A
Hindi News भारत राष्ट्रीय यूएनजीए 2020 में दिया गया इमरान खान का भाषण 2019 के ही भाषण का था कॉपी

यूएनजीए 2020 में दिया गया इमरान खान का भाषण 2019 के ही भाषण का था कॉपी

संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में शुक्रवार को दिया गया पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का भाषण उनके पिछले साल के भाषण का ही कॉपी था।

Imran Khan - India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO Pakistan Prime Minister Imran Khan

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में शुक्रवार को दिया गया पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का भाषण उनके पिछले साल के भाषण का ही कॉपी था। खान के भाषण में इस बार भी 'भ्रष्ट कुलीन', पेड़ लगाने, इस्लामोफोबिया, आरएसएस, मोदी, कश्मीर की ही बातें शामिल थीं। इतना ही नहीं, खान का भाषण और उसे पढ़ने का प्रवाह और तरीका तक पिछले साल की तरह था। अगर इसमें कुछ नया था तो वह कोरोनावायरस की बातें थीं। इसके अलावा पिछले साल के भाषण का कुछ हिस्सा इस साल के भाषण में नहीं था।

इस बार खान ने पिछली बार की तरह महिलाओं और हिजाब का कोई उल्लेख नहीं किया। 2019 के भाषण में उन्होंने कहा था, "एक महिला कुछ देशों में अपने कपड़े उतार सकती है, लेकिन वह उसमें कुछ बढ़ा नहीं सकती? और ऐसा क्यों हुआ है? क्योंकि कुछ पश्चिमी नेताओं ने इस्लाम को आतंकवाद के साथ जोड़ लिया है।" उनके भाषण की कुछ लाइनें आंशिक रूप से संपादित थीं। उदाहरण के तौर पर 2019 में उन्होंने कहा था- "हमने पांच साल में एक अरब पेड़ लगाए। अब हमने 10 अरब पेड़ों का लक्ष्य रखा है।" वहीं 2020 में कहा -"हमने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए अगले तीन वर्षों में 10 अरब पेड़ लगाने का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम शुरू किया है।"

2019 में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अवधारणा को 'समझाया' था और कहा था "मुझे यह समझाना होगा कि आरएसएस क्या है। श्री मोदी आरएसएस के 'जीवनर्पयत सदस्य' हैं। यह हिटलर और मुसोलिनी से प्रेरित एक संगठन। वे उसी तरह नस्लीय श्रेष्ठता में विश्वास करते हैं जैसे नाजी आर्य नस्ल के वर्चस्व में विश्वास करते थे।" इस बार 'इस्लामोफोबिया' का संदर्भ लेकर कहा, "इसके पीछे का कारण आरएसएस की विचारधारा है जो दुर्भाग्य से आज भारत पर शासन कर रही है। इस चरमपंथी विचारधारा की स्थापना 1920 के दशक में की गई थी, आरएसएस के संस्थापक पिताओं ने नाजियों से प्रेरणा ली और नस्लीय शुद्धता-वर्चस्व की उनकी अवधारणाओं को अपनाया।"

ऐसी ही स्थिति कश्मीर के मामले में भी रही। पिछले साल कहा था, "जब हम सत्ता में आए तो मेरी पहली प्राथमिकता थी कि पाकिस्तान वह देश होगा जो शांति लाने की पूरी कोशिश करेगा। यही वह समय है जब संयुक्त राष्ट्र को भारत को कर्फ्यू हटाने के लिए कहना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र को कश्मीर के आत्मनिर्णय के अधिकार पर जोर देना चाहिए। पिछले 72 सालों से भारत ने कश्मीरी लोगों की इच्छा के विरुद्ध और सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन करते हुए जम्मू-कश्मीर पर अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है। अगर दो परमाणु देशों के बीच एक पारंपरिक युद्ध शुरू होता है.. तो कुछ भी हो सकता है।"

वहीं भारत ने शुक्रवार को पाकिस्तान को अपने जबाव में कहा, "पिछले 70 वर्षों में दुनिया को जो एकमात्र चीज दी है वह है आतंकवाद, कट्टरपंथ और कट्टरपंथी परमाणु व्यापार।" बता दें कि कश्मीर को लेकर प्रमुख प्रस्ताव के 47 वें नंबर के मुताबिक पाकिस्तान को कश्मीर से अपने सैनिकों और नागरिकों को वापस लेना है।

Latest India News