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Hindi News पैसा बिज़नेस दुनिया को कच्चे तेल के 'जिम्मेदार' मूल्य निर्धारण की ओर बढ़ने की जरूरत: प्रधानमंत्री

दुनिया को कच्चे तेल के 'जिम्मेदार' मूल्य निर्धारण की ओर बढ़ने की जरूरत: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का ऊर्जा क्षेत्र पिछले 5 साल में तेजी के साथ बढ़ा है। उन्होने कहा कि हमारा जोर भारत को गैस आधारित अर्थव्यवस्था बनाना है। इस दौरान उन्होंने 2030 तक 450 गीगावॉट की अक्षय ऊर्जा प्राप्त करने के सरकार के लक्ष्य को दोहराया।

<p><span lang="HI" style="font-size: 10.5pt; line-height:...- India TV Paisa Image Source : PTI 'भारत बनेगा गैस आधारित अर्थव्यवस्था' 

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि दुनिया को कच्चे तेल के जिम्मेदार मूल्य निर्धारण की ओर बढ़ने की जरूरत है। भारत ऊर्जा मंच (इंडिया एनर्जी फोरम) के उद्घाटन के मौके पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि तेल और गैस के लिए पारदर्शी और लचीले बाजारों की ओर बढ़ने के प्रयास होने चाहिए। उन्होंने कहा, "बहुत समय के लिए, दुनिया ने कच्चे तेल की कीमतों को एक रोलर-कोस्टर पर देखा है। हमें जिम्मेदार मूल्य निर्धारण की ओर बढ़ने की जरूरत है। हमें तेल और गैस दोनों के लिए पारदर्शी और लचीले बाजारों की ओर काम करना होगा।"

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का ऊर्जा क्षेत्र पिछले 5 साल में तेजी के साथ बढ़ा है। उन्होने कहा कि हमारा जोर भारत को गैस आधारित अर्थव्यवस्था बनाना है। इस दौरान उन्होंने 2030 तक 450 गीगावॉट की अक्षय ऊर्जा प्राप्त करने के सरकार के लक्ष्य को दोहराया। मोदी ने कहा कि प्राकृतिक गैस के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने और गैस की बाजार मूल्य खोज में एकरूपता लाने के लिए सरकार ने इस महीने की शुरुआत में प्राकृतिक गैस विपणन सुधारों की घोषणा की है। उन्होने कहा कि "वे ई-बिडिंग के माध्यम से प्राकृतिक गैस की बिक्री में अधिक से अधिक विपणन स्वतंत्रता देंगे। भारत का पहला स्वचालित राष्ट्रीय स्तर का गैस ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म इस साल जून में लॉन्च किया गया था। यह गैस के बाजार मूल्य की खोज करने के लिए मानक प्रक्रियाओं को निर्धारित करता है।" उन्होंने कहा, "भारत की ऊर्जा दुनिया को ऊर्जावान बनाएगी।"

वहीं उन्होने कहा कि सरकार ने तेल रिफायनिंग क्षमता मौजूदा 25 करोड़ टन से बढ़ाकर साल 2025 तक 45 करोड़ टन करने का लक्ष्य रखा है और हम इसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि ऊर्जा तक पहुंच सस्ती और भरोसेमंद होनी चाहिए। उन्होने कहा कि कोरोना संकट की वजह से दुनिया भर में ऊर्जा की मांग में कमी आई है और आगे कुछ समय तक नरमी संभव है लेकिन लंबी अवधि में भारत की ऊर्जा खपत दोगुनी होगी।

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