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Hindi News भारत राष्ट्रीय विभिन्न राज्यों में 302 टन ऑक्सीजन पहुंचाई गई, 154 टन ऑक्सीजन रास्ते में है: रेलवे

विभिन्न राज्यों में 302 टन ऑक्सीजन पहुंचाई गई, 154 टन ऑक्सीजन रास्ते में है: रेलवे

रेलवे ने सोमवार को बताया कि 19 अप्रैल को मुंबई से विशाखापत्तनम के लिए खाली टैंकरों के साथ पहली ट्रेन के रवाना होने के बाद से भारत के विभिन्न राज्यों में 302 टन से अधिक ऑक्सीजन सुरक्षित पहुंचाई जा चुकी है और 154 टन ऑक्सीजन रास्ते में है। 

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नयी दिल्ली। रेलवे ने सोमवार को बताया कि 19 अप्रैल को मुंबई से विशाखापत्तनम के लिए खाली टैंकरों के साथ पहली ट्रेन के रवाना होने के बाद से भारत के विभिन्न राज्यों में 302 टन से अधिक ऑक्सीजन सुरक्षित पहुंचाई जा चुकी है और 154 टन ऑक्सीजन रास्ते में है। तरल चिकित्सीय ऑक्सीजन (एलएमओ) के चार टैंकरों के साथ एक ऑक्सीजन एक्सप्रेस के रायगढ़ (छत्तीसढ़) से मंगलवार सुबह पांच बजे दिल्ली कैंट स्टेशन पहुंचने की उम्मीद है।

महाराष्ट्र निवासियों के लिए (तीन टैंकर में) 44 टन ऑक्सीजन के साथ एक ट्रेन हापा (राजकोट, गुजरात) से सोमवार को कलंबोली (मुंबई के निकट) पहुंची। बोकारो (झारखंड) से (पांच टैंकरों में) 90 टन एलएमओ के साथ एक अन्य एक्सप्रेस ट्रेन के मंगलवार तड़के लखनऊ पहुंचने की उम्मीद है। रेलवे ने बताया कि ‘ऑक्सीजन एक्सप्रेस’ ट्रेन के हर टैंकर में करीब 16 टन चिकित्सीय ऑक्सीजन आ सकती है और यह ट्रेन 65 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती हैं। इस प्रकार की पहली ट्रेन 19 अप्रैल को रवाना हुई थी। 

ऑक्सीजन ऑक्सीजन टैंकरों के आवागमन को बाधित करना मानव जीवन को खतरे में डालने के समान: दिल्ली उच्च न्यायालय 

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कोविड-19 रोगियों के लिए प्राणवायु ले जा रहे टैंकरों के आवागमन को बाधित मानव जीवन को खतरे में डालने के समान है। इसने उम्मीद जताई कि राजस्थान सरकार दूसरे राज्यों में चिकित्सीय ऑक्सीजन ले जा रहे क्रायोजेनिक टैंकरों को नहीं रोकने के आदेश का सम्मान करेगी। ऑक्सीजन सिलेंडरों की कालाबाजारी और प्राणवायु से भरा एक सिलेंडर कथित तौर पर एक लाख रुपये में बेचे जाने जैसी खबरों पर अदालत ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए दिल्ली सरकार से कहा कि वह इस तरह के कृत्य में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करे। इसने दिल्ली सरकार से कहा कि गैस सिलेंडरों का वितरण उसका कार्य है और उसे ऑक्सीजन वितरण योजना बनानी चाहिए।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने ऑक्सीजन संकट पर करीब साढ़े तीन घंटे चली सुनवाई के दौरान कहा, ‘‘हमें आशा और उम्मीद है कि राजस्थान सरकार कोविड-19 के मरीजों के लिए दूसरे राज्यों में चिकित्सीय ऑक्सीजन ले जा रहे टैंकरों को नहीं रोकने के केंद्र सरकार और अदालत के आदेश का सम्मान करेगी। संकट की इस घड़ी में ऑक्सीजन आपूर्ति में किसी भी तरह की बाधा सैकड़ों लोगों का जीवन खतरे में डालने के समान होगी। इससे कोई उद्देश्य हासिल नहीं होगा।’’

पीठ ने कहा कि ऑक्सीजन टैंकरों को रोकने से खतरनाक स्थिति पैदा होगी। ऑक्सीजन संकट पर गत 19 अप्रैल से, यहां तक कि छुट्टियों के दिन भी मैराथन कार्यवाही करते रहे दोनों न्यायाधीशों ने कहा कि वे चाहते हैं कि वे कोरोना वायरस से जान गंवा रहे प्रत्येक व्यक्ति को बचा सकें। जब सरकारों, अस्पतालों और अन्य पक्षों के वकीलों ने स्थिति सुधारने में मदद करने के न्यायाधीशों के प्रयासों के लिए उनका धन्यवाद व्यक्त किया तो इन दोनों न्यायमूर्तियों ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि हम प्रत्येक जीवन को बचा सकें। हम चाहते हैं कि हम और अधिक कर सकें।’’

