A
Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र Nag Panchami: अगर कुंडली में है कालसर्प दोष या सर्प दंश, तो इस विधि-विधाव से करें नाग देवता की पूजा

Nag Panchami: अगर कुंडली में है कालसर्प दोष या सर्प दंश, तो इस विधि-विधाव से करें नाग देवता की पूजा

नाग पंचमी के दिन सर्प दंश से मुक्ति पाने के लिये और कालसर्प दोष से छुटकारा पाने के लिये आपको किस प्रकार नागों की पूजा करनी चाहिए। जानिए आचार्य इंदु प्रकाश से इन उपायों के बारे में।

karsarp dosh - India TV Hindi Image Source : INSTAGRAM/#NAGPANCHAMI कालसर्प दोष दूर करने के उपाय 

श्रावण शुक्ल पक्ष की उदया तिथि पंचमी और शुक्रवार का दिन है। हर वर्ष श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाने का विधान है। लिहाजा शुक्रवार को नागपंचमी है। नागपंचमी श्रावण के महीने में पड़ने वाले महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। नागपंचमी के दिन नागों की पूजा करने का विधान है। नागपंचमी का ये त्योहार सर्पदंश के भय से मुक्ति पाने के लिये और कालसर्प दोष से छुटकारा पाने के लिये, राहू कृत पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए, मनाया जाता है।

अगर आपको भी इस तरह का कोई भय है या आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है या आप राहू से पीड़ित हैं,  तो उससे छुटकारा पाने के लिये आज के दिन आपको इन आठ नागों की पूजा करनी चाहिए । 

वासुकि
तक्षक
कालिय
मणिभद्र
ऐरावत
धृतराष्ट्र
कर्कोटक

आज के दिन सर्प दंश से मुक्ति पाने के लिये और कालसर्प दोष से छुटकारा पाने के लिये आपको किस प्रकार नागों की पूजा करनी चाहिए। जानिए आचार्य इंदु प्रकाश से इन उपायों के बारे में। 

जानें आपकी कुंडली में सर्पदोष है या नहीं? 

प्रत्येक जन्म पत्रिका में राहु से केतु सातवें खाने में होता है और काल सर्प दोष का मतलब है सारे ग्रहों का राहु और केतु के एक ही तरफ होना। अतः आपकी जन्मपत्रिका में ऐसी स्थिति बन रही है तो आपको आज नागपंचमी की पूजा जरूर करनी चाहिए। लेकिन यहां आपको एक और बात ध्यान में रखना जरूरी है कि अगर आपकी पत्रिका में कालसर्प दोष नहीं है, तब भी आपको आज दिशाओं के क्रम में नागों की पूजा जरूर करनी चाहिए । क्योंकि राहु तो सभी की जन्मपत्रिका में होता है। लिहाजा कालसर्प दोष हो या न हो, राहु कृत पीड़ा की शान्ति के लिये दिशाओं के सही क्रम में पूजा करना सभी के लिए फायदेमन्द साबित होगा।  

सर्प दंश और काल सर्प दोष से छुटकारा पाने के लिए ऐसे करें पूजा

राहु सर्प का मुख है और केतु सर्प की पूंछ है। चूंकि पूजन मुख में करना उचित है लिहाजा आपको ये देखना है कि आपकी जन्म पत्रिका के किस खाने में राहु बैठा हुआ है और फिर उसी के अनुसार सही दिशा में नाग पंचमी की पूजा करनी है। सबसे पहले  आपको एक वर्ग बनाना हैं। इस वर्ग के अनुसार, ईशान कोण, यानी उत्तर-पूर्व दिशा में वासुकि नाग की पूजा करनी चाहिये, पूर्व में तक्षक की, दक्षिण-पूर्व में कालिय की, दक्षिण में मणिभद्र की, दक्षिण-पश्चिम में ऐरावत की, पश्चिम में धृतराष्ट्र की, उतर-पश्चिम में कर्कोटक की। 

  • अगर आपकी जन्म कुण्डली में राहु लग्न में है, तो आप अपने घर की पूर्व दिशा में नाग पंचमी की पूजा कीजिये। लेकिन सबसे पहले वासुकि की पूजा ईशान कोण में कीजिये, फिर तक्षक, फिर कालिय और सबसे अन्त में धनंजय की पूजा कीजिये। 
  • अगर आपकी जन्म पत्रिका में राहु दूसरे खाने में है, तो घर की पूर्व दिशाजहां उत्तरी दिशा से मिलती है, वहां नाग पूजा कीजिये। लेकिन सबसे पहले वासुकि से शुरू कर तक्षक, कालिय, मणिभद्र, ऐरावत, ध्रतराष्ट्र, ककोर्टक और फिर धनंजय की पूजा कीजिये। 
  • यदि राहु आपकी जन्म पत्रिका के तीसरे स्थान पर है, तो घर की उत्तरी दिशाजहां पूर्व दिशा को छूती है, वहां नाग पूजन कीजिये। लेकिन सबसे पहले वासुकि से शुरू करके क्रमश: तक्षक, कालिय, मणिभद्र, ऐरावत, ध्र्तराष्ट्र और ककोर्टक और फिर धनंजय का पूजन करें।  
  • यदि आपकी जन्म पत्रिका में राहु पांचवें स्थान पर हैं, तो घर की उत्तरी दिशा जहां पश्चिम को घूती हो वहां पर नाग पूजन करें। लेकिन सबसे पहले वासुकि का, उसके बाद ककोर्टक का पूजन करें, फिर धनंजय, तक्षत्र, कालिय, माणिभद्र, एरावत और आखिर में ध्रतराष्ट्र का पूजन करें। 
  • यदि राहु आपकी जन्म पत्रिका के छठें घर में हो, तो घर की पश्चिम दिशा। जहां पर उत्तर दिशा को छूती हो वहां पर नागपूजा करें। लेकिन, सबसे पहले वासुकि, फिर ककोर्टक, फिर धनंजय, फिर तक्षक, कालिय, मणिभद्र व ऐरावत और ध्रतराष्ट्र का पूजन करें।  
  • यदि जन्म पत्रिका के सातवें खाने में राहु हो तो घर की पश्चिम दिशा में नागपूजा करें। लेकिनसबसे पहले वासुकि, फिर ध्रतराष्ट्र, ककोर्टक, धनंजय, कालिय, मणिभद्र व ऐरावत का पूजन करें
  • यदि राहु आपकी जन्म पत्रिका के आठवें खाने में हो तो, घर की पश्चिम दीवार। जहां दक्षिणी दिशा को स्पर्श करती हो वहां पर नागपूजा करनी चाहिए। सबसे पहले वासुकि, फिर ऐरावत, तब ध्रतराष्ट्र, ककोर्टक, धनंजय, तक्षक, कालिय और मणिभद्र का पूजन करना चाहिये। 

Latest Lifestyle News