Kartik Month Akshay Navami Vrat: 21 नवंबर को रखा जाएगा अक्षय नवमी का व्रत, नोट करें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
कार्तिक मास की पड़ने वाली शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी भी कहते हैं। कल 21 नवंबर को अक्षय नवमी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। आइए आचार्य इंदु प्रकाश से जानते हैं अक्षय नवमी व्रत की पूजा विधि और इसका शुभ मुहूर्त।
Akshay Navami: कल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि और मंगलवार का दिन है। कल अक्षय नवमी का व्रत किया जायेगा। दीपावली के ठीक 10 दिन बाद मनायी जाने वाली अक्षय नवमी का शास्त्रों में बहुत बड़ा महत्व बताया गया है। पुराणों में इस दिन से ही द्वापर युग की शुरुआत मानी जाती है। अक्षय का अर्थ होता है जिसका क्षरण न हो। इस दिन किए गए कार्यों का अक्षय फल प्राप्त होता है।
इसे इच्छा नवमी, आंवला नवमी, कूष्मांड नवमी, आरोग्य नवमी और धातृ नवमी के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिक मास में पड़ने वाली अक्षय नवमी के दिन किये गये व्रत के पुण्य से सुख-शांति, सद्भाव और वंश वृद्धि का फल प्राप्त होता है। आंवला नवमी के दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और आंवले के वृक्ष की पूजा-अर्चना करने का विधान है। आइये आचार्य इंदु प्रकाश से जानते हैं कार्तिक मास की अक्षय नवमी की पूजा का शुभ मुहूर्त और इसकी पूजा विधि साथ ही जानते हैं इस दिन के महत्व के बारे में।
श्री विष्णु ने किया था कूष्माण्ड दैत्य का संहार
शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि अक्षय नवमी के दिन श्री विष्णु द्वारा कूष्माण्ड नामक दैत्य का अत्याचार समाप्त किया गया था, जिसके बाद उस दैत्य के रोम से कूष्माण्ड की बेल निकली थी। इसलिए इसे कूष्माण्ड नवमी भी कहते हैं। कूष्माण्ड को आम भाषा में पेठा या कद्दू कहते हैं, जिसकी सब्जी बनाई जाती है। आज के दिन कुष्माण्ड, यानि पेठे का दान करना चाहिए। दान के साथ ही गन्ध, पुष्प और अक्षत आदि से कुष्माण्ड का पूजन भी करना चाहिये। इससे उत्तम फलों की प्राप्ति होती है। कूष्माण्ड नवमी के अलावा उड़ीसा में आज जगतधात्री माता की पूजा भी की जाती है। जगतधात्री, मां दुर्गा का ही एक स्वरूप हैं। आज अक्षय नवमी के दिन से मथुरा प्रदक्षिणा, यानि मथुरा की परिक्रमा भी शुरू हो जाती है।
अक्षय नवमी की पूजा का शुभ मुहूर्त
- कार्तिक मास की अक्षय नवमी का व्रत - 21 नवंबर 2023 दिन मंगलवार
- अक्षय नवमी की पूजा एवं व्रत मुहूर्त - 21 नवंबर 2023 दिन मंगलवार सुबह 6 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 7 मिनट तक।
- अक्षय नवमी की पूजा अवधि - इस दिन पूजा की कुल अवधि 5 घंटे 19 मिनट तक के लिए।
अक्षय नवमी की पूजा विधि
- अक्षय नवमी पर भगावन विष्णु की उपासना की जाती है। सबसे पहले प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान करें।
- अक्षय नवमी के दिन यानी कल किसी तीर्थ स्थल पर जाकर स्नान करना चाहिए, लेकिन अगर आप कहीं दूर नहीं जा सकते, तो घर पर ही अपने नहाने के पानी में थोड़ा-सा गंगाजल डालकर स्नान जरूर करें। इससे आपको अक्षय फलों की प्राप्ति होगी।
- स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। गंगाजल को हाथ में लेकर आचमन करें।
- इसके बाद कार्तिक की अक्षय नवमी के व्रत का संकल्प भगवान विष्णु के निमित्त लें।
- व्रत का संकल्प लेने के बाद आंवले के पेड़ को जल अर्पित करें और इस बात का ध्यान दें की आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
- फिर आंवले के पेड़ की सात परिक्रमा करके उसमे लाल या पीला कलावा बांधें।
- उसके बाद आंवले के पेड़ की पूजा करें और भगवान विष्णु को हाथ जोड़ कर प्रणाम करें।
- इसी के साथ आप विष्णु सहस्त्रनाम का भी पाठ करें इससे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होगी और श्री हरी की कृपा से आपके घर में सुख-समृद्धि का वास होगा।
(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)
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