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जानिए, शिवलिंग पर शंख से जल क्यों नहीं चढ़ाया जाता

नई दिल्ली: हिन्दू धर्म में पूजा-पाठ का बहुत ही अधिक महत्व है कसी भी कार्य, परेशानी या कोई भी समस्या हो तो सबसे पहलें भगवान को याद किया जाता है जिसके लिए न जानें कितनें

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नई दिल्ली: हिन्दू धर्म में पूजा-पाठ का बहुत ही अधिक महत्व है कसी भी कार्य, परेशानी या कोई भी समस्या हो तो सबसे पहलें भगवान को याद किया जाता है जिसके लिए न जानें कितनें हवन, पूजा-पाठ करतें है जिससे कि घर में सुख- शांति आए। इसी तरह घर में या किसी भी धार्मिक स्थल में कोई पूजा होती है तो उसमें शंख का स्थान महत्वपूर्ण होता है। किसी भी देवी-देवता की पूजा की जाती है तो उन पर शंख से जल चढाया जाता है जिससे कि वह खुश हो जाए, लेकिन आप जानते है कि शिव जी की पूजा मं कभी भी शिवलिंग में शंख से जल नही चढ़ाया जाता है जिसके पीछें एक पौराणिक कथा है। इस बारें में विस्तार से शिवपुराण में बताया गया है। जानिए क्या कारण है शिवलिंग में जल न चढानें का।

शिवपुराण के अनुसार शंखचूड नाम का महापराक्रमी दैत्य हुआ। शंखचूड दैत्यराम दंभ का पुत्र था। दैत्यराज दंभ को जब बहुत समय तक कोई संतान उत्पन्न नहीं हुई तब उसने भगवान विष्णु के लिए कठिन तपस्या की और तप से प्रसन्न होकर विष्णु भगवान प्रकट हुए। विष्णु भगवान ने दंभ से वर मांगने के लिए कहा तब दंभ ने तीनों लोको के लिए अजेय एक महापराक्रमी पुत्र का वर मांगा। श्रीहरि तथास्तु बोलकर अंर्तध्यान हो गए। तब दंभ के यहां एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम शंखचूड़ पड़ा। शंखचुड ने पुष्कर में ब्रह्माजी के निमित्त घोर तपस्या की और उन्हें प्रसन्न कर लिया। ब्रह्मा ने वर मांगने के लिए कहा तब शंखचूड ने वर मांगा कि वो देवताओं के लिए अजेय हो जाए। ब्रह्माजी ने तथास्तु बोला और उसे श्रीकृष्णकवच दिया। साथ ही ब्रह्मा ने शंखचूड को धर्मध्वज की कन्या तुलसी से विवाह करने की आज्ञा दी और वहां से चलें गए।

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