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Hindi News पैसा टैक्स UPI चला रहे व्यापारियों को धड़ाधड़ मिल रहे GST नोटिस, संगठन ने किया हड़ताल का आह्वान

UPI चला रहे व्यापारियों को धड़ाधड़ मिल रहे GST नोटिस, संगठन ने किया हड़ताल का आह्वान

यूपीआई लेनदेन के आधार पर व्यापारियों को भेजे गए नोटिसों के मुद्दे पर कर्नाटक के कई व्यापारी संघों ने अपने सदस्यों से यूपीआई लेनदेन का बहिष्कार करने का आह्वान किया है।

UPI, upi transaction, gst, gst demand, gst notice, gst demand notice, goods and services tax- India TV Paisa Image Source : PAYTM जीएसटी कानून के तहत कब पंजीकरण कराना होता है जरूरी

UPI के जरिए हुए ट्रांजैक्शन को आधार बनाकर जीएसटी डिमांड के करीब 6000 नोटिस जारी होने पर कर्नाटक के व्यापारियों ने चिंता जताई है। हालांकि, एक सीनियर टैक्स अधिकारी ने इस कदम को कानून के दायरे के भीतर बताया है। व्यापारी संगठनों ने यूपीआई लेनदेन के आधार पर जीएसटी पेमेंट की डिमांड करने वाले नोटिस भेजे जाने पर हड़ताल का आह्वान भी किया है। कमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट की जॉइंट कमिश्नर मीरा सुरेश पंडित ने पीटीआई से बातचीत में कहा कि व्यापारियों को भेजे गए नोटिस अंतिम टैक्स डिमांड नहीं हैं और नोटिस पाने वाले व्यापारियों को सहयोगी दस्तावेजों के साथ इनका जवाब देने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि जवाब संतोषजनक पाए जाने पर या जीएसटी अधिनियम के तहत छूट का हकदार होने पर ये नोटिस वापस ले लिए जाएंगे। 

25 जुलाई को हड़ताल करेंगे व्यापारी

यूपीआई लेनदेन के आधार पर व्यापारियों को भेजे गए नोटिसों के मुद्दे पर कर्नाटक के कई व्यापारी संघों ने अपने सदस्यों से यूपीआई लेनदेन का बहिष्कार करने का आह्वान किया है। उन्होंने इस नोटिस के विरोध में 25 जुलाई को हड़ताल का भी आह्वान किया है। प्रस्तावित हड़ताल और केवल नकद लेनदेन ही करने के आह्वान पर सीनियर टैक्स अधिकारी ने कहा, “जब कोई व्यक्ति सेवाओं के लिए 20 लाख रुपये या वस्तुओं के लिए 40 लाख रुपये की सालाना ट्रांजैक्शन लिमिट को पार कर जाता है, तो उसे जीएसटी अधिनियम के तहत रजिस्टर कराना और अपना कारोबार घोषित करना अनिवार्य है।” 

टैक्स अधिकारी ने क्या कहा

टैक्स अधिकारी ने कहा, “रजिस्ट्रेशन से व्यापारी को ग्राहकों से टैक्स कलेक्ट करने और उसे सरकार को भुगतान करने का अधिकार मिलता है। ये टैक्स सरकार के लिए हैं, लेकिन जब व्यापारी इन्हें कलेक्ट कर लेते हैं और जमा नहीं करते हैं, तो उन्हें गैर-पंजीकृत व्यक्ति माना जाता है और फिर उसके हिसाब से हम नोटिस जारी करते हैं।” उन्होंने कहा कि विभाग पंजीकरण से बचने वाले हर कारोबारी की व्यक्तिगत रूप से पहचान नहीं कर सकता है। इसके बजाय, विभाग के मुख्यालय स्थित सेवा विश्लेषण शाखा ने संभावित चूककर्ताओं की पहचान करने के लिए यूपीआई लेनदेन आंकड़ों जैसे विश्वसनीय स्रोतों का इस्तेमाल किया। 

जीएसटी कानून के तहत कब पंजीकरण कराना होता है जरूरी

पंडित ने कहा, “यदि किसी व्यक्ति ने यूपीआई के माध्यम से एक साल में सेवाओं के लिए 20 लाख रुपये या वस्तुओं के लिए 40 लाख रुपये से ज्यादा का लेनदेन किया है, तो वह जीएसटी कानून के तहत पंजीकरण के लिए उत्तरदायी हो जाता है।” अधिकारी ने कहा कि विभाग को ये पता नहीं होता है कि अमुक फर्म पूरी तरह से छूट प्राप्त है, आंशिक रूप से टैक्स योग्य है या पूरी तरह से टैक्स योग्य है। ऐसी स्थिति में उन्हें पंजीकरण कराने और देय टैक्स, ब्याज और जुर्माने का भुगतान करने का प्रस्ताव शामिल है। पंडित ने कहा, “यदि कारोबार में ट्यूशन फीस जैसी वस्तुओं या सेवाओं से पूरी छूट है, तो फिर पंजीकरण की जरूरत नहीं है। यदि उत्तर संतोषजनक है, तो नोटिस वापस ले लिया जाएगा और कार्यवाही शून्य मांग के साथ बंद कर दी जाएगी।” 

व्यापारियों के लिए विभाग से संपर्क करने की अपील

उन्होंने व्यापारी समुदायों के बीच जीएसटी मांग नोटिस को लेकर व्याप्त शंकाओं को भी दूर करने की कोशिश की। उन्होंने कहा, “कुछ भोले-भाले व्यापारी इस उम्मीद में बहक रहे हैं कि हर नोटिस को वापस ले लिया जाएगा। कुछ को गुमराह भी किया जा रहा है। लेकिन अगर उन्हें कानूनी प्रावधान के तहत राहत चाहिए तो मेरा उनसे अनुरोध है कि वे विभाग से संपर्क करें। हम कानून के अनुरूप उनका मार्गदर्शन करेंगे।” उन्होंने व्यापारियों से कहा कि बंद का आह्वान करने से कोई भी मकसद पूरा नहीं होगा और उन्हें शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात रखनी चाहिए।

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