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Hindi News भारत राष्ट्रीय नक्सलियों ने जारी की अगवा कमांडो राकेश्वर सिंह की तस्वीर, रिहाई के लिए सड़क पर बैठा परिवार

नक्सलियों ने जारी की अगवा कमांडो राकेश्वर सिंह की तस्वीर, रिहाई के लिए सड़क पर बैठा परिवार

3 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सलियों के साथ CRPF के जवानों की मुठभेड़ हुई थी, जिसमें 22 जवान शहीद हो गए थे और नक्सलियों ने CRPF के कमाडों राकेश्वर सिंह मन्हास को अगवा कर लिया था।

Naxals release picture of CRPF Cobra Commando Rakesh Singh नक्सलियों के जारी की अगवा कमांडो राकेश्वर- India TV Hindi Image Source : SPECIAL ARRANGEMENTS नक्सलियों ने जारी की अगवा कमांडो राकेश्वर सिंह की तस्वीर, रिहाई के लिए सड़क पर बैठा परिवार 

नई दिल्ली. नक्सलियों ने 3 अप्रैल की मुठभेड़ के बाद CRPF के जिस कोबरा कमांडो को अगवा किया था, आज उसकी तस्वीर जारी की है। 3 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सलियों के साथ CRPF के जवानों की मुठभेड़ हुई थी, जिसमें 22 जवान शहीद हो गए थे और नक्सलियों ने CRPF के कमाडों राकेश्वर सिंह मन्हास को अगवा कर लिया था।

हालांकि बाद में नक्सलियों की तरफ से संदेश भेजा गया था कि कमांडो पुरी तरह सुरक्षित है और आज नक्सलियों ने कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास की तस्वीर जारी की है, तस्वीर में राकेश्वर सिंह मन्हास ताड़ के पत्तों से बनी झोपड़ी में बैठे हुए नजर आ रहे हैं। CRPF ने राकेश्वर सिंह मन्हास की तस्वीर की पुष्टि की है। इस तस्वीर में राकेश्वर सिंह पूरी तरह से स्वस्थ दिख रहे हैं। नक्सलियों ने कुछ ही समय पहले यह तस्वीर जारी की है। 

आज राकेश्वर सिंह की रिहाई के लिए CRPF के जवान राकेश्वर सिंह का मन्हास के परिवार द्वारा जम्मू में भी प्रदर्शन किया गया। उनका पूरा परिवार बड़ी संख्या में युवाओं के साथ जम्मू-अखनूर हाईवे पर बैठ गया। आपको बता दें कि कल जारी बयान में छत्तीसगढ़ में माओवादियों ने कहा है कि शनिवार को सुकमा और बीजापुर के सीमावर्ती क्षेत्र में मुठभेड़ के बाद से लापता सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन का एक जवान उनके कब्जे में है और उन्होंने जवान की रिहाई के लिए सरकार से मध्यस्थ नियुक्त करने की मांग की है।

माओवादियों ने स्वीकार किया है कि इस मुठभेड़ में उनके चार साथी भी मारे गए हैं। माओवादियों ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा कि तीन अप्रैल को सुरक्षा बल के दो हजार जवान हमला करने जीरागुडेम गांव के पास पहुंचे थे, इसे रोकने के लिए पीएलजीए ने हमला किया है। माओवादियों ने बयान में कहा है कि एक जवान को बंदी बनाया गया है। उन्होंने कहा है कि सरकार पहले मध्यस्थों के नाम की घोषणा करे इसके बाद बंदी जवान को सौंप दिया जाएगा, तब तक वह जनताना सरकार की सुरक्षा में रहेगा।

माओवादियों के दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प के नाम से जारी दो पृष्ठ के बयान में माओवादियों ने स्वीकार किया है कि इस मुठभेड़ में उनके चार साथी ओड़ी सन्नी, पदाम लखमा, कोवासी बदरू और नूपा सुरेश मारे गए हैं। उन्होंने कहा है कि वह महिला नक्सली सन्नी के शव को नहीं ले जा सके। माओवादियों ने बयान में कहा है कि मुठभेड़ के दौरान उन्होंने 14 हथियार, दो हजार से अधिक कारतूस और कुछ अन्य सामान जब्त किया है। बयान के साथ उन्होंने एक फोटो भी जारी की है जिसे लूटे गए हथियारों की फोटो बताया गया है।

दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी बस्तर क्षेत्र में कार्य करती है। माओवादियों ने इस कमेटी के अंतर्गत क्षेत्र में झीरम घाटी नक्सली हमले समेत बड़ी नक्सली घटनाओं को अंजाम दिया है। झीरम घाटी हमले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की मृत्यु हो गई थी। वहीं पुलिस ने कहा कि माओवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान सुरक्षा बलों के जवानों ने कम से कम 12 माओवादियों को मार गिराया। पुलिस ने इस दौरान एक महिला नक्सली का शव बरामद होने की जानकारी दी है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मुठभेड़ के बाद से 10 हथियार जिसमें सात एके 47 राइफल, दो एसएलआर और एक लाइट मशीन गन शामिल है, के बारे में जानकारी नहीं है।

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