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Hard Way: सरकारी बैंकों का 59,000 करोड़ रुपए नहीं देने के मूड में डिफॉल्टर्स

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया समेत देश के तमाम सरकारी बैंकों का करीब 59,000 करोड़ रुपए डिफॉल्टर्स के पास फंसा है।

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नई दिल्ली। बैंकों के एनपीए लगातार बढ़ रहे है। वहीं, डिफॉल्टर्स सरकारी बैंकों का पैसा लौटाने के मूड में नजर नहीं आ रहे है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया समेत देश के तमाम सरकारी बैंकों का करीब 59,000 करोड़ रुपए कर्ज धारकों के पास फंसा है। कुल 7035 डिफॉल्टर्स है जो बैंकों का पैसा जानबूझकर नहीं चुकाना चाहते हैं। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और सेंट्रल बैंक आफ इंडिया के ऐसे खाताधारकों की संख्या सबसे अधिक है।

एसबीआई और इसके पांच सहयोगी बैंकों के जानबूझकर कर्ज नहीं चूकाने वालों की संख्या 1,628 है, जिनके पास 31 मार्च, 2015 तक 16,834 करोड़ रुपए बकाया है। सेंट्रल बैंक आफ इंडिया के डिफॉल्टर लिस्ट में 722 लोग है, जिसके बाद यूनियन बैंक आफ इंडिया (643) और केनरा बैंक(612) का स्थान है।

कुल राशि के लिहाज से नेशनल बैंकों में पंजाब नेशनल बैंक का स्थान पहला है जिसके 410 खातों में 7,282.25 करोड़ रुपए का बकाया है। पिछले वित्त वर्ष के अंत तक पीएनबी के बाद सेंट्रल बैंक आफ इंडिया का स्थान है, जिसका बकाया कर्ज 4,428.62 करोड़ रुपए है। ओरियंटल बैंक आफ कामर्स के 382 खातों पर 3,877.44 करोड़ रुपए का बकाया है। जहां तक यूको बैंक का सवाल है कि उसके 594 खातों पर 3,677.08 करोड़ रुपए बकाया है।

वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि ऐसे 75 फीसदी मामलों में बैंकों ने वित्तीय परिसंपत्तियों का प्रतिभूतिकरण एवं पुनर्गठन और प्रतिभूति हित के प्रवर्तन (सरफेसी) अधिनियम के तहत बैंकों ने कार्रवाई शुरू की है।

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