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फ्लेक्स-फ्यूल इंजनों को लेकर आठ से 10 दिन में फैसला ले लिया जाएगा: नितिन गडकरी

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने रविवार को कहा कि सरकार ऑटोमोबिल उद्योग के लिए फलेक्स-फ्यूल इंजनों को अनिवार्य करने पर विचार कर रही है और अगले आठ से 10 दिनों में इन इंजनों को लेकर फैसला ले लिया जाएगा।

फ्लेक्स-फ्यूल इंजनों को लेकर आठ से 10 दिन में फैसला ले लिया जाएगा: नितिन गडकरी- India TV Paisa Image Source : PTI फ्लेक्स-फ्यूल इंजनों को लेकर आठ से 10 दिन में फैसला ले लिया जाएगा: नितिन गडकरी

नयी दिल्ली: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने रविवार को कहा कि सरकार ऑटोमोबिल उद्योग के लिए फलेक्स-फ्यूल इंजनों को अनिवार्य करने पर विचार कर रही है और अगले आठ से 10 दिनों में इन इंजनों को लेकर फैसला ले लिया जाएगा। उन्होंने साथ ही कहा कि इस कदम से किसानों को मदद और भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। 

गडकरी ने रोटरी जिला सम्मेलन 2020-21 को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संबोधित करते हुए कहा कि वैकल्पिक ईंधन इथेनॉल की कीमत 60-62 रुपए प्रति लीटर है जबकि देश के कई हिस्सों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपए प्रति लीटर से ज्यादा है। इसलिए इथेनॉल के इस्तेमाल से देश के लोग 30-35 रुपए प्रति लीटर की बचत करेंगे। उन्होंने कहा, "मैं परिवहन मंत्री हूं, मैं उद्योग के लिए आदेश जारी करने जा रहा हूं कि केवल पेट्रोल से चलने वाले इंजन नहीं होंगे, हमारे पास फ्लेक्स-फ्यूल इंजन होंगे। लोगों के पास विकल्प होगा कि वे 100 प्रतिशत कच्चा तेल या 100 प्रतिशत इथेनॉल में किसका इस्तेमाल करें।" 

मंत्री ने कहा, "मैं आठ से 10 दिनों में फैसला लूंगा और हम इसे (फ्लेक्स-फ्यूल इंजन) ऑटोमोबिल उद्योग के लिए अनिवार्य कर देंगे।" उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि ब्राजील, कनाडा और अमेरिका में ऑटोमोबिल कंपनियां फ्लेक्स-फ्यूल इंजन का उत्पादन कर रही हैं जिससे ग्राहकों को 100 प्रतिशत पेट्रोल या 100 प्रतिशत जैव-इथेनॉल के इस्तेमाल का विकल्प उपलब्ध कराया जा रहा है। 

फ्लेक्स-फ्यूल इंजन एक से ज्यादा ईंधन से चलने वाला इंजन होता है। इसमें आमतौर पर इथेनॉल या मिथेनॉल ईंधन के मिश्रण वाले पेट्रोल का इस्तेमाल किया जाता है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि 20 प्रतिशत इथेनॉल को पेट्रोल में मिलाने का लक्ष्य हासिल करने की समयसीमा पांच साल पीछे कर 2025 कर दी गयी है। इसका मकसद प्रदूषण को कम करना और आयात पर निर्भरता को घटाना है। पहले 2030 तक 20 प्रतिशत इथेनॉल के मिश्रण का लक्ष्य रखा गया था। गडकरी ने कहा कि इथेनॉल पेट्रोल से ज्यादा बेहतर ईंधन है और यह आयात का विकल्प है, लागत प्रभावी है, प्रदूषण मुक्त है तथा स्वदेशी है। 

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