सुनवाई के दौरान दिल्ली को प्राणवायु (ऑक्सीजन) की आपूर्ति करनेवाली अग्रणी कंपनी इनोक्स ने कहा कि दिल्ली आ रहे उसके कुछ टैंकरों को राजस्थान सरकार ने रोक लिया जिन्हें अभी छोड़ा जाना है। केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा कि टैंकरों को रोकने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और इन्हें छोड़ा जाएगा। उन्होंने कार्रवाई के संबंध में कहा, ‘‘हम एक उदाहरण स्थापित करेंगे। आपको कोई नहीं रोक सकता। आप हमें राज्यों और अधिकारियों के नाम दें। हम कार्रवाई करेंगे।’’

अदालत ने कहा कि वह सॉलिसिटर जनरल की इस बात से सहमत नहीं है कि ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। इसने केंद्र को यह भी निर्देश दिया कि वह विदेश से आरटी-पीसीआर किट के आयात के लिए सीमाशुल्क मुद्दे संबंधी मंजूरी को वरीयता दे। अदालत ने केंद्र से लंबित आयात की संख्या और मंजूरी तथा संबंधित कारण के बारे में तीन दिन के भीतर सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट दायर करने को कहा। इसने यह भी उल्लेख किया कि दिल्ली सरकार ने ऑक्सीजन के लिए क्रायोजेनिक टैंकरों की आपूर्ति के संबंध में जेएसडब्ल्यू अध्यक्ष सज्जन जिंदल को एक पत्र भेजा था। ऑक्सीजन आवंटन के संबंध में अदालत ने कहा कि इस काम को केंद्र देख रहा है और राज्य इस बारे में सीधे विनिर्माताओं से नहीं पूछेंगे।

महाराजा अग्रसेन अस्पताल के वकील ने अदालत को सूचित किया कि ऑक्सीजन परिवहन में मदद की उनकी पेशकश को दिल्ली सरकार ने अनदेखा कर दिया। इस पर पीठ ने कहा, ‘‘आप रिकॉर्ड में संवाद करें और यदि राज्य सरकार ने इसे नजरअंदाज किया है तो यह अत्यंत गंभीर मामला है तथा हम श्री राहुल मेहरा (दिल्ली सरकार के वकील) से स्पष्टीकरण देने को कहेंगे एवं आदेश पारित करेंगे।’’ अदालत ने अस्पताल से कहा कि वह अपनी पेशकश के साथ मुख्य सचिव से संपर्क करे, ताकि ऑक्सीजन आपूर्ति के लिए टैंकर खरीदे जा सकें। पीठ को दिल्ली सरकार की ओर से यह भी सूचित किया गया कि वह 18 टैंकरों का आयात करने की प्रक्रिया में है जो जल्द पहुंचेंगे और चार नए टैंकर भी अन्य आपूर्तिकर्ता से आ रहे हैं।

उच्च न्यायालय ने ऑक्सीजन सिलेंडर भरने वाले पक्षों को सिलेंडर की गैर उपलब्धता और कालाबाजारी की शिकायत पर मंगलवार को होने वाली सुनवाई में उपस्थित रहने को कहा। पीठ ने कहा कि उसे सूचना मिली है कि ऑक्सीजन सिलेंडरों की कालाबाजारी की जा रही है और इन्हें ऊंचे दामों में बेचा जा रहा है। इसने दिल्ली सरकार को इस तरह के लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

अदालत ने कहा, ‘‘ऑक्सीजन सिलेंडर का वितरण आपका काम है। आपके पास शक्तियां हैं, उनका इस्तेमाल करिए। यदि कोई कालाबाजारी में शामिल है, उसके खिलाफ कार्रवाई करें। उन्हें हमारे सामने लाएं।’’ दिल्ली सरकार ने कहा कि कोई कार्रवाई करने से पहले उसे सिलेंडर भरने वालों से उनके द्वारा की गई प्रदायगी के बारे में सूचना प्राप्त करने की आवश्यकता होगी।

पीठ ने इसपर सिलेंडर भरने वालों को निर्देश दिया कि वे अस्पतालों और अन्य को अपने द्वारा उपलब्ध कराई गई ऑक्सीजन का ब्योरा उपलब्ध कराने के अदालत के पूर्व के आदेश का पालन करें। अदालत ने सुनवाई के दौरान मौजूद दिल्ली के मुख्य सचिव को ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ताओं, सिलेंडर भरने वालों और अस्पतालों के साथ बैठक कर वितरण योजना तैयार करने को कहा। पीठ ने कहा कि केंद्र ने जिस तरह पूरे देश के लिए एक ऑक्सीजन वितरण योजना पर काम किया है, दिल्ली सरकार भी राष्ट्रीय राजधानी के लिए उस तरह की योजना बना सकती है। अदालत कई अस्पतालों और अन्य द्वारा दायर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

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