीं है भारत के मुसलमानों के खिलाफ: नितिन गडकरी

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को कहा कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम भारत के मुसलमानों के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा कि नया कानून लाकर राजग सरकार मुसलमानों के साथ कोई नाइंसाफी नहीं कर रही है।

Nitin Gadkari- India TV Hindi Image Source : @NITIN_GADKARI Nitin Gadkari (File Photo)

नागपुर: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को कहा कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम भारत के मुसलमानों के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा कि नया कानून लाकर राजग सरकार मुसलमानों के साथ कोई नाइंसाफी नहीं कर रही है। गडकरी ने कांग्रेस पर ‘वोट बैंक की राजनीति’ के लिए ‘दुष्प्रचार’ करने का भी आरोप लगाया। वह यहां नये कानून के समर्थन में निकाली गयी रैली को संबोधित कर रहे थे। इस कानून में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान है। इस रैली का आयोजन एक स्थानीय संगठन ने किया जिसे भाजपा और राष्ट्रीय स्यवंसेवक संघ का समर्थन प्राप्त है। 

नितिन गडकरी ने कहा, ‘‘अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के धार्मिक अल्पसंख्यकों को इंसाफ देने के लिए सरकार द्वारा लिया गया यह निर्णय भारत के मुसलमानों के खिलाफ नहीं है। हम मुसलमानों को देश से बाहर भेजने की बात नहीं कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि सरकार की एकमात्र चिंता देश में रह रहे विदेशी घुसपैठियों की है। मंत्री ने कहा कि मुसलमानों को समझना चाहिए कि कांग्रेस उनके विकास में मदद नहीं कर सकती। उन्होंने कहा, ‘‘उसने (कांग्रेस ने) आपके लिए क्या किया है? मैं देश के मुस्लिम समुदाय से साजिश को समझने का अनुरोध करता हूं। आपका विकास भाजपा ही कर सकती है न कि कांग्रेस।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘ आप साइकिल रिक्शा चलाते थे, हमने आपको ई-रिक्शा दिया और आपको अपने पैरों पर खड़े होने में मदद दी। कांग्रेस आपको वोट मशीन समझती है ताकि वह उसके बाद शासन कर सके। इस दुष्प्रचार का शिकार न बनें।’’ गडकरी ने कहा, ‘‘हम सभी एक हैं, हमारी धरोहर एक है। आप मस्जिद जाते हैं, हम विरोध नहीं करते। हम सभी साथ रहेंगे और डॉ. बाबासाहब अंबेडकर के संविधान के अनुसार काम करेंगे। यही बात तो हम कह रहे है, नया कुछ कहां कह रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि 1947 से पहले अखंड भारत था, विभाजन के बाद मुहम्मद अली जिन्ना ने पाकिस्तान को मुस्लिम देश घोषित किया। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हमारे देश में, महात्मा गांधी के नेतृत्व में यह स्वीकार किया गया कि हमारा राष्ट्र हिंदू राष्ट्र नहीं होगा, बल्कि यह अपने देश के सभी समुदायों के लिए धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र होगा।’’ 

गडकरी ने कहा कि लेकिन जब यह तय किया गया था तब महात्मा गांधी से पूछा गया था कि पाकिस्तान जो एक मुस्लिम देश है और वहां 22 फीसद हिंदू, सिख, जैन, पारसी और ईसाई है, यदि उनके साथ नाइंसाफी और उत्पीड़न होगा तो वे कहां जायेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘तब गांधीजी ने जवाब दिया था कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को जब कभी सहयोग की जरूरत होगी, भारत उनका सहयोग करेगा।’’ उन्होंने कहा कि संविधान में यह लिखा है कि जब भी पाकिस्तान और अफगानिस्तान के हिंदू, सिख, जैन, पारसी और ईसाई भारत आयेंगे तो उन्हें शरणार्थी समझा जाएगा। गडकरी ने कहा, ‘‘आप पूछेंगे कि क्यों मुसलमानों को शरणार्थी नहीं कहा जाता है। डॉ.बी आर अंबेडकर ने उसे संविधान में स्पष्ट किया।’’

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश इस्लामिक राष्ट्र हैं और 100 से 150 ऐसे देश हैं जिन्होंने स्वयं को इस्लामिक या मुस्लिम देश घोषित किया है। उन्होंने कहा कि डॉ.अंबेडकर ने संविधान में कहा कि इन देशों के मुसलमान यदि अपना देश छोड़ते हैं तो उनके पास 100 से 150 विकल्प हैं और वे दुनिया के किसी भी मुस्लिम देश में शरण ले सकते हैं। गडकरी ने कहा, ‘‘लेकिन हिंदुओं, सिखों, भारतीय बौद्धों, ईसाइयों, जैनियों के पास जाने के लिए कोई देश नहीं है। हमारा देश सभी को गले लगाता है।’’

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