इस बुक में क्या लिखा है, कोई नहीं पढ़ पाया आज तक, जानें दुनिया की सबसे अजीबोगरीब किताब के बारे में
अगर आप कुछ अजीबोगरीब और रहस्यमयी चीजों के शौकीन हैं, तो यह किताब आपके लिए एकदम सही है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस किताब को आज तक कोई नहीं पढ़ पाया है। इस किताब में क्या लिखा है, वह इंसानों की सोच से परे है।

जब बात अजीबोगरीब किताबों की आती है, तो "कोडेक्स सेरोफिनियानस" (Codex Seraphinianus) का नाम सबसे ऊपर आता है। यह किताब इतनी रहस्यमयी और अनोखी है कि इसे देखकर लोग हैरान रह जाते हैं। इसे किसी सामान्य किताब की श्रेणी में रखना मुश्किल है, क्योंकि यह न तो कोई कहानी कहती है, न ही कोई साधारण जानकारी देती है। बल्कि, यह एक ऐसी काल्पनिक दुनिया की झलक पेश करती है जो समझ से परे है। आइए, इस अजीब किताब के बारे में जानते हैं।
क्या है कोडेक्स सेरोफिनियानस?
"कोडेक्स सेरोफिनियानस" को इतालवी कलाकार और डिजाइनर लुइगी सेराफिनी ने 1976 से 1978 के बीच बनाया था। पहली बार यह 1981 में प्रकाशित हुई और तब से यह दुनिया भर के लोगों के लिए एक पहेली बनी हुई है। यह किताब लगभग 360 पन्नों की है और इसमें रंग-बिरंगी, हाथ से बनाई गई तस्वीरें और एक ऐसी काल्पनिक भाषा में लिखा हुआ टेक्स्ट है, जिसे आज तक कोई समझ नहीं पाया। इसकी स्क्रिप्ट को "सेराफिनी स्क्रिप्ट" कहा जाता है, जो किसी भी ज्ञात भाषा से मेल नहीं खाती। कई भाषाविदों और कोड तोड़ने वालों ने इसे डिकोड करने की कोशिश की, लेकिन कोई सफल नहीं हुआ।
किताब का अजीब कंटेंट
इस किताब में जो चित्र हैं, वे किसी सपने से निकले हुए लगते हैं। इसमें आपको ऐसी चीजें दिखेंगी जो वास्तविकता से परे हैं। मिसाल के तौर पर:
- एक पौधा जो फल की जगह किताबें उगाता है।
- मछलियां जिनके पंख पक्षियों जैसे हैं और वे हवा में उड़ती दिखती हैं।
- एक जोड़ा जो प्यार करते हुए मगरमच्छ में बदल जाता है।
- मशीनें जो जानवरों और इंसानों का मिश्रण लगती हैं।
ये चित्र इतने विस्तृत और रचनात्मक हैं कि इन्हें देखकर लगता है जैसे यह किसी दूसरी दुनिया की किताब हो। इसके साथ लिखा टेक्स्ट समझ से बाहर होने की वजह से यह और भी रहस्यमयी बन जाता है।
इसे बनाने का मकसद क्या था
लुइगी सेराफिनी ने खुद कहा है कि यह किताब बच्चों के उस अहसास को फिर से जीवित करने के लिए बनाई गई थी, जब वे किताबें देखते थे लेकिन पढ़ नहीं पाते थे। उनका कहना था कि वह एक ऐसी दुनिया बनाना चाहते थे जो पूरी तरह काल्पनिक हो और जिसमें कोई नियम न हों। कुछ लोग इसे कला का एक नमूना मानते हैं, तो कुछ इसे किसी एलियन सभ्यता का दस्तावेज कहते हैं। हालांकि, सेराफिनी ने कभी इसका पूरा रहस्य नहीं खोला।
लोगों का आकर्षण और कीमत
"कोडेक्स सेरोफिनियानस" की पहली छपाई बहुत सीमित थी, इसलिए यह बेहद दुर्लभ मानी जाती है। आज इसकी मूल प्रतियां कलेक्टर्स के बीच लाखों रुपये में बिकती हैं। 2013 में इसका एक नया संस्करण प्रकाशित हुआ, जिसमें कुछ अतिरिक्त चित्र जोड़े गए थे, लेकिन फिर भी यह सस्ती नहीं हुई। किताब के प्रशंसकों में लेखक, कलाकार और वैज्ञानिक तक शामिल हैं, जो इसके पीछे छिपे अर्थ को समझने की कोशिश करते रहते हैं।
किताब नहीं बल्कि एक अनोखा अनुभव
यह किताब पढ़ने के लिए नहीं, बल्कि अनुभव करने के लिए है। इसके हर पन्ने को देखकर आप एक ऐसी दुनिया में खो जाते हैं जो वास्तविक नहीं, फिर भी वास्तविक सी लगती है। यह आपको सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारी कल्पना की कोई सीमा होती है? कुछ इसे कला कहते हैं, कुछ इसे पागलपन, लेकिन सच यह है कि "कोडेक्स सेरोफिनियानस" अपने आप में एक अनसुलझी पहेली है।
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