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Hindi News पैसा बिज़नेस सरकार के दखल के बाद प्याज की कीमतों में नरमी, 10 रुपये प्रति किलो तक घटे थोक भाव

सरकार के दखल के बाद प्याज की कीमतों में नरमी, 10 रुपये प्रति किलो तक घटे थोक भाव

दिल्ली की आजादपुर मंडी में प्याज की दैनिक आवक बढ़ कर 530 टन से अधिक हो गयी है। मुंबई में आवक 885 टन से बढ़कर 1,560 टन हो गयी है। चेन्नई में प्याज की आवक 1,120 टन से बढ़ कर 1,400 टन और बेंगलुरु में 2,500 टन से बढ़कर 3,000 टन तक पहुंच गयी है।

<p>सरकार के कदमों के बाद...- India TV Paisa Image Source : FILE PHOTO सरकार के कदमों के बाद प्याज कीमतों में नरमी

नई दिल्ली। सरकार के दखल के बाद दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे प्रमुख बाजारों में प्याज के थोक भाव में 10 रुपये किलो तक की कमी आयी है। सरकारी आंकड़ों में इसकी जानकारी मिली है। सरकार ने प्याज की आसमान छूती कीमतों के मद्देनजर इसके भंडारण की अधिकतम सीमा तय कर दी है। इसके अलावा निर्यात पर रोक के साथ ही आयात बढ़ाने के भी उपाय किये गये हैं। सरकार के दखल के एक दिन बाद उत्पादक क्षेत्रों में भी कीमतों में नरमी आयी है। उदाहरण के लिये महाराष्ट्र के लासलगांव में इसके भाव में पांच रुपये की गिरावट आयी है और यह 51 रुपये किलो पर आ गया है। लासलगांव एशिया में प्याज की सबसे बड़ी थोक मंडी है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, चेन्नई में थोक प्याज की कीमतें 23 अक्टूबर को 76 रुपये प्रति किलोग्राम से कम होकर 24 अक्टूबर को 66 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गयीं। इसी तरह मुंबई, बेंगलुरू और भोपाल में भी दरें 5-6 रुपये प्रति किलो गिरकर क्रमश: 70 रुपये प्रति किलोग्राम, 64 रुपये प्रति किलोग्राम और 40 रुपये प्रति किलोग्राम हो गयीं। इन उपभोग बाजारों में दैनिक आवक में कुछ सुधार होने के बाद कीमतों में गिरावट आयी है। आंकड़ों के अनुसार, दुनिया की सबसे बड़ी सब्जी मंडी दिल्ली की आजादपुर मंडी में दैनिक आवक बढ़ कर 530 टन से अधिक हो गयी है।मुंबई में आवक 885 टन से बढ़कर 1,560 टन हो गयी है। दैनिक आवक चेन्नई में 1,120 टन से बढ़ कर 1,400 टन और बेंगलुरु में 2,500 टन से बढ़कर 3,000 टन तक पहुंच गयी है। हालांकि, लखनऊ, भोपाल, अहमदाबाद, अमृतसर, कोलकाता और पुणे जैसे शहरों में अभी आवक नहीं सुधरी है।

नई फसल में देरी और बारिश से प्याज की फसलों के खराब होने से हाल ही में प्याज की कीमतों में तेज उछाल देखने को मिला था। लासलगांव मंडी में प्याज की थोक कीमतें 10 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। कीमतों में तेजी को देखते हुए ही सरकार ने कीमतों को नियंत्रण में लाने के लिए एक के बाद एक फैसले लिए।

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