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Hindi News पैसा बिज़नेस मीडिल ईस्ट के तनाव से भारत को सता रही चिंता, चावल और चाय निर्यात प्रभावित होने की आशंका

मीडिल ईस्ट के तनाव से भारत को सता रही चिंता, चावल और चाय निर्यात प्रभावित होने की आशंका

ईरान और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ने से भारत के बासमती चावल और चाय के निर्यात प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है।

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नयी दिल्ली/कोलकाता। ईरान और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ने से भारत के बासमती चावल निर्यात पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। भारतीय चावल निर्यातकों के संगठन ने स्थिति में सुधार होने तक अपने सदस्यों को बासमती चावल की खेप नहीं भेजने को कहा है। वहीं चाय बोर्ड ने भी इस स्थिति में चाय निर्यात प्रभावित होने की आशंका जताई है। 

ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (एआईआरईए) ने एक बयान में कहा कि ईरान भारतीय बासमती के निर्यात का एक महत्वपूर्ण गंतव्य है। यदि निर्यात प्रभावित होता है तो इससे घरेलू कीमतों पर असर पड़ेगा और अंतत: किसानों को नुकसान होगा। संगठन ने स्थिति में सुधार होने तक निर्यातकों को खेप नहीं भेजने को कहा है। संगठन के अध्यक्ष नाथी राम गुप्ता ने पीटीआई-भाषा से कहा, 'अभी की स्थिति में ईरान को बासमती चावल का निर्यात संभव नहीं है। हमने अपने सदस्यों को परामर्श जारी कर सावधान रहने तथा स्थिति में सुधार होने तक खेप नहीं भेजने को कहा है।' 

गौरतलब है कि पिछले वित्त वर्ष में भारत ने 32,800 करोड़ रुपए के बासमती चावल का निर्यात किया था। इसमें से करीब 10,800 करोड़ रुपए का बासमती चावल अकेले ईरान को निर्यात किया गया था। टी बोर्ड ने कोलकाता में अलग से बयान जारी कर ईरान-अमेरिका के तनाव के कारण चाय निर्यात के प्रभावित होने की आशंका जाहिर की है। टी बोर्ड के चेयरमैन पी. के. बेजबरुआ ने पीटीआई-भाषा से कहा, 'यदि ईरान और अमेरिका के बीच संघर्ष बढ़ता है तो इसका असर पड़ेगा। हाथों से प्रसंस्कृत चाय (ऑर्थोडॉक्स टी) का निर्यात प्रभावित होगा।' 

उल्लेखनीय है कि सोवियत संघ से अलग हुए देशों (सीआईएस देशों) के बाद ईरान भारतीय ऑर्थोडॉक्स टी का सबसे बड़ा खरीदार है। भारत ने नवंबर 2019 तक सीआईएस देशों को 528 लाख किलोग्राम ऑर्थोडॉक्स टी का निर्यात किया है, जबकि ईरान को इस दौरान 504.3 लाख किलो ऑर्थोडॉक्स टी का निर्यात किया गया।

गौरतलब है कि साल की शुरुआत में ही मिडिल ईस्‍ट में उभरती इस खतरनाक स्थिति के चलते अगर भारत का निर्यात प्रभावित हुआ तो इसका सीधा असर देश के किसानों पर पड़ेगा जिसके चलते देश की अर्थव्यवस्था को भी झटका लग सकता है। साथ ही आम आदमी पर पेट्रोल-डीजल के लगातार बढ़ते दामों से महंगाई की दोहरी मार पड़ सकती है।

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