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RBI की डिजिटल करेंसी के साथ भारत में शुरू हो रहा नया युग, जानिए आपको कितना फायदा होगा

डिजिटल करेंसी भारत में हमेशा से ही चर्चा का विषय रही है। कारण है क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन को लेकर सख्ती। लेकिन अब आरबीआई की तरफ से डिजिटल करेंसी पेश करने की बात हो रही है। जाहिर है यह कदम भारत के कई सेक्टर्स को नई दिशा देगा। तो चलिए जानते हैं कि डिजिटल करेंसी क्या होती है और इसके क्या फायदे हैं।

RBI- India TV Paisa Image Source : FILE RBI

भारत जल्द ही अपनी खुद की डिजिटल करेंसी लॉन्च करने जा रहा है। वित्त  मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2022 का बजट पेश करते हुए कहा कि रिजर्व बैंक अगले वित्त वर्ष में डिजिटल रुपया जारी करेगा। इस बात पर मुहर लगाते हुए हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी डिजिटल रुपया जारी करने की बात कही है। आरबीआई ने कहा कि डिजिटल रुपया सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी(CBDC) होगा। धीरे-धीरे देश डिजिटलाइजेशन की तरफ बढ़ रहा है। पहले केवल ऑनलाइन पेमेंट तक ही ये सीमित था, लेकिन अब डिजिटल करेंसी की भी बात चल रही है। हालांकि बहुत से लोग ऐसे हैं जो डिजिटल करेंसी से अनजान हैं। तो चलिए विस्तार से जानते हैं इसके बारे में।

क्या है डिजिटल करेंसी और क्या हैं इसकी 5 महत्वपूर्ण बातें आइए जानते हैं।

डिजिटल करेंसी क्या है??

डिजिटल करेंसी मुद्रा का ही एक रूप है जो केवल डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक रूप में ही उपलब्ध होती है। इसे डिजिटल मनी, इलेक्ट्रॉनिक मनी, इलेक्ट्रॉनिक करेंसी या साइबर कैश भी कहा जाता है।

डिजिटल करेंसी 3 प्रकार की होती है

1. क्रिप्टोकरेंसी:- यह डिजिटल करेंसी है जो नेटवर्क में लेनदेन को सुरक्षित करने के लिए क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करती है। इसपर किसी भी देश की सरकार का नियंत्रण नहीं होता है। बिटकॉइन और एथेरियम इसके उदाहरण हैं।

2. वर्चुअल करेंसी: वर्चुअल करेंसी डेवलपर्स या प्रक्रिया में शामिल विभिन्न हितधारकों से मिलकर एक संगठन द्वारा नियंत्रित अनियमित डिजिटल करेंसी है।

3. सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC): सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी किसी देश के सेंट्रल बैंक द्वारा जारी की जाती हैं। आरबीआई ने इस करेंसी को ही जारी करने की बात कही है।

तो चलिए जानते हैं डिजिटल करेंसी की प्रमुख बातें:

  1. डिजिटल करेंसी से जुड़े लेनदेन कंप्यूटर या इंटरनेट या इलेक्ट्रॉनिक वॉलेट का उपयोग करके किए जाते हैं।।
  2. डिजिटल करेंसी आमतौर पर एक ही नेटवर्क के अंदर मौजूद होती है और इनके बीच बैंक बिचौलिए का काम नहीं करता है इसलिए इसमें तेजी से लेनदेन होता है।
  3. फिजिकल करेंसी के लिए कई आवश्यकताएं होती हैं, जैसे उसके निर्माण में संसाधनों का उपयोग और खर्चे। डिजिटल करेंसी में ऐसी कोई आवश्यकता नहीं होती है। ये सस्ता होता है।
  4. डिजिटल करेंसी लेनदेन की लागत को सस्ता बनाती है।
  5. डिजिटल करेंसी पर सरकार की नजर रहेगी। डिजिटल करेंसी की ट्रैकिंग हो सकेगी जो फिजिकल करेंसी के साथ संभव नहीं है।

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