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Hindi News धर्म स्त्री के गर्भ से नहीं.. ऐसे हुआ था गुरु गोरखनाथ का जन्म, जिन्होंने शुरू की थी नाथ योग की परंपरा, यहां पढ़िए पौराणिक कहानी

स्त्री के गर्भ से नहीं.. ऐसे हुआ था गुरु गोरखनाथ का जन्म, जिन्होंने शुरू की थी नाथ योग की परंपरा, यहां पढ़िए पौराणिक कहानी

Mysterious Birth Story of Baba Gorakhnath: गुरु गोरखनाथ एक महान चमत्कारिक और रहस्यमयी योगी रहे हैं, जिन्हें गोरक्षनाथ भी कहा जाता है। इनके इस नाम के पीछे एक पौरणिक कहानी है। बाबा गोरखनाथ के जन्म के संबंध, नाथ योग परंपरा की शुरुआत और योग के क्षेत्र में उनके अद्वितीय योगदान के बारे में यहां जानिए।

Baba Gorakhnath- India TV Hindi Image Source : PTI गुरु गोरखनाथ के जन्म की कहानी

Mysterious Birth Story of Baba Gorakhnath: बाबा गोरखनाथ के बारे में आपसे जरूर सुना होगा। वह महान योगी कहलाए, जिन्होंने योग साधना में अमूल्य योगदान दिया। नाथ संप्रदाय के प्रवर्तक और महान योगी बाबा गोरखनाथ को लेकर कई चमत्कारिक और रहस्यमयी कथाएं प्रचलित हैं। उनका जन्म भी इन्हीं रहस्यमयी घटनाओं में से एक माना जाता है। मान्यता है कि बाबा गोरखनाथ का जन्म किसी स्त्री के गर्भ से नहीं, बल्कि एक दिव्य चमत्कार के माध्यम से हुआ था। यही कारण है कि उन्हें अलौकिक शक्तियों से युक्त महान सिद्ध योगी माना जाता है। आइए जानते हैं उनके जन्म की कहानी क्या है। 

बाबा गोरखनाथ एक रहस्यमयी योगी

महान चमत्कारिक और सिद्ध गुरु गोरखनाथ को गोरक्षनाथ भी कहा जाता है। उन्होंने भारत और नेपाल की सीमा पर स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ देवीपातन में कठोर तपस्या की थी। यहीं पाटेश्वरी शक्तिपीठ की स्थापना मानी जाती है। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में स्थित गोरखनाथ मंदिर उनका सबसे प्रसिद्ध और एकमात्र प्रमुख मंदिर है, जहां आज भी लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं।

जन्मकाल को लेकर विद्वानों में मतभेद

बाबा गोरखनाथ के जन्मकाल को लेकर विद्वानों में एकमत नहीं है। प्रसिद्ध इतिहासकार और विद्वान राहुल सांकृत्यायन ने उनका जन्मकाल लगभग 845 ईस्वी माना है। हालांकि, उनकी जन्मकथा ऐतिहासिक से अधिक पौराणिक और आध्यात्मिक मानी जाती है, जो उन्हें अन्य संतों से अलग बनाती है।

गुरु मत्स्येन्द्रनाथ और दिव्य भभूत की कथा

प्रचलित कथा के अनुसार, एक बार गुरु मत्स्येन्द्रनाथ भिक्षाटन करते हुए एक गांव पहुंचे। वहां एक गृहिणी ने भिक्षा दी और आशीर्वाद स्वरूप पुत्र की कामना व्यक्त की। संतानहीन स्त्री की व्यथा देखकर गुरु मत्स्येन्द्रनाथ ने मंत्र पढ़कर एक चुटकी भभूत दी और पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद देकर चले गए। लेकिन सिद्धियों से अनजान उस स्त्री ने भभूत का प्रयोग न कर उसे गोबर में फेंक दिया।

गोबर से प्रकट हुए बालक गोरक्षनाथ

करीब 12 वर्ष बाद गुरु मत्स्येन्द्रनाथ पुनः उस गांव में आए और उस स्त्री से उसके पुत्र के बारे में पूछा। कुछ संकोच और कुछ भयभीत उस स्त्री ने पूरी सच्चाई बता दी। गुरु मत्स्येन्द्रनाथ उसे उस स्थान पर ले गए, जहां एक गाय गोबर से भरे गड्ढे के ऊपर खड़ी होकर उसमें दूध गिरा रही थी। गुरु के आह्वान पर उसी गड्ढे से एक बारह वर्षीय सुंदर और तेजस्वी बालक प्रकट हुआ। गाय और गोबर द्वारा रक्षा होने के कारण उसका नाम गोरक्ष रखा गया।

नाथ योग परंपरा की शुरुआत

गुरु मत्स्येन्द्रनाथ उस बालक को अपने साथ ले गए और वही आगे चलकर बाबा गोरखनाथ बने। उन्होंने नाथ योग परंपरा की शुरुआत की। योग के क्षेत्र में उनके प्रयोग अद्वितीय थे। उन्होंने कई नए आसन विकसित किए और कठिन योग मुद्राओं का अभ्यास कराया। उनके विचित्र और जटिल आसनों को देखकर लोग आश्चर्यचकित रह जाते थे, जिसे लोग करते थे कि ये क्या 'गोरखधंधा' लगा रखा है। ऐसा कहा जाता है कि इसके बाद से ही ऐसी कहावत प्रचलन में आई।

योग साधना में अमूल्य योगदान

आज योग में जिन आसनों, प्राणायाम, षट्कर्म, मुद्रा, नादानुसंधान और कुंडलिनी साधना की चर्चा होती है, उनका श्रेय बाबा गोरखनाथ को ही दिया जाता है। नाथ योग की यह परंपरा आज भी योग साधकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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