A
Hindi News पंजाब पंजाब के शहरों की भी हवा हुई जहरीली, बठिंडा में 343 AQI, पराली जलाने का आंकड़ा बढ़ा

पंजाब के शहरों की भी हवा हुई जहरीली, बठिंडा में 343 AQI, पराली जलाने का आंकड़ा बढ़ा

नवंबर शुरू होने के साथ दिल्ली-एनसीआर में सांसों पर संकट मंडराने लगता है। इस बीच, पंजाब के कई शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) लगातार खराब स्थिति में बना हुआ है।

पंजाब के शहरों में प्रदूषण का स्तर बढ़ा- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO पंजाब के शहरों में प्रदूषण का स्तर बढ़ा

ठंड शुरू होने के साथ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और इसके आस-पास के इलाके में सासों पर संकट मंडराने लगता है। नवंबर शुरू होने के साथ दिल्ली-एनसीआर, पंजाब, हरियाणा, मुंबई समेत कई राज्यों में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। दिल्ली-एनसीआर में जहां प्रदूषण का स्तर गंभीर श्रेणी में है, वहीं पंजाब के कई शहरों का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) लगातार खराब स्थिति में बना हुआ है। 

पिछले 24 घंटे में पराली जलाने के 1515 मामले

पंजाब के बठिंडा का AQI 343, अमृतसर का 200, लुधियाना का 242 और पटियाला का 251 रिकॉर्ड किया गया है। पंजाब में पराली जलाने का आंकड़ा बढ़कर 20978 पहुंच गया है। इसमें से पिछले 24 घंटे में 1515 मामले सामने आए हैं। पिछले 10 दिनों में ही पंजाब में पराली जलाने के 16500 से अधिक मामले सामने आए हैं। किसानों का कहना है कि पारली को आग लगाना उनकी मजबूरी है। उनका कहना है कि प्रदूषण से नुकसान हमारे बच्चों को भी है, लेकिन करें तो क्या करें, कोई रास्ता नहीं है। 

सुप्रीम कोर्ट ने तल्काल कदम उठाने के दिए निर्देश

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण पर सुनावाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कड़ी फटकार लगाई। शीर्ष कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा सहित दिल्ली-एनसीआर की सीमा से लगे राज्यों को पराली जलाने से रोकने और वायु प्रदूषण को कम करने के लिए तत्काल कदम उठाने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने कई अहम सवाल उठाते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को आड़े हाथ लिया और दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण की समस्या पर अंकुश लगाने के लिए कई निर्देश जारी किए।

बवाल के बीच CM नीतीश के समर्थन में उतरे JDU अध्यक्ष ललन सिंह, कहा- इसमें दिक्कत क्या है?

यह पिछले पांच साल से चल रहा है: सुप्रीम कोर्ट 

आदेश में कहा गया, "यह पिछले पांच साल से चल रहा है। इस मामले में तत्काल कार्रवाई और अदालत की निगरानी की जरूरत है।" शीर्ष अदालत ने यह भी पूछा कि पंजाब में धान क्यों उगाया जा रहा है, जब पानी का स्तर पहले से ही इतना नीचे है। खंडपीठ ने कहा,"आप क्या कर रहे हैं? अपने जलस्तर को देखें। आप पंजाब में धान उपजाने की अनुमति क्यों दे रहे हैं? आप खेतों में आग लगाकर पंजाब को हरित भूमि से बिना फसल वाली भूमि में बदलना चाहते हैं?"

"पंजाब में धान की फसल पर MSP लागू है"

पंजाब सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल गुरमिंदर सिंह ने कई सुझाव देने के साथ ही कहा कि पंजाब में धान की फसल पर MSP लागू है, इसलिए सीमांत किसान फसल का विकल्प चुनते हैं। यदि केंद्र पंजाब में धान पर एमएसपी हटा देता है, तो वे स्वत: धान को छोड़कर कम पानी की खपत वाली फसलों पर स्विच कर देंगे, जो असल में पंजाब राज्य की मूल निवासी हैं। खंडपीठ ने यह भी कहा कि चूंकि केंद्र पहले से ही बाजरा पर स्विच करने के लिए काम कर रहा है, तो इस धान को किसी अन्य देशी और कम पानी वाली फसल के साथ स्विच किया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में आगे कहा कि पंजाब उपमृदा जल संरक्षण अधिनियम, 2009 के पालन पर पुनर्विचार की जरूरत है, क्योंकि यह समस्याएं पैदा कर रहा है और सरकार को इस पर गौर करना चाहिए।