चीन ने लगा दिया नया 'कंडोम टैक्स', जानें फिर क्यों जनसंख्या बढ़ाना चाहता है बीजिंग?
चीन ने आश्चर्यजनक रूप से अपने देश में कंडोम समेत अन्य गर्भ निरोधक वस्तुओं पर हाई टैक्स लगा दिया है। इसका मतलब साफ है कि बीजिंग फिर से अपने देश में जनसंख्या को बढ़ावा देना चाहता है। मगर ऐसा क्यों है?

बीजिंगः दुनिया का दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश चीन तीन दशक से अधिक समय बाद पहली बार गर्भनिरोधक दवाओं और उत्पादों पर मूल्य संवर्धित कर (VAT) की वसूली शुरू करने जा रहा है। इनमें कंडोम पर नया टैक्स लगाया जाना भी शामिल है। ताकि लोग इसका कम से कम इस्तेमाल कर सकें। इसका सीधा मकसद चीन में जनसंख्या को दोबारा बढ़ावा देना है। मगर चीन ऐसे क्यों चाहता है?...यह वही चीन है, जिसने पूरे देश में कभी 1 से अधिक बच्चे पैदा करने पर कई तरह के बैन लगा दिए थे। मगर अब भारत से जनसंख्या में पिछड़ने के बाद चीन को फिर से जनसंख्या बढ़ाने की सनक सवार हो गई है। जबकि चीन ने बमुश्किल से अपने देश में जनसंख्या पर नियंत्रण हासिल किया था।
चीन ने क्यों लगाया कंडोम पर टैक्स
चीन द्वारा कंडोम समेत अन्य गर्भ निरोधक दवाओं पर पर हाई टैक्स लगाना उसके उन प्रयासों का हिस्सा है, जिसमें दशकों तक अधिकांश परिवारों को एक बच्चे तक सीमित रखने के बाद अब लोगों को अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। मगर चीन ऐसा क्यों चाहता है। दोबारा चीन अपने देश में जनसंख्या क्यों बढ़ाना चाह रहा है। इस बारे में आपको आगे बताएंगे। मगर फिलहाल चीन के नए मूल्य संवर्धित कर कानून के अनुसार 1 जनवरी से "गर्भनिरोधक दवाएं और उत्पाद" कर-मुक्त श्रेणी में नहीं रहेंगे। कंडोम जैसे उत्पादों पर अब सामान्य 13 प्रतिशत वैट लगेगा जो अधिकांश वस्तुओं पर लागू होता है।
अनचाहे गर्भ और यौन संचारित रोगों में आ सकती है बाढ़
गंभीर बात यह है कि विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि गर्भनिरोधकों की बढ़ती कीमत के कारण अनचाहे गर्भधारण और यौन संचारित रोगों (STDs) में वृद्धि हो सकती है। सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की पुरानी "एक बच्चा नीति" करीब 1980 से 2015 तक सख्ती से लागू थी, जिसमें भारी जुर्माना, जबरन गर्भपात और अन्य दंड दिए जाते थे। निर्धारित सीमा से अधिक बच्चे होने पर उन्हें पहचान पत्र (हुकौ) नहीं मिलता था, जिससे वे तकनीकी रूप से गैर-चीनी नागरिक हो जाते थे। 2015 में इस सीमा को 2 बच्चों पर कर दिया गया और फिर 2021 में जनसंख्या चरम पर पहुंचने और फिर जन्मदर गिरते देख इसे तीन बच्चे कर दिया गया।
पहले मुफ्त में थे गर्भ निरोधक
जिन गर्भनिरोधकों पर चीन अब हाईटैक्स लगा रहा है, पहले वही आसानी से कई बार मुफ्त भी उपलब्ध थे। पांच साल की बच्ची की मां हू लिंगलिंग ने कहा, ऐसे में यह वाकई क्रूर कदम है। क्योंकि वह दूसरे बच्चे के लिए बिल्कुल तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा, "मैं तो विद्रोह में सबसे आगे रहूंगी-संयम का पालन करूंगी।" यह हास्यास्पद भी है, खासकर जब परिवार नियोजन युग में जबरन गर्भपात करवाए जाते थे।
चीन क्यों बढ़ाना चाहता है फिर से देश की आबादी
राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के अनुसार 2024 में चीन में केवल 95 लाख शिशु पैदा हुए, जो 2019 के 1.47 करोड़ की तुलना में लगभग एक-तिहाई कम है। मौतें जन्मों से अधिक होने के कारण 2023 में भारत ने चीन को पीछे छोड़कर दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया। वर्जीनिया विश्वविद्यालय की डेमोग्राफी रिसर्च ग्रुप की निदेशक कियान काई ने कहा, "इस कर का जन्म दर बढ़ाने में प्रभाव बहुत सीमित होगा। जो दंपति बच्चे नहीं चाहते या और बच्चे नहीं चाहते, उनके लिए गर्भनिरोधक पर 13% टैक्स कोई खास फर्क नहीं डालेगा, क्योंकि बच्चा पालने का खर्च उससे कहीं ज्यादा है।"विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक यी फूशियान ने कहा, "टैक्स लगाना तर्कसंगत ही है। पहले जनसंख्या नियंत्रित करते थे, अब बच्चे बढ़ाने को कह रहे हैं; ये उत्पादों को सामान्य वस्तु बनाने की सामान्य नीति की वापसी है।"ज्यादातर देशों की तरह चीन में भी गर्भनिरोधन की जिम्मेदारी मुख्य रूप से महिलाओं पर ही है।
चीन में कंडोम और गर्भनिरोधक उपायों की क्या है रिपोर्ट
बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के 2022 के शोध के अनुसार चीन में केवल 9% जोड़े कंडोम का इस्तेमाल करते हैं, जबकि 44.2% महिलाएं आईयूडी, 30.5% महिला नसबंदी और 4.7% पुरुष नसबंदी करवाते हैं। बाकी गोलियां या अन्य तरीके अपनाते हैं। सरकार के लंबे समय तक निजी जीवन और शरीर में दखल के इतिहास को देखते हुए कई महिलाएं इस नए प्रयास से नाराज हैं कि उनकी प्रजनन संबंधी व्यक्तिगत पसंद को फिर से प्रभावित किया जा रहा है। जियांगशी प्रांत के पिंगशियांग में 32 वर्षीया शिक्षिका ज़ौ शुआन ने कहा, "यह एक अनुशासनात्मक रणनीति है, महिलाओं के शरीर और मेरी यौन इच्छा पर नियंत्रण है।"
चीन में कितनी है कंडोम की खपत
चीन में सालाना कंडोम की खपत का कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है, लेकिन IndexBox की एक रिपोर्ट के अनुसार 2020 में 5.4 अरब कंडोम की खपत हुई थी, जो लगातार 11वें साल बढ़ोतरी थी। विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि कंडोम के उपयोग में कमी से सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरा बढ़ सकता है। कियान काई ने कहा, "कीमत बढ़ने से आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों तक गर्भनिरोधक साधनों की पहुंच कम हो सकती है, जिससे अनचाही गर्भावस्था और यौन संचारित संक्रमण बढ़ सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप अधिक गर्भपात और स्वास्थ्य देखभाल पर अधिक खर्च होगा।"
चीन में होता है दुनिया का सर्वाधिक गर्भपात
चीन में गर्भपात की संख्या दुनिया में सबसे अधिक है । राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के अनुसार चीन में साल 2014-2021 के बीच हर साल 90 से 100 लाख गर्भपात हुए। विशेषज्ञों का कहना है कि असल संख्या और अधिक हो सकती है क्योंकि कई लोग अवैध क्लिनिक में जाते हैं। 2022 से चीन गर्भपात के आंकड़े प्रकाशित करना बंद कर चुका है। यौन संचारित संक्रमण भी बढ़ रहे हैं। 2024 में गोनोरिया के 1 लाख से अधिक और सिफलिस के 6.7 लाख मरीज दर्ज किए गए। खासकर बुजुर्गों में HIV/AIDS के मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है, जो 2024 में लगभग 14 लाख तक पहुंच गई।(एपी)
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