दिवाली के एक दिन बाद शुक्रवार सुबह दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 403 मापा गया जो कि पिछले साल के एयर क्वालिटी इंडेक्स 445 की तुलना में कहीं बेहतर था। ऐसा तब हुआ जब सुप्रीम कोर्ट ने पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गई यह रोक 31 अक्टूबर तक प्रभावी रहेगी। दिवाली की रात बड़े पैमाने पर आतिशबाजी हुई लेकिन किसी के लिए भी इस बात की तुलना करना मुश्किल है कि पिछली दिवाली पर प्रदूषण ज्यादा था या इस दिवाली पर पटाखे कम चलने से प्रदूषण कम हो गया। क्योंकि हवा में जहर कितना है यह सबसे ज्यादा इस बात पर निर्भर करता है कि उस दिन मौसम कैसा है।
पिछली बार दिवाली के दिन ठंड ज्यादा थी और इस बार थोड़ी गर्मी थी। गर्मी में स्मॉग नहीं होता। इस बार दिवाली के दिन थोड़ा प्रदूषण कम रहा उसकी वजह यह भी है कि पिछली बार दिल्ली के आसपास के इलाकों में फसलें पूरी कट चुकीं थी और खेतों में पड़े पुआल को जलाया जा रहा था। इस बार दिवाली जल्दी आ गई तो फसलें भी पूरी नहीं कटीं हैं और पुआल जलाने के खिलाफ सरकार ने सख्ती की है। वहीं इस साल खेतों में पुआल जलाने से रोकने के लिए बड़े पैमाने पर जागरुकता अभियान भी चलाया गया।
दिल्ली के वायु प्रदूषण में अहम योगदान डीजल गाड़ियों से निकलनेवाली जहरीली गैसों (कार्सिनोजेनिक गैस) का भी है। नवंबर 2014 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों को बैन कर दिया था और पिछले महीने इस आदेश में संशोधन के लिए केंद्र सरकार की अपील भी खारिज कर दी थी। विशेषज्ञों के मुताबिक एक पुरानी डीजल गाड़ी 24 पेट्रोल गाड़ी या 36 सीएनजी (CNG) गाड़ियों के बराबर प्रदूषण फैलाती हैं। पटाखे तो साल में एक दिन चलते हैं जबकि डीजल की गाड़ियां तो हर रोज प्रदूषण फैला रही हैं। इसलिए यह मान लेना कि दिल्ली-एनसीआर में दिवाली के बाद वायु प्रदूषण कम रहा, सही नहीं है। क्योंकि अब तक डीजल गाड़ियों के चलाने पर कोई बड़ी रोक नहीं लगाई गई है। (रजत शर्मा)
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