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Hindi News पैसा बिज़नेस जीडीपी ग्रोथ आने वाली तिमाहियों में 8 फीसदी से अधिक होगी: पनगढि़या

जीडीपी ग्रोथ आने वाली तिमाहियों में 8 फीसदी से अधिक होगी: पनगढि़या

बेहतर मानसून, तेज सुधार और केन्द्र में समय पर निर्णय होने से भारत की जीडीपी ग्रोथ दर इस वित्त वर्ष की आने वाली बाकी तिमाहियों में 8 प्रतिशत से ऊपर होगी।

जीडीपी ग्रोथ आने वाली तिमाहियों में 8 फीसदी से अधिक होगी: पनगढि़या- India TV Paisa जीडीपी ग्रोथ आने वाली तिमाहियों में 8 फीसदी से अधिक होगी: पनगढि़या

नई दिल्ली। बेहतर मानसून, तेज सुधार और केन्द्र में समय पर निर्णय होने से भारत की आर्थिक ग्रोथ दर इस वित्त वर्ष की आने वाली बाकी तिमाहियों में 8 प्रतिशत से ऊपर होगी। यह अनुमान नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढि़या लगाया है।

पनगढि़या ने कहा, मुझे पूरा विश्वास है कि यह (जीडीपी आंकड़े) आने वाली तिमाहियों के दौरान 8 प्रतिशत के आंकड़े से ऊपर होगी। इस बारे में और विस्तार से उन्होंने कहा, ऐसा इसलिये होगा कि सुधारों का भी प्रभाव होगा। इसके अलावा मानसून भी बेहतर रहा है। हमें अभी तक इसका असर नहीं दिखा है (सुधारों का असर)। इससे पहले राजकाज संचालन के मामले में भी गंभीर मुद्दे थे। परियोजनाओं पर काम रका हुआ था। केन्द्र में फैसले नहीं हो रहे थे।

इसलिए अर्थव्यवस्था पकड़ेगी रफ्तार

  • चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) के दौरान खनन, निर्माण और कृषि क्षेत्र ने किय कमजोर प्रदर्शन।
  • इसके कारण देश की आर्थिक ग्रोथ छह तिमाहियों में सबसे कम 7.1 प्रतिशत पर पहुंच गई।
  • पिछले साल की आखिरी तिमाही जनवरी से मार्च के दौरान आर्थिक ग्रोथ 7.9 प्रतिशत रही।
  • पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक ग्रोथ 7.5 प्रतिशत रही थी।
  • पनगढि़या ने माना कि पहली तिमाही में 7.1 प्रतिशत ग्रोथ कुछ कम रही है।

पनगढि़या ने कहा, यह (अप्रैल-जून की जीडीपी ग्रोथ) मेरी उम्मीदों से कुछ कम रही है। पहली तिमाही के आंकड़ों में अच्छे मानसून का असर शामिल नहीं है।

रिकॉर्ड स्तर पर खाद्यान्न उत्पादन

  • खाद्यान्न उत्पादन इस साल खरीफ सीजन के दौरान 9 प्रतिशत रहने का अनुमान।
  • देश में उत्पादन रिकॉर्ड 13.50 करोड़ टन तक पहुंचने की संभावना।
  • बेहतर मानसून की बदौलत इस बार चावल और दालों का उत्पादन अच्छा रहने की उम्मीद है।
  • पिछले साल के खरीफ मौसम में खाद्यान्न उत्पादन 12.40 करोड़ टन रहा था।
  • दालों का उत्पादन ज्यादा होने से इसकी खुदरा कीमतें भी कम होंगी।

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