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स्वर्ण आभूषणों को लेकर सरकार ने लिया बड़ा फैसला, 15 जनवरी 2021 से हॉलमार्क होगा अनिवार्य

उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने शुक्रवार को कहा कि सरकार स्वर्ण आभूषणों और कलाकृतियों के लिये हॉलमार्क (गुणवत्ता की मुहर) की व्यवस्था 15 जनवरी 2021 से अनिवार्य करेगी।

Hallmarking to be mandatory for gold jewellery from 2021 । File Photo - India TV Paisa Image Source : GOLD DECLINES RS 166 ON W Hallmarking to be mandatory for gold jewellery from 2021 । File Photo  

नयी दिल्ली। उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने शुक्रवार को कहा कि सरकार स्वर्ण आभूषणों और कलाकृतियों के लिये हॉलमार्क (गुणवत्ता की मुहर) की व्यवस्था 15 जनवरी से अनिवार्य करेगी। इस पहल का मकसद आभूषण और कलाकृतियों की गुणवत्ता सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में अधिसूचना अगले साल 15 जनवरी 2020 को जारी की जाएगी और एक साल बाद निर्णय प्रभाव में आएगा।

इसके तहत सभी जौहरियों के लिये भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के पास पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा तथा वे केवल हॉलमार्क स्वर्ण आभूषण तथा कलाकृति ही बेच सकेंगे। सोने की हॉलमार्किंग एक गुणवत्ता प्रमाणपत्र है और फिलहाल यह स्वैच्छिक है। बीआईएस अप्रैल 2000 से स्वर्ण आभूषण के लिए हॉलमार्किंग योजना चला रही है और फिलहाल 40 प्रतिशत सोने की हॉलमार्किंग की जा रही है। 

पासवान ने यहां संवाददाताओं से कहा, 'हम देश में स्वर्ण आभूषणों और कलाकृतियों पर हॉलमार्किंग अनिवार्य कर रहे हैं। हम अगले साल 15 जनवरी को अधिसूचना जारी करेंगे। इसे क्रियान्वयन के लिए एक साल की मोहलत दी जाएगी। यह 15 जनवरी 2021 से अधिक होगा।' उन्होंने कहा, 'जौहरियों तथा खुदरा कारोबारियों को अपने बिना हालमार्क का पुराना माल बेचने के लिए एक साल की मोहलत दी जाएगी।' पासवान ने कहा कि यह निर्णय खासकर छोटे शहरों और गांवों के उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिये किया गया है। मंत्री ने स्पष्ट किया, 'हम उन स्वर्ण आभूषणों को नहीं छू रह रहे हैं जो ग्राहकों के पास पड़े। स्वर्णकार आम तौर पर पुराने आभूषण को गलाकर आभूषण बनाते हैं।' 

भारतीय मानक ब्यूरो ने 14 कैरेट, 18 कैरेट और 22 कैरेट के सोने के आभूषणों के लिये मानक तैयार किया है। पासवान ने कहा कि सरकार खुदरा व्यापारियों के लिये इन तीनों स्तर के गुणवत्ता वाले आभूषणों के दाम अपनी दुकानों में दर्शाने को अनिवार्य कर सकती है। नियम का उल्लंघन करने पर जुर्माने के बारे में पूछे गये सवाल के जवाब में बीआईएस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि न्यूनतम एक लाख रुपये और वस्तु के मूल्य का पांच गुना तक जुर्माने के साथ एक साल जेल का प्रावधान है। फिलहाल 234 जिलों में 877 आकलन और हॉलमार्किंग केंद्र है और 26,019 जौहरियों ने बीआईएस पंजीकरण कराया है। 

उन्होंने कहा, 'हमारा एक साल में देश के सभी जिलों में हॉलमार्किंग केंद्र खोलने और सभी जौहरियों के पंजीकरण का लक्ष्य है।' इसको लेकर व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जएगा। पासवान ने कहा कि स्वर्ण आभूषण को लेकर अनिवार्य हॉलमार्किंग के लिये गुणवत्ता नियंत्रण आदेश डब्ल्यूटीओ की वेबसाइट पर 10 अक्टूबर 2019 को डाली जाएगी। इस पर 60 दिन के भीतर टिप्पणी की जा सकती है।

विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के व्यापार नियमों के अनुसार सदस्य देश को गुणवत्ता नियंत्रण आदेश को जिनेवा स्थित बहुपक्षीय निकाय को अधिसूचित करना होता है और प्रक्रिया में दो महीने का समय लगता है। निर्यातक देशों को सोने के लिये विशेषीकृत बीआईएएस गुणवत्ता नियमों का अनुपालन करना होता है। भारत 1995 से डब्ल्यूटीओ से जुड़ा है। 

जानिए क्या है हॉलमार्किंग? 

बीआईएस हॉलमार्किंग सोने की शुद्धता को प्रमाणित करने की एक प्रणाली है। बीआईएस का यह चिह्न प्रमाणित करता है कि गहना भारतीय मानक ब्यूरो के स्टैंडर्ड पर खरा उतरता है। इसलिए, सोने खरीदने से पहले सुनिश्चित करें कि आभूषणों में बीआईएस हॉलमार्क है। यदि सोने गहनों पर हॉलमार्क है तो इसका मतलब है कि उसकी शुद्धता प्रमाणित है।

देशभर में फिलहाल सिर्फ 800 हॉलमार्किंग केंद्र

मौजूदा समय में देश भर में लगभग 800 हॉलमार्किंग केंद्र हैं और केवल 40 प्रतिशत आभूषणों की हॉलमार्किग की जाती है। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (बीआईएस) द्वारा हॉलमार्क गोल्ड ज्वेलरी पर यह निशान होता है। बीआईएस की वेबसाइट के मुताबिक यह देश में एकमात्र एजेंसी है जिसे सोने के गहनों की हॉलमार्किंग के लिए सरकार से मंजूरी प्राप्त है। बीआईएस के मुताबिक फिलहाल तीन स्तरों 22 कैरेट, 18 कैरेट और 14 कैरेट के लिए हॉलमार्किंग की जाती है। ज्वेलरी पर विक्रेता की पहचान भी अंकित होती है।

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