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Cryptocurrency ‘कैरिबियाई समुद्री लुटेरों की दुनिया’ जैसी, जानिए, यह किसने और क्यों कहां

क्रिप्टो को ‘फिएट करेंसी’ बनने की परीक्षा पास करनी अभी बाकी है। फिएट करेंसी सरकार द्वारा समर्थित मुद्रा है।

<p>Cryptocurrency </p>- India TV Paisa Image Source : FILE Cryptocurrency 

Cryptocurrency ‘कैरिबियाई समुद्री लुटेरों की दुनिया’ जैसी है। देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने बृहस्पतिवार को यह कहा। उन्होंने कहा कि एक केंद्रीकृत नियामक प्राधिकरण के अभाव में क्रिप्टो करेंसी ‘कैरिबियाई समुद्री लुटेरों की दुनिया’ जैसी है। उन्होंने साथ ही कहा कि क्रिप्टो को ‘फिएट करेंसी’ बनने की परीक्षा पास करनी अभी बाकी है फिएट करेंसी सरकार द्वारा समर्थित मुद्रा है, और यह किसी कीमती धातु की जगह सरकार में भरोसे पर टिकी होती है। उन्होंने कहा कि फिएट करेंसी के विपरीत, क्रिप्टो मुद्राएं निहित मूल्य, व्यापक स्वीकार्यता और मौद्रिक इकाई जैसी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकती हैं।

क्रिप्टो करेंसी को लंबा सफर तय करना होगा 

नागेश्वरन ने विकेंद्रीकृत वित्त (डीएफआई) का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘हालांकि, इसे नवाचार माना जाता है, लेकिन मैं अपना निर्णय सुरक्षित रखूंगा कि क्या यह वास्तव में नवाचार है या यह कुछ ऐसा है, जिसका हमें पछतावा होगा।’’ उन्होंने एसोचैम के एक कार्यक्रम में कहा कि वह रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर से सहमत हैं, जो कह रहे हैं कि क्रिप्टो करेंसी और विकेंद्रीकृत वित्त के संबंध में यह नियामक मध्यस्थता का मामला अधिक लग रहा है, बजाय कि वास्तविक वित्तीय नवाचार के। उन्होंने कहा, ‘‘फिएट मुद्राओं के विकल्प के रूप में क्रिप्टो करेंसी को कई उद्देश्यों को पूरा करना होगा।

व्यापक स्वीकार्यता मिलना अभी बाकी 

इसमें निहित मूल्य होना चाहिए। इसकी व्यापक स्वीकार्यता होनी चाहिए और यह एक मौद्रिक इकाई होनी चाहिए। इस लिहाज से क्रिप्टो या डीएफआई जैसे नए नवाचार को अभी परीक्षा पास करनी बाकी है।’’ सरकार क्रिप्टो करेंसी के संबंध में एक परामर्श पत्र पर काम कर रही है और विश्व बैंक तथा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) सहित विभिन्न हितधारकों से सुझाव ले रही है। उन्होंने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है कि पिछले चार वर्षों की वृद्धि, मुद्रास्फीति तथा रुपये की स्थिरता के रूप में मिला लाभ कम न हो। नागेश्वरन ने अर्थव्यवस्था के बारे में कहा कि सरकार चार चीजों-राजकोषीय घाटा, आर्थिक वृद्धि, गरीब और कम आय वाले परिवारों के लिए आजीविका की लागत को कम रखना और रुपये को बहुत अधिक कमजोर होने से रोकना - के बीच संतुलन बनाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है। 

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