Monday, December 15, 2025
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जूनागढ़ का पाकिस्तान में विलय करना चाहता था नवाब, फिर सरदार पटेल ने उसे कैसे सिखाया सबक? कुत्तों संग था भागा

पूर्व उप प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री सरदार पटेल के कई ऐसे फैसले जो आज भी याद किए जाते हैं। भारत के लिए ये फैसले काफी अहम भी माने जाते हैं। इसी में से एक जूनागढ़ की रियासत का भी है, जो कि पटेल ने नवाब महाबत खान को पाकिस्तान भागने पर मजबूर कर दिया।

Edited By: Dhyanendra Chauhan @dhyanendraj
Published : Dec 15, 2025 11:59 am IST, Updated : Dec 15, 2025 12:17 pm IST
सरदार पटेल की भव्य मूर्ति- India TV Hindi
Image Source : PTI सरदार पटेल की भव्य मूर्ति

भारत के 'लौह पुरुष' सरदार वल्लभभाई पटेल की आज पुण्यतिथि है। ऐसे में एक बार फिर उनकी वह ऐतिहासिक भूमिका याद की जा रही है, जिसने स्वतंत्रता के बाद देश को टुकड़ों में बंटने से बचाया। खास तौर पर गुजरात की रियासत जूनागढ़ का भारत में विलय, पटेल की कूटनीति और दृढ़ता का उदाहरण है। 

जूनागढ़ को पाकिस्तान में मिलाने का किया गया था ऐलान

हिंदू बहुल इस रियासत को नवाब महाबत खान ने पाकिस्तान में मिलाने का फैसला किया था, लेकिन सरदार पटेल ने इसे न केवल रोका बल्कि जनता की इच्छा से भारत का अभिन्न अंग बना दिया। 1947 में आजादी के समय भारत में 562 रियासतें थीं। अधिकांश ने भारत में विलय स्वीकार कर लिया, लेकिन जूनागढ़ के नवाब महाबत खान ने 15 सितंबर 1947 को पाकिस्तान में शामिल होने की घोषणा कर दी। 

80 प्रतिशत थी हिंदू आबादी

जूनागढ़ रियासत की 80 प्रतिशत आबादी हिंदू थी और भौगोलिक रूप से यह पाकिस्तान से पूरी तरह अलग थी। नवाब के दीवान शाहनवाज भुट्टो (जुल्फिकार अली भुट्टो के पिता) ने इस फैसले में बड़ी भूमिका निभाई। पाकिस्तान ने 13 सितंबर को ही इस विलय को मंजूरी दे दी, जिससे विवाद गहरा गया।

रातों रात कुत्तों के साथ कराची भागे नवाब

सरदार पटेल, जो उस समय गृह मंत्री और उप प्रधानमंत्री भी थे। उन्होंने इसे भारत की एकता पर हमला माना। उन्होंने आर्थिक नाकेबंदी की और रियासत के आसपास के क्षेत्रों में भारतीय सेना तैनात की और जनता के विद्रोह को समर्थन दिया। इसके चलते जूनागढ़ में 'आरजी हुकूमत' (अस्थायी सरकार) का गठन हुआ और लोग सड़कों पर उतर आए। 25 अक्टूबर 1947 की रात को नवाब डरकर अपने कुत्तों और परिवार के साथ कराची भाग गए।

1848 में कराया गया जनमत संग्रह

इस तरह 9 नवंबर 1947 को भारतीय सेना ने जूनागढ़ पर कब्जा कर लिया। इसके बाद फरवरी 1948 में जनमत संग्रह हुआ, जिसमें 99.5 प्रतिशत लोगों ने भारत में विलय के पक्ष में वोट दिया। इस तरह जूनागढ़ भारत का हिस्सा बन गया। 

सरदार पटेल ने अन्य रियासतों को भी मिलवाया

सरदार पटेल की यह सफलता न केवल जूनागढ़ तक सीमित थी, बल्कि हैदराबाद और अन्य रियासतों के लिए भी मिसाल बनी। हाल ही में सरदार की 150वीं जयंती पर गुजरात में जूनागढ़ से एकता मार्च शुरू हुआ, जो उनकी विरासत को जीवंत रखने का प्रयास है।

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