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Jagannath Yatra: जानें क्यों निकाली जाती है रथ यात्रा, क्या है इसका धार्मिक महत्व

ओडिशा के पुरी में गुरुवार (4 जुलाई) से रथ यात्रा शुरू हो गई है। ये रथ यात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जग्गनाथ पुरी से शुरू होती है। पुरी के अलावा गुजरात में भी ऐसी भव्य यात्रा का आयोजन होता है।

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ओडिशा के पुरी में गुरुवार (4 जुलाई) से रथ यात्रा शुरू हो गई है। ये रथ यात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जग्गनाथ पुरी से शुरू होती है। पुरी के अलावा गुजरात में भी ऐसी भव्य यात्रा का आयोजन होता है। रथयात्रा में शामिल होने के लिए देश-विदेश से लोग पहुंचते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सहित कई नेताओं ने देशवासियों को ट्वीट कर रथयात्रा की शुभकामनाएं दीं।

क्या है रथयात्रा

ऐसी मान्यता है कि इस यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, भगवान बालभद्र और देवी सुभद्रा जगन्नाथ मंदिर से रथ में बैठकर गुंडिचा मंदिर जाते हैं। गुंडिचा मंदिर को भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है।

ये उत्सव 10 दिन तक मनाया जाता है। इस यात्रा के दौरान भगवान जग्गनाथ को रथ पर बैठाकर पूरे शहर में भ्रमण कराया जाता है। रथयात्रा में सबसे आगे ताल ध्वज पर श्री बलराम, उसके पीछे पद्म ध्वज रथ पर माता सुभद्रा और सुदर्शन चक्र और अंत में गरुण ध्वज पर श्री जगन्नाथ जी सबसे पीछे चलते हैं।

इस यात्रा में तीन रथ होते हैं, जो लकड़ी के बने होते हैं। कहा जाता है कि इस रथ को जो खींचता है, उसे बहुत पुण्य मिलता है। आपको बता दें कि भगवान जग्गनाथ के रथ में 16 पहिए, बलराम के रथ में 14 पहिए और सुभद्रा के रथ में 12 पहिए लगे होते हैं।

हिंदू धर्म में इस यात्रा का बहुत महत्व है। इसका ज़िक्र स्कंद पुराण, नारद पुराण, पद्म पुराण और ब्रह्म पुराण में भी किया गया है।

ऐसे करें भगवान जग्गनाथ की पूजा

ये यात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से दशमी तक चलती है। इस समय उनकी पूजा से विशेष फल मिलता है। रथयात्रा में शामिल होकर पूजा करने से पुण्य मिलता है।

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