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Hindi News भारत राष्ट्रीय विराट, त्रिशूल और वज्र..., भारत ने दिखाई लड़ाकू ड्रोन्स की ताकत, देखें Video

विराट, त्रिशूल और वज्र..., भारत ने दिखाई लड़ाकू ड्रोन्स की ताकत, देखें Video

भारतीय सेना ने सोमवार को विजय दिवस से पहले अपने ड्रोन्स की ताकत दिखाई है। सेना ने विराट, त्रिशूल और वज्र समेत कई घातक कैटेगरी के ड्रोन्स का प्रदर्शन किया है।

india combat Kamikaze drones- India TV Hindi Image Source : REPORTER भारत के घातक ड्रोन्स।

दुनियाभर में जारी उथल पुथल के समय में रक्षा क्षेत्र में ड्रोन्स की अहमियत काफी बढ़ गई है। आधुनिक दौर के युद्ध में सेना के जवानों और लड़ाकू विमानों को खोने के बजाय ड्रोन की मदद से दुश्मनों के ठिकानों पर हमले किए जा रहे हैं। भारतीय सेना ने भी ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के ऊपर ड्रोन से हमले किए थे। पाकिस्तान ने भी भारत के तरफ ड्रोन छोड़े थे लेकिन भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने सभी पाकिस्तानी ड्रोन्स को तबाह कर दिया था। अब सोमवार को भारतीय सेना ने अपनी ड्रोन पॉवर का प्रदर्शन किया है।

भारतीय सेना ने दिखाई ड्रोन्स की ताकत

भारतीय सेना ने विजय दिवस के अवसर से एक दिन पहले सोमवार को अपने कई लड़ाकू ड्रोन्स का प्रदर्शन किया है। भारतीय सेना ने विराट, त्रिशूल और वज्र जैसे ड्रोन का भी प्रदर्शन किया है जो कि विस्फोटक ले जाकर दुश्मन के ठिकानों पर हमला करने, खुफिया जानकारी जुटाने या फिर दोनों काम करने में सक्षम हैं। इस अवसर पर भारतीय सेना ने कई सारे कामिकेज ड्रोन्स भी प्रदर्शित किए हैं।

Image Source : Reporterभारतीय सेना के ड्रोन।

क्या होते हैं कामिकेज ड्रोन्स?

कामिकेज कैटेगरी के ड्रोन को ‘आत्मघाती ड्रोन’ के रूप में जाना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये हथियारों का ऐसा सिस्टम है जो किसी टैरगेट एरिया के ऊपर मंडरा सकते हैं और हमला करने से पहले एक उपयुक्त टारगेट की तलाश करते हैं। रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के दौरान भी जमकर कामिकेज ड्रोन्स का इस्तेमाल किया गया है। इन ड्रोन्स की मदद से बड़ी संख्या में टैंक, मिसाइल डिफेंस सिस्टम, हथियार भंडार समेत कई ठिकानों को तबाह कर दिया गया है।

Image Source : Reporterभारतीय सेना के ड्रोन।

क्यों मनाया जाता है विजय दिवस?

भारत हर साल 16 दिसंबर की तारीख को विजय दिवस के रूप में मनाता है। दरअसल, विजय दिवस साल 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ हुए युद्ध में भारत की जीत के याद में मनाया जाता है। ये युद्ध 3 दिसंबर को शुरू हुआ था और 16 दिसंबर को ढाका में पाकिस्तान की पूर्वी सेना के सरेंडर के साथ खत्म हुआ था। इस युद्ध के परिणामस्वरूप बांग्लादेश के रूप में एक नए देश का जन्म हुआ था जिसे पहले पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था।

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