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लोन लेने पर भी मिलता है टैक्स बेनेफि‍ट का लाभ, जानिए इनसे जुड़ी खास बातें

Here is the list of different types of loan which offers tax benefits. Tax deduction can be claimed on loans depending on where the money is being utilized

नई दिल्ली। क्‍या आपको पता है बैंक से लोन लेना आपके लिए दो तरह से फायदेमंद होता है। एक तो जरूरत के वक्‍त आपको पैसा मिलता है और दूसरा इस लोन पर आप टैक्‍स बेनेफि‍ट भी हासिल कर सकते हैं। जब आप कोई लोन लेते हैं, तो आपको तय ब्‍याज दर के साथ इसे चुकाना होता है। लेकिन क्‍या आप यह जानते हैं कि आपके द्वारा लिए गए लोन पर आप टैक्‍स डिडक्‍शन का दावा भी कर सकते हैं, यह लोन की राशि किस उद्देश्‍य से खर्च की गई है, इस पर निर्भर करता है। इंडिया टीवी पैसा की टीम आज यहां आपको विभिन्‍न लोन पर मिलने वाले टैक्‍स बेनेफि‍ट के बारे में बताने जा रही है।

होम लोन-

लोन की ईएमआई यानि कि इक्वेटिड मंथली इंस्टॉलमेंट के दो भाग होते हैं- मूलधन (प्रिंसिपल) और ब्याज (इंटरेस्ट)। आप प्रिंसिपल रिपेमेंट और लोन के ब्याज के भुगतान पर टैक्‍स कटौती की मांग कर सकते हैं। इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 80 सी के तहत प्रिंसिपल रिपेमेंट पर टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं और सेक्शन 24 बी के तहत ब्याज रिपेमेंट राशि पर।

अगर आपने होम लोन घर खरीदने के उदेश्य से लिया है तो ब्याज पर टैक्‍स छूट की सीमा घर का पजेशन मिलने पर निर्भर करता है। यदि लोन सेल्फ ऑक्यूपाइड हाउस के लिए लिया है तो इसके लिए दो लाख रुपए तक की लिमिट फि‍क्‍स है। घर किराए पर देने की स्थिति में ब्याज पर टैक्‍स कटौती क्लेम के लिए कोई लिमिट नहीं है।

ध्यान रहे कि टैक्स बेनेफिट प्रॉपर्टी के पूरा होने पर ही क्लेम किया जा सकता है। निर्माणाधीन प्रॉपर्टी खरीदने पर तब तक डिडक्शन की मांग नहीं की जा सकती जब तक प्रॉपर्टी पूर्ण रूप से निर्मित नहीं होती और आपको उसका पजेशन नहीं मिलता।

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किन बातों का रखें ध्यान-

  • अगर आप होम लोन की कोई भी ईएमआई देने से चूक जाते हैं तो भुगतान किए गए ब्याज पर टैक्स बेनेफिट्स क्लेम कर सकते हैं। किसी भी वित्तीय वर्ष में यदि आप कुछ ईएमआई भरने से चूक जाते हैं तो पूरे साल के लिए उस ईएमआई पर भुगतान किए गए ब्याज पर टैक्स में छूट पा सकते हैं।
  • आपको बता दें कि अधिकांश टैक्सपेयर्स को इस बात का इल्म नहीं होता कि लोन से संबंधित चार्जेस भी टैक्स छूट के दायरे में आता है। कानून के तहत इन चार्जेस को ब्याज की तरह माना जाता है, जिस कारण इस पर छूट का दावा किया जा सकता है।
  • यदि 5 वर्ष से पहले घर बेच देते हैं तो मूलधन पर टैक्स बेनेफिट्स की पॉलिसी उलट जाती है। होम लोन लेकर घर खरीदना या निर्माण या 5 वर्ष से पूर्व घर बेच देते हैं तो आपके सारे बेनेफिट्स खत्म हो जाते हैं।
  • अगर घर निर्माण या खरीदने के लिए बैंक के अलावा अपने दोस्तों या रिश्तेदारों से लोन लिया है तो लोन पर ब्याज अदायगी के समय सेक्शन 24 के तहत टैक्‍स छूट की मांग की जा सकती है।
  • प्रॉपर्टी का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद होम लोन बेनेफिट्स पर क्लेम कर सकते हैं। अगर निर्माण के वक्त या पजेशन पाने से पहले EMI भरी हैं तो प्रिंसिपल रिपेमेंट पर क्लेम नहीं कर सकते, लेकिन इस दौरान भुगतान किए गए ब्याज पर क्लेम कर सकते हैं और यह आगे एडजस्ट हो सकता है।
  • अगर आप को-बॉरोअर हैं तो आप टैक्स में छूट हासिल नहीं कर सकते है। अगर घर आपके माता-पिता ने खरीदा है और होम लोन की EMI आप भरते हैं तो भी आप टैक्स में छूट के हकदार नहीं हैं। अगर आप अपनी पत्नी के साथ घर खरीदते हैं, मगर आपका नाम लोन बुक में को-बॉरोअर के तौर पर स्पष्ट नहीं किया गया है, तो आप टैक्स में छूट क्लेम नहीं कर सकते हैं।

पर्सनल लोन-

अगर आप घर खरीदने के लिए पर्सनल लोन लेते हैं तो आप टैक्स बेनेफिट के लिए क्लेम कर सकते हैं। टैक्स कानून केवल लोन के उद्देश्‍य और किस काम के लिए खर्च किया जा रहा उस पर गौर करता है। मसलन, जो टैक्स कानून होम लोन पर लागू होते हैं वहीं कानून उस पर्सनल लोन पर लागू होगा, जो घर खरीदने के लिए लिया जाएगा। इसमें डाउन पेमेंट की राशि भी शामिल होती है। होम लोन की ही तरह इसमें भी सेक्शन 80 सी के तहत प्रिंसिपल रिपेमेंट पर टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं और सेक्शन 24 बी के तहत ब्याज रिपेमेंट राशि पर। प्रमाण के तौर पर इंटरेस्ट पेमेंट सर्टिफिकेट और बैंक स्टेटमेंट अनिवार्य है।

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एजुकेशन लोन-

सेक्शन 80ई के तहत उच्च शिक्षा के लिए अगर लोन लिया है तो ब्याज के रिपेमेंट पर टैक्‍स कटौती की मांग की जा सकती है। लोन स्वयं, पत्नी और बच्चों के लिए लिया जा सकता है। यह बैंक, वित्तीय संस्थान या किसी मान्यता प्राप्त चैरिटेबल संस्थान से लिया जा सकता है। ध्यान रहे कि होम लोन या पर्सनल लोन घर खरीदने के लिए लिया है तो इस पर टैक्स कटौती की मांग की जा सकती है, लेकिन एजुकेशन लोन की स्थिति में प्रिंसिपल रिपेमेंट पर कोई टैक्स बेनिफिट नहीं मिलता। मगर एजुकेशन लोन पर आप जो ब्याज अदा करते हैं उसपर टैक्स बेनेफिट हासिल कर सकते हैं, ये टैक्स बेनेफिट लोन शुरू होने के पहले आठ साल या फिर ब्याज अदायगी पूरी होने पर, जो भी दोनों में से पहले हो, उसपर मिलता है।

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