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Hindi News भारत राष्ट्रीय पुरातत्त्ववेत्ता केके मोहम्मद ने कहा, अयोध्या फैसले पर पुनर्विचार याचिका से कोई फायदा नहीं होगा

पुरातत्त्ववेत्ता केके मोहम्मद ने कहा, अयोध्या फैसले पर पुनर्विचार याचिका से कोई फायदा नहीं होगा

पुरातत्त्ववेत्ता के के मोहम्मद ने रविवार को नागपुर में कहा कि अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने से मुस्लिम समुदाय को कोई फायदा नहीं मिलेगा।

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नागपुर: पुरातत्त्ववेत्ता के के मोहम्मद ने रविवार को नागपुर में कहा कि अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने से मुस्लिम समुदाय को कोई फायदा नहीं मिलेगा। आपको बता दें कि मोहम्मद उस दल का हिस्सा थे, जिसने अयोध्या में बाबरी मस्जिद स्थल पर खुदाई की थी। मोहम्मद ने ही सबसे पहले कहा था कि बाबरी मस्जिद स्थल पर खुदाई में जो अवशेष मिले हैं वह एक बेहद ही ‘भव्य मंदिर’ के थे। अयोध्या पर कोर्ट का फैसला आने के बाद मोहम्मद ने कहा था कि वहां फिर से मंदिर ही बनना चाहिए।

मोहम्मद रविवार को ‘भारतीय मंदिर: शोध एवं पुरातात्विक खोज’ पर व्याख्यान दे रहे थे। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने के निर्णय पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, ‘वे पुनर्विचार याचिका दायर करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इससे फायदा नहीं मिलेगा।’ साथ ही उन्होंने कुतुब मीनार और ताज महल के नीचे कोई मंदिर होने की बात खारिज की। गौरतलब है कि केके मोहम्मद हमेशा से ही अयोध्या में विवादित स्थल पर मंदिर होने का दावा करते हैं। 

कोर्ट के फैसले के बाद उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि वह खुद को 'दोषमुक्त' महसूस कह रहे हैं क्योंकि मंदिर की बात करने पर उनको कुछ समूहों की ओर धमकी दी गई थी। केके मोहम्मद केरल के कॉलीकट के रहने वाले हैं और 1976 में बने उस टीम की हिस्सा भी रहे हैं जिसने राम जन्म भूमि संबंधी पुरातात्विक खुदाई भी की थी। विवादित स्थल पर मंदिर होने की बात कहने पर मोहम्मद को विभागीय कार्रवाई का भी सामना करना पड़ा था, लेकिन उन्होंने कहा था कि झूठ बोलने के बजाए वो अपना फर्ज निभाते हुए मरना पसंद करेंगे। 

इससे पहले रविवार को जमीयत उलेमा-ए-हिंद और ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLP) ने अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने का फैसला किया। हालांकि, इस मामले के मुख्य वादी इकबाल अंसारी और सुन्नी वक्फ बोर्ड ने पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की कवायद से दूर रहने का फैसला किया है। (भाषा से इनपुट्स के साथ)

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