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लोकसभा चुनाव के लिए AIADMK ने जारी की पहली लिस्ट, 16 उम्मीदवारों का किया ऐलान

अन्नाद्रमुक ने लोकसभा चुनाव के लिए अपने 16 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की है। सूची जारी करते हुए पार्टी महासचिव ने कहा कि डीएमडीके को पांच निर्वाचन क्षेत्र आवंटित किए गए हैं।

AIADMK उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी- India TV Hindi Image Source : ANI AIADMK उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी

लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। पहले फेज में 19 अप्रैल को होने वाले चुनाव के लिए आज से नामांकन प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। इस बीच, अन्नाद्रमुक (AIADMK) ने लोकसभा चुनाव के लिए अपने 16 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की है। यह लिस्ट पार्टी महासचिव एडप्पादी के पलानीस्वामी ने जारी की।

अन्नाद्रमुक ने चेन्नई दक्षिण सीट से जयवर्धन, उत्तरी चेन्नई से रोयापुरम मनोहरन, कृष्णागिरी से जयप्रकाश, इरोड से अतरल अशोक कुमार, चिदम्बरम से चन्द्रहासन, मदुरै से सरवनन, नमक्कल से तमिल मणि, थेनी सीट से वीडी नारायणसामी और नागपट्टिनम लोकसभा क्षेत्र से सुरजीत शंकर को उम्मीदवार बनाया है। इसके अलावा सलेम लोकसभा सीट विग्नेश, विल्लुपुरम से बक्कियाराज, अराक्कोनम से एएल विजयन को टिकट दिया है।

डीएमडीके को 5 सीटें आवंटित

सूची जारी करते हुए पार्टी महासचिव ने कहा कि डीएमडीके (DMK) को पांच निर्वाचन क्षेत्र आवंटित किए गए हैं। इसके अलावा पुथिया तमिलगम और एसडीपीआई को एक-एक लोकसभा सीटें दी गई है। पलानीस्वामी ने कहा, "एआईएडीएमके गठबंधन में  तेनकासी निर्वाचन क्षेत्र से डीएमडीएमके को 5 सीटों पर, एसडीपीआई को 1 सीट पर और पुथिया तमिलगम को 1 सीट पर चुनाव लड़ना है।"

"हमें विश्वास है कि हम मजबूत हैं"

उन्होंने आगे कहा, "हमें विश्वास है कि हम मजबूत हैं। हमें विश्वास है कि लोग हमारा समर्थन करेंगे। हमें इसकी परवाह नहीं है कि लोग सोशल मीडिया पर क्या बात करते हैं। हम लोगों के साथ गठबंधन में हैं।" अन्नाद्रमुक महासचिव ने यह भी कहा कि पार्टी पीएमके के साथ गठबंधन नहीं करने से निराश नहीं है, जो मंगलवार को भाजपा गठबंधन में शामिल हो गई थी।

NDA से अलग चुनाव लड़ रही है AIADMK

बता दें कि AIADMK ने इस बार लोकसभा चुनाव NDA से अलग लड़ने का फैसला किया है। पार्टी पिछले साल NDA से आधिकारिक तौर अलग हो गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, जिस समय AIADMK के नेता ई पलानीसामी और ओ पन्नीरसेल्वम के बीच विवाद हो गया था, इस दौरान बीजेपी ने खुद को प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल के तौर पर प्रोजेक्ट करना शुरू कर दिया था। इसी के बाद से दोनों सहयोगी दलों में मतभेद शुरू हो गए थे।

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