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क्या वायरलेस हेडफोन के कारण हो सकता है कैंसर? जानें स्टडी

इंटरनेश्नल स्तर पर छपे इस आर्टिकल में 'द यूनिवर्सिटी आफ कोलोराडो के जैव रसायन विज्ञान के प्रोफेसर जेरी फिलिप्स, पीएचडी, का कहना है कि वह एयरपॉड्स को लेकर बहुत चिंचित हैं।

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हेल्थ डेस्क: आज के समय में हम इंटरनेट पर कितना ज्यादा निर्भर हो गए है यह बात हम अच्छी तरह से जानते है। लेकिन यह भूल गए कि हमारे आसपास कुछ ऐसी चीजे बी मौजूद है जो आपकी सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। जी हां अब बात वायरलेस हेडफोन जैसे एप्पल के ट्रेंडी एयरपॉड्स कैंसर के का कारण बन सकता है।

इंटरनेश्नल स्तर पर छपे इस आर्टिकल में 'द यूनिवर्सिटी आफ कोलोराडो के जैव रसायन विज्ञान के प्रोफेसर जेरी फिलिप्स, पीएचडी, का कहना है कि वह एयरपॉड्स को लेकर बहुत चिंचित हैं। क्योंकि ब्लूटूथ या इयरपॉड्स को कान के अंदर लगाने की क्रिया में ऊतकों को रेडियो-आवृत्ति विकिरण के अपेक्षाकृत उच्च स्तर तक उजागर करता है। जो किसी खतरे की घंटी से कम नहीं हैं।

इस आर्टिकल में ये बताया गया है कि फिलिप्स वायरलेस ब्लूटूथ उपकरणों के बारे में अपनी चिंताओं में अकेला नहीं है, संयुक्त राष्ट्र और विश्व स्वास्थ्य संगठन को संबोधित एक नए टैब में एक याचिका का हवाला देते हुए कहा गया है कि यह 40 से अधिक देशों के 250 शोधकर्ताओं द्वारा हस्ताक्षरित है।

शोध में कहा गया है कि यह सच है कि वायरलेस ब्लूटूथ हेडफ़ोन विकिरण का उत्सर्जन करते हैं। यह भी सच है कि एप्पल (Apple) ने पिछले साल अपने आइकॉनिक एयरपॉड्स के एक नए टैब में अनुमानित 28 मिलियन पेयरशिप लिंक खोले थे, और इस प्रकार के विकिरण की सुरक्षा पर दीर्घकालिक शोध का एक टन भी नहीं है।

हो सकता है इंफेक्शन
हेडफोन लगाकर गाने सुनने से आपको कान के संक्रमण का खतरा होता है। दरअसल जिन्हें गाने सुनने का शौक होता है वो हेडफोन या इयरफोन लगाकर ही अपने ज्यादातर काम करते हैं और कभी-कभी तो टॉयलेट में भी लोग हेडफोन लगाकर जाते हैं। इससे उनके हेडफोन और फोन पर हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस चिपक जाते हैं जो कानों में इंफेक्शन पैदा कर सकते हैं और कानों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसी तरह अगर आप अपना हेडफोन या इयरफोन कई लोगों के साथ शेयर करते हैं तो इससे भी आपके कानों में इंफेक्शन का खतरा होता है।

अगर सुनते है तेज आवाज में गाने
तेज आवाज में गाने सुनने से आपके सुनने की क्षमता वक्त के साथ कम हो सकती है। दरअसल ध्वनि हवा में कंपन्न से पैदा होती है और ये कंपन्न हमारे कान के पर्दों पर पड़ते हैं तो हमें शब्द या संगीत सुनाई पड़ता है। जब आप हेडफोन पर तेज आवाज में गाने सुनते हैं तो कान के पर्दों पर लगातार तेज आघात होता रहता है और आप बाहर की आवाज नहीं सुन पाते हैं। लगातार तेज आवाज में गाने सुनने से दिमाग तेज आघात को सहने की क्षमता विकसित कर लेता है जिसके बाद धीमे आघात को कई बार दिमाग पढ़ नहीं पाता और आप सामान्य आवाज नहीं सुन पाते हैं।

कोशिकाएं हमारे शरीर का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। तेज आवाज में गाने सुनने से कान के बेसिलर में मौजूद संवेदनशील कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है। हमारे दिमाग तक ध्वनि तरंगों को पहुंचाने के लिए एक नर्व होती है, जिसे कोचलियर नर्व कहते हैं। जब हम तेज आवाज में गाने सुनते हैं तो इससे इस नर्व को भी नुकसान पहुंचता है और हमारे दिमाग तक ध्वनि तरंगें ठीक तरह से नहीं पहुंच पाती हैं। दरअसल 75 डेसिबल से कम की आवाज हमारे कानों के लिए सुरक्षित मानी जाती है और 85 डेसिबल से ऊपर की आवाज हमारे कानों के लिए हानिकारक है। सामान्य बातचीत में हमारी आवाज का स्तर 55 से 60 डेसिबल होता है।

उम्र के साथ-साथ हमारे अंगों में भी कमजोरी आने लगती है। बुढ़ापे में हमारी मांसपेशियों, कोशिकाओं और हड्डियों में इतनी क्षमता नहीं रह जाती कि वो तेज आघात सह सकें। ऐसे में अगर आप तेज आवाज में संगीत सुनते हैं तो इससे नसों पर भी दबाव पड़ता है और आपका ब्लड प्रेशर प्रभावित हो सकता है। कई बार इसकी वजह से व्यक्ति को दिल का दौरा भी पड़ सकता है।

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