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दलाई लामा के जिक्र पर भड़के चीन ने अमेरिका से कहा, तिब्बत के मामले में दखल देना बंद करो

अमेरिकी राजनयिक द्वारा भारत में रह रहे तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा के साथ बातचीत की दी गई सलाह पर मंगलवार को चीन ने तीखी प्रतिक्रिया दी।

Stop interfering in Tibet, China tells United States | AP File- India TV Hindi Stop interfering in Tibet, China tells United States | AP File

बीजिंग: अमेरिकी राजनयिक द्वारा भारत में रह रहे तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा के साथ बातचीत की दी गई सलाह पर मंगलवार को चीन ने तीखी प्रतिक्रिया दी। चीन ने अमेरिका से कहा है कि वह तिब्बत में दखल देना बंद कर दे। चीन में अमेरिकी राजदूत टेरी ब्रैनस्टैड ने पिछले हफ्ते अपनी तिब्बत की यात्रा के दौरान चीनी सरकार के अधिकारियों को आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के साथ बातचीत करने की सलाह दी थी। साथ ही उन्होंने बीजिंग पर तिब्बत क्षेत्र में धार्मिक स्वतंत्रता पर रोक लगाने के खिलाफ निशाना साधा था।

चीन 14वें दलाई लामा को एक अलगाववादी के रूप में देखता है। उसने अमेरिकी राजनयिक की टिप्पणियों पर नाराजगी जताई है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा, ‘अमेरिकी राजदूत ने हाल ही में तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र का दौरा किया और वहां के अधिकारियों ने भी उनसे मुलाकात की। उन्होंने स्थानीय समुदायों, शैक्षिक और सांस्कृतिक संस्थानों के साथ-साथ धार्मिक स्थलों के लोगों से भी मुलाकात की। चीन ने अमेरिका को अपनी धार्मिक और जातीय नीतियों के बारे में और तिब्बत में सामाजिक-आर्थिक विकास के बारे में भी जानकारी दी।’ 

कांग ने आगे कहा, ‘दलाई लामा के साथ संवाद और विदेशियों के तिब्बत तक पहुंच और संपर्क को लेकर चीन ने अपनी नीति को स्पष्ट किया। साथ ही साफ कर दिया कि चीन तिब्बत में किसी भी विदेशी हस्तक्षेप का दृढ़ता से विरोध करता है।’ अधिकारियों और पत्रकारों को तिब्बत तक पहुंचने से वंचित करने वाले चीनी अधिकारियों को पिछले साल, वॉशिंगटन ने कानून बनाकर वीजा देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद ब्रैनस्टैड 2015 के बाद से तिब्बत का दौरा करने वाले पहले अमेरिकी दूत रहे। 

गौरतलब है कि तिब्बत चीन का अशांत क्षेत्र है जो विदेशी पत्रकारों और राजनयिकों की पहुंच से आम तौर से दूर रहता है। बीजिंग तिब्बत में दलाई लामा को 'परेशानी पैदा करनेवाले' व्यक्ति के रूप में देखाता है। दलाई लामा 1959 में एक असफल विद्रोह के बाद भारत आ गए थे और तबसे यहीं रह रहे हैं।

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