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पीएम मोदी ने BRICS में अफ्रीका और ब्राजील के राष्ट्रपति को दिए ये विशेष गिफ्ट, अब जाएंगे ग्रीस

प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स सम्मेलन के बाद मेहमानों को भारत से ले जाए गए खास गिफ्ट दिए हैं। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा को तेलंगाना निर्मित विशेष प्रकार की चांदी व अन्य मिस्र धातुओं से निर्मित सुराही का जोड़ा दिया है। उनकी पत्नी को नगालैंड का शॉल और ब्राजील के राष्ट्रपति को एमपी की पेटिंग दी।

पीएम मोदी द्वारा ब्रिक्श शिखर सम्मेलन में मेहमानों को दिए गए विशेष गिफ्ट।- India TV Hindi Image Source : INDIA TV पीएम मोदी द्वारा ब्रिक्श शिखर सम्मेलन में मेहमानों को दिए गए विशेष गिफ्ट।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बाद मेहमानों को भारत से ले जाए गए विशेष उपहार भेंट किए हैं। अब वह यहां से ग्रीस की यात्रा के लिए रवाना हो जाएंगे। इसके लिए अभी से ग्रीस में प्रवासी भारतीयों समेत अन्य लोगों द्वारा उनका जबरदस्त स्वागत की तैयारी की गई। पीएम मोदी ने ब्रिक्स के दौरान दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा को तेलंगाना की बिदरी कृति सुराही की जोड़ी उपहार में दी। यह बिड्रिवेज़ 500 साल पुरानी फ़ारसी भाषा का एक विशुद्ध भारतीय आविष्कार है जो विशेष रूप से बीदर तक ही सीमित है। बिड्रिवेज़ को जिंक, कॉपर और अन्य अलौह धातुओं के मिश्र धातु से ढाला जाता है। ढलाई पर सुंदर पैटर्न उकेरे गए हैं और शुद्ध चांदी के तार से जड़े गए हैं। इसी तरह उन्होंने दक्षिण अफ्रीका की प्रथम महिला को नागालैंड की शॉल उपहार में दिया। नागा शॉल कपड़ा कला का एक उत्कृष्ट रूप है, जिसे भारत के पूर्वोत्तर भाग में नागालैंड राज्य की जनजातियों द्वारा सदियों से बुना जाता रहा है।

ब्राजील के राष्ट्रपति को दी ये खास पेंटिंग

प्रधानमंत्री ने ब्राजील के राष्ट्रपति को मध्य प्रदेश की गोंड पेंटिंग उपहार में दी। यह पेंटिंग सबसे प्रशंसित जनजातीय कला रूपों में से एक है। 'गोंड' शब्द द्रविड़ियन अभिव्यक्ति 'कोंड' से आया है जिसका अर्थ है 'हरा पहाड़'। बिंदुओं और रेखाओं द्वारा बनाई गई ये पेंटिंग गोंडों की दीवारों और फर्शों पर चित्रात्मक कला का हिस्सा रही हैं और यह स्थानीय रूप से उपलब्ध प्राकृतिक रंगों और लकड़ी का कोयला, रंगीन जैसी सामग्रियों के साथ प्रत्येक घर के निर्माण और पुनर्निर्माण के साथ की जाती है। मिट्टी, पौधे का रस, पत्तियाँ, गाय का गोबर, चूना पत्थर का पाउडर, आदि से इसे बनाया जाता है।

साउथ अफ्रीका की प्रथम महिला की दी शॉल इसलिए है खास

पीएम मोदी ने जो शॉल राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा की पत्नी को दी है, वह अपने जीवंत रंगों, जटिल डिजाइनों और पारंपरिक बुनाई तकनीकों के उपयोग के लिए जानी जाती हैं, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होते रहे हैं। नागा शॉल स्थानीय रूप से प्राप्त सामग्री जैसे कपास, रेशम और ऊन से बनाई जाती है। नागा शॉल की सबसे खास विशेषताओं में से एक ज्यामितीय और प्रतीकात्मक डिजाइनों का उपयोग है। डिज़ाइन जनजाति के मिथकों, किंवदंतियों और मान्यताओं से प्रेरित हैं, जिनमें विशिष्ट अर्थ और महत्व वाले डिज़ाइन हैं। प्रत्येक नागा शॉल एक अनोखी कहानी बताती है, जो जनजाति के इतिहास, मान्यताओं और जीवन शैली को दर्शाती है। नागा शॉल में इस्तेमाल किये जाने वाले रंग प्रतीकात्मक होते हैं। नागाओं का मानना ​​है कि रंगों का उनके जीवन और कल्याण पर गहरा प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, लाल साहस का प्रतीक है, जबकि काला शोक का प्रतीक है। सफेद रंग पवित्रता से जुड़ा है और हरा रंग विकास और समृद्धि का प्रतीक है। इन जीवंत रंगों को बनाने के लिए बुनकर अक्सर पौधों और जड़ों से बने प्राकृतिक रंगों का उपयोग करते हैं।

सुराही की अन्य खासियतें

इसी तरह प्रधानमंत्री ने जो सुराही राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा को दी है। इसकी ढलाई को बीदर किले की विशेष मिट्टी के साथ मिश्रित घोल में भिगोया जाता है, जिसमें विशेष ऑक्सीकरण गुण होते हैं। इसके कारण जिंक मिश्र धातु चमकदार काले रंग में बदल जाती है, जिससे चांदी की परत काले रंग की पृष्ठभूमि के साथ आश्चर्यजनक रूप से विपरीत हो जाती है। चांदी की नक्काशी सदियों पुरानी शिल्पकला है। पैटर्न पहले कागज पर बनाए जाते हैं और फिर चांदी की शीट पर स्थानांतरित किए जाते हैं। चांदी की परतों को हथौड़े और बारीक औजारों से पीटकर आकार दिया जाता है। वस्तु को आकर्षक बनाने के लिए फाइनल टचिंग के लिए पॉलिशिंग और बफ़िंग की जाती है। इस कार्य के लिए बहुत कड़ी मेहनत, सटीकता और उत्कृष्ट कौशल की आवश्यकता होती है, जो भारत के कई हिस्सों और विशेष रूप से कर्नाटक राज्य में किया जाता है।

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