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Hindi News विदेश एशिया बेसिक समूह ने ‘ग्लोबल स्टॉकटेक’ से मांगा विकसित देशों की विफलताओं का हिसाब, जानें क्या है पूरा मामला

बेसिक समूह ने ‘ग्लोबल स्टॉकटेक’ से मांगा विकसित देशों की विफलताओं का हिसाब, जानें क्या है पूरा मामला

संयुक्त अरब अमीरात में चल रहे जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन में भारत के सहयोगी देशों वाले समूह बेसिक ने ग्लोबल स्टॉकटेक से विकसित देशों की विफलताओं का हिसाब मांग लिया है। इससे विकसित देशों में खलबली मच गई है।

प्रतीकात्मक फोटो- India TV Hindi Image Source : AP प्रतीकात्मक फोटो

भारत की सदस्यता वाले ‘बेसिक’ समूह ने दुबई में वार्षिक जलवायु शिखर सम्मेलन के दौरान ‘ग्लोबल स्टॉकटेक’ से विकसित देशों की विफलताओं का भी हिसाब मांगा है। बेसिक देशों ने कहा कि उसे यह ब्यौरा देना चाहिए। सूत्रों ने यह जानकारी दी। बता दें कि ग्लोबल स्टॉकटेक (जीएसटी) पेरिस समझौते का एक मूलभूत घटक है, जिसका उपयोग समझौते के कार्यान्वयन की निगरानी और सहमति प्राप्त लक्ष्यों को प्राप्त करने में हुई सामूहिक प्रगति का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है।

‘बेसिक’ चार बड़े नव औद्योगीकृत देशों ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, भारत और चीन का एक समूह है, जिसका गठन 2009 में एक समझौते के तहत हुआ था। दुबई में जारी जलवायु शिखर सम्मेलन दौरान ‘ग्लोबल स्टॉकटेक’ के चर्चा में रहने की उम्मीद है। प्रारंभिक वार्ता में उपस्थित रहे कई प्रतिनिधियों ने बताया कि ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, भारत और चीन के समूह ‘बेसिक’ ने विकसित दुनिया के खंडित बहुपक्षवाद की निंदा की। प्रशांत द्वीप समूह के एक प्रतिनिधि ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “समूह ने इस बात पर जोर दिया कि जीएसटी को उपलब्धियों व विफलताओं का हिसाब देना चाहिए, जिनमें विकसित देशों की ओर से मिलीं उपलब्धियां और विफलताएं शामिल हैं ।

एकपक्षवाद और संरक्षवाद की हुई निंदा

” केन्या के एक अन्य प्रतिनिधि ने भी ‘बेसिक’ देशों की मांग की पुष्टि की और कहा कि समूह ने एकपक्षवाद और व्यापार संरक्षणवाद की भी निंदा की। भारतीय प्रतिनिधिमंडल से जब संपर्क किया गया, उसने ‘बेसिक’ समूह की मांगों की पुष्टि की, लेकिन यह भी रेखांकित किया कि वार्ता पूरी तरह से शुरू होने से पहले ये प्रारंभिक मांगें थीं। चारों देशों ने कोपेनहेगन जलवायु शिखर सम्मेलन में संयुक्त रूप से कार्य करने की प्रतिबद्धता जताई थी। उन्होंने विकसित राष्ट्रों द्वारा उनकी सामान्य जरूरतों को पूरा नहीं किए जाने पर सामूहिक बहिर्गमन की बात कही थी। ​(भाषा)

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