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15 मई को खोले जाएंगे बद्रीनाथ मंदिर के कपाट, जानिए किसे मिली है दर्शनों की अनुमति

15 मई को बद्रीनाथ मंदिर के द्वार खोले जाएंगे और मंदिर में मुख्य पुजारी सहित कुल 27 लोगों को अनुमति दी जाएगी।

बद्रीनाथ- India TV Hindi Image Source : TWITTER/KANANRANJIT बद्रीनाथ

हिंदू धर्म के पवित्र धामों में से एक बद्रानाथ के कपाट खिलने की तिथि सामने आ गई हैं।  समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार 15 मई को बद्रीनाथ मंदिर के द्वार खोले जाएंगे और मंदिर में मुख्य पुजारी सहित कुल 27 लोगों को अनुमति दी जाएगी। हालांकि उस समय मंदिर में श्रद्धालुओं का प्रवेश फिलहाल वर्जित रहेगा। कोरोना वायरस के संकट के चलते देश भर में लॉकडाउन जारी है। ऐसे में किसी भी धार्मिक स्थल पर श्रद्धालुओं के प्रवेश पर पाबंदी लगाई गई है। 

29 अप्रैल को सुबह सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर केदारनाथ मंदिर के द्वार खोल दिए गए थे। हालांकि मंदिर में भक्तों का प्रवेश बंद है। मंदिर में सुबह 3 बजे खास पूजा की गई थी इसके साथ ही अन्य महत्वपूर्ण काम किए गए थे। इसके पश्चात कपाट को खोल दिया गया था। 

हर साल बाबा केदार नाथ और बद्रीनाथ के दर्शन करने के लिए लाखों भक्त पहुंचते हैं। लेकिन ऐसा पहली बार होगा जब कपाट खुलने के समय दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में भक्त मौजूद नहीं रहेगे। कोरोना वायरस के कारण देश में लॉकडाउन है जिसके कारण भक्तगण बद्रीनाथ की पहली झलक देखने से वंजित हो जाएंगे। 


बद्रीनाथ के बारे में खास बातें

  • बद्रीनाथ के बारे में मान्यता है कि पहले यह पहले भगवान शिव का निवास हुआ करता था लेकिन बाद में भगवान विष्णु ने इसे मांग लिया था। 
  • मान्यता है कि बद्रीनाथ और केदारनाथ के कपाट खुलते समय जलते हुए दीपक खासी महत्व रखता है। यह दीपक 6 माह तक बंद दरवाजे के अंदर जलता रहता है। 
  • बद्रीनाथ को लेकर एक कहावत प्रचलित है कि 'जो जाए बदरी, वो ना आए ओदरी'। अर्थात जो व्यक्ति बद्रीनाथ के दर्शन कर लेता है, उसे पुन: उदर यानी गर्भ में नहीं आना पड़ता है। मतलब दूसरी बार जन्म नहीं लेना पड़ता है।
  • बद्रीनाथ उत्तर दिशा में मुख्य यात्राधाम माना जाता है। मन्दिर में नर-नारायण की पूजा होती है और अखण्ड दीप जलता है, जो कि अचल ज्ञानज्योति का प्रतीक है। यह भारत के चार धामों में प्रमुख तीर्थ-स्थल है। प्रत्येक हिन्दू की यह कामना होती है कि वह बद्रीनाथ का दर्शन एक बार अवश्य ही करे। यहां पर यात्री तप्तकुण्ड में स्नान करते हैं। यहां वनतुलसी की माला, चने की कच्ची दाल, गिरी का गोला और मिश्री आदि का प्रसाद चढ़ाया जाता है।

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