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Hindi News पैसा बिज़नेस Rupee-Dollar: डॉलर के सामने क्यों 'कांप' रहा है भारतीय रुपया, जानिए आपकी किन जरूरतों पर होगा महंगाई का अटैक

Rupee-Dollar: डॉलर के सामने क्यों 'कांप' रहा है भारतीय रुपया, जानिए आपकी किन जरूरतों पर होगा महंगाई का अटैक

डॉलर के मजबूत होने का सीधा असर हमारे आयात पर पड़ता है। भारत जिन वस्तुओं के आयात पर निर्भर है, वहां रुपये की गिरावट महंगाई ला सकती है।

<p>Rupee</p>- India TV Paisa Image Source : FILE Rupee

Highlights

  • FII की बिकवाली और घरेलू शेयर बाजार में गिरावट के चलते रुपये में तेज गिरावट
  • डॉलर के मुकाबले 19 पैसे लुढ़ककर 78.32 रुपये प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर
  • कीमतों में तेजी के बीच रुपये की कमजोरी आपकी जेब को और छलनी करेगी

भीषण महंगाई से यदि आपकी कमर झुकने लगी है तो मलहम लगाकर उसे मजबूत कर लीजिए, क्यों महंगाई का असल अटैक तो अब होने वाला है। विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया थर थर कांप रहा है, और हर दिन गिरावट के नए रिकॉर्ड बना रहा है। FII की बिकवाली और घरेलू शेयर बाजार में गिरावट के चलते रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 19 पैसे लुढ़ककर 78.32 रुपये प्रति डॉलर के एक नये रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। वित्तीय बाजारों से लगातार विदेशी फंड का आउटफ्लो और कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी ने रुपए पर दबाव बढ़ाया है।

अब आप कहेंगे हम तो दुकान से रुपये में खरीदारी करते हैं तो रुपया हमारी जेब पर कैसे असर डालेगा। तो जनाब, यह जान लीजिए कि हम अपनी जरूरत के कई जरूरी सामान जैसे कच्चा तेल, मोबाइल, लैपटॉप जैसे गेजेट्स, रासायनिक खाद, सोना आदि को विदेेशाों से आयात करते हैं। जिनका पेमेंट डॉलर में होता है। रुपये के गिरने से हमें डॉलर खरीदने के लिए ज्यादा पैसे खर्चने होंगे, इससे नुकसान हमारा ही होगा। 

Image Source : IndiatvRupee after Independence

क्यों आ रही है रुपये में गिरावट 

रुपये में गिरावट में अर्थशास्त्र का मांग और आपूर्ति का नियम लागू होता है। हर देश के पास विदेशी मुद्रा का भंडार होता है, जिससे वह अंतरराष्ट्रीय लेन-देन करता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महंगाई बढ़ने से जब किसी देश को अपनी तिजोरी से ज्यादा डॉलर खर्च करने होते हैं, तो डॉलर की मांग आ​पूर्ति से अधिक हो जाती है। ऐसे में रुपया गिरने लगता है। मौजूदा दौर में भारत कच्चे तेल की डेढ़ गुनी कीमत चुका रहा है। उस पर जिन विदेशी संस्थागत निवेशक जिन्हें FII कहते हैं वे भारी मात्रा में पैसा भारतीय शेयर बाजार से निकाल रहे हैं। इससे एक ओर जहां शेयर बाजार ढह रहे हें वहीं रुपया भी धराशाई हो रहा है। 

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

रेलिगेयर ब्रोकिंग के जिंस एवं करेंसी विभाग के उपाध्यक्ष, सुगंधा सचदेवा ने कहा, ‘‘घरेलू शेयरों से बेरोकटोक धन निकासी और डॉलर के मजबूत होने के बीच, कुछ समय के लिए 78 अंक के आसपास मंडराने के बाद, भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले एक नए रिकॉर्ड निचले स्तर तक चला गया। एलकेपी सिक्योरिटीज के रिसर्च एनालिस्ट डिपार्टमेंट के वाइस प्रेसिडेंट जतिन त्रिवेदी ने कहा, ‘‘फेडरज रिजर्व के आक्रामक रुख और भारतीय बाजारों में विदेशी संस्थागत निवेशकों की आक्रामक बिक्री के कारण रुपया कमजोर होकर 78.30 से नीचे चला गया।’’ 

आपकी जेब में एक और महंगाई का छेद 

रुपये की कमजोरी से सीधा असर आपकी जेब पर होगा। आवश्यक सामानों की कीमतों में तेजी के बीच रुपये की कमजोरी आपकी जेब को और छलनी करेगी। भारत अपनी जरुरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है। अमेरिकी डॉलर के महंगा होने से रुपया ज्यादा खर्च होगा। इससे माल ढुलाई महंगी होगी। इसका सीधा असर हर जरूरत की चीज की महंगाई पर होगा। 

पेट्रोल डीजल सहित दूसरे आयातित प्रोडक्ट होंगे महंगे

डॉलर के मजबूत होने का सीधा असर हमारे आयात पर पड़ता है। भारत जिन वस्तुओं के आयात पर निर्भर है, वहां रुपये की गिरावट महंगाई ला सकती है। इसका असर कच्चे तेल के आयात पर भी पड़ेगा। दूसरी ओर भारत गैजेट्स और रत्नों का भी बड़ा आयातक है। ऐसे में रुपये में गिरावट का असर यहां पर भी देखने को मिल सकता है। 

मोबाइल लैपटॉप की कीमतों पर असर 

भारत अधिकतर मोबाइल और अन्य गैजेट का आयात चीन और अन्य पूर्वी एशिया के शहरों से होता है। विदेश से आयात के लिए अधिकतर कारोबार डॉलर में होता है। विदेशों से आयात होने के कारण अब इनकी कीमतें बढ़नी तय मानी जा रही है। भारत में अधिकतर मोबाइल की असेंबलिंग होती है। ऐसे में मेड इन इंडिया का दावा करने वाले गैजेट पर भी महंगे आयात की मार पड़ेगी। 

विदेश में पढ़ना महंगा 

इसका असर विदेश में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों पर रुपये की कमजोरी का खासा असर पड़ेगा। इसके चलते उनका खर्च बढ़ जाएगा। वे अपने साथ जो रुपये लेकर जाएंगे उसके बदले उन्हें कम डॉलर मिलेंगे। वहीं उन्हें चीजों के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी। इसके अलावा विदेश यात्रा पर जाने वाले भारतीयों को भी ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। 

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