Friday, December 12, 2025
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बांग्लादेश में चुनाव से पहले राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग तेज, BNP और छात्र आंदोलन में उभरा मतभेद; इधर वेंटीलेटर पर खालिदा

बांग्लादेश में चुनाव से पहले ही राजनीतिक घमासान तेज होता जा रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी और छात्र आंदोलन के बीच मौजूदा राष्ट्रपति के इस्तीफे को लेकर विवाद गहरा गया है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Dec 12, 2025 11:19 am IST, Updated : Dec 12, 2025 11:19 am IST
बांग्लादेश में इलेक्शन की मांग को लेकर सड़क पर बीएनपी कार्यकर्ता (फाइल)- India TV Hindi
Image Source : AP बांग्लादेश में इलेक्शन की मांग को लेकर सड़क पर बीएनपी कार्यकर्ता (फाइल)

ढाका: बांग्लादेश में चुनाव से पहले ही राष्ट्रपति मोहम्मद शाहाबुद्दीन के इस्तीफे की मांग को लेकर राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। द डेली स्टार की खबर के अनुसार विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और एंटी-डिस्क्रिमिनेशन स्टूडेंट मूवमेंट के बीच इस मुद्दे पर गहरे मतभेद उभर आए हैं। हालांकि मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने अभी तक कोई स्पष्ट रुख नहीं अपनाया है, लेकिन हाल के बयानों से संकेत मिल रहे हैं कि राष्ट्रपति चुनाव के बाद खुद ही पद छोड़ने को तैयार हैं। यह घमासान ऐसे वक्त में तेज हुआ है, जब बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया लगातार खराब सेहत के चलते वेंटीलेटर पर चली गई हैं। उनकी हालत पहले से अधिक नाजुक हो गई है। 

बीएनपी छात्र आंदोलन की मांगों का क्यों कर रही विरोध?

बीएनपी ने राष्ट्रपति के पद को खाली करने के किसी भी प्रयास का कड़ा विरोध किया है। बुधवार दोपहर मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस के साथ बैठक के बाद बीएनपी के स्टैंडिंग कमिटी सदस्य नजूरुल इस्लाम खान ने पत्रकारों को बताया कि इस समय राष्ट्रपति पद खाली होने से "राज्य संकट में फंस जाएगा और संवैधानिक शून्य पैदा हो जाएगा", जो राष्ट्र की इच्छा के विरुद्ध है। उन्होंने कहा, "पतनशील तानाशाह के चाटुकार यदि कोई संवैधानिक या राजनीतिक संकट पैदा करने की कोशिश करेंगे, तो प्रजातांत्रिक राजनीतिक दल और विभिन्न संगठन मिलकर इसका सामना करेंगे।"

खान ने सभी पक्षों से सतर्क रहने और नया संकट न पैदा करने की अपील की। बैठक में विधि सलाहकार आसिफ नजूरुल और मुख्य सलाहकार के विशेष सहायक महफूज आलम भी मौजूद थे। बीएनपी के अन्य सदस्यों अमीर खासरू महमूद और सलाहुद्दीन अहमद ने भी यही रुख दोहराया। गुलशन स्थित बीएनपी चेयरपर्सन कार्यालय में सलाहुद्दीन ने कहा, "राष्ट्रपति पद देश का सर्वोच्च संवैधानिक पद और संस्था है। इस्तीफा या हटाने से संवैधानिक और राष्ट्रीय संकट पैदा होगा।


छात्र आंदोलन की है ये मांग


छात्र आंदोलन की मांग है कि 1972 का संविधान को खत्म करो, राष्ट्रपति को हटाओ। दूसरी ओर, एंटी-डिस्क्रिमिनेशन स्टूडेंट मूवमेंट और जातीय नागरिक कमिटी ने बुधवार शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रीय एकता की अपील की। उन्होंने 1972 के संविधान को रद्द करने और राष्ट्रपति शाहाबुद्दीन को हटाने की मांग दोहराई। मूवमेंट के कन्वेनर हसनत अब्दुल्लाह ने कहा, "आवामी लीग, छात्र लीग और जातीय पार्टी को छोड़कर सभी दलों से राष्ट्रीय एकता में शामिल होने का आह्वान किया। यदि कोई दल 1972 संविधान रद्द करने और राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग में हमसे नहीं जुड़ेगा, तो हम उनका बहिष्कार करेंगे। यह संविधान राजनीतिक संकट को लंबा खींचता है और फासीवादी ढांचे को मजबूत करता रहा है।"उन्होंने शेख हसीना का हवाला देते हुए कहा, "हसीना हमेशा कहती रहीं कि 'संवैधानिक निरंतरता बनाए रखनी है। जब भी इस्तीफा या केयरटेकर गवर्नमेंट पर चर्चा होती, वे इसी संविधान का हवाला देतीं।" 


प्रदर्शनकारियों से संयम बरतने की अपील

अब्दुल्लाह ने बांगभवन के पास प्रदर्शनकारियों से संयम बरतने और मूवमेंट पर भरोसा करने को कहा। जातीय नागरिक कमिटी के सदस्य नासिर उद्दीन पतवारी ने कहा, "हम राजनीतिक एलीट से बात कर रहे हैं, लेकिन राउंडटेबल डिस्कशन नहीं चाहते। मुद्दों का समाधान सड़कों पर ही होगा। उन्होंने कहा कि शेख हसीना ने सड़कों पर जवाबदेही से बचने की कोशिश की। वहीं अंतरिम सरकार के सूचना सलाहकार नहिद इस्लाम ने कहा कि राष्ट्रपति पर कोई फैसला कानूनी या संवैधानिक प्रक्रिया से नहीं, बल्कि राजनीतिक सहमति और राष्ट्रीय एकता से लिया जाएगा।

"इंटरिम गवर्नमेंट सभी हितधारकों से परामर्श कर रही है... राष्ट्रपति का पद रहना या न रहना अब कानूनी मुद्दा नहीं, राजनीतिक है। स्थिरता, सुरक्षा और अनुशासन को प्राथमिकता दे रहे हैं।"उन्होंने प्रदर्शनकारियों से धरना न देने की अपील की, क्योंकि सरकार को उनका संदेश मिल चुका है।  मुख्य सलाहकार के प्रेस सेक्रेटरी शफीकुल आलम ने कहा कि राष्ट्रपति को हटाने पर कोई फैसला नहीं हुआ है। "किसी भी विकास पर सूचित करेंगे।


कैसे हुई इस विवाद की शुरुआत

यह बहस रविवार को दैनिक 'मानव ज़मीन' की पत्रिका 'जनता के चोख' में छपी राष्ट्रपति की उस टिप्पणी से शुरू हुई, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें शेख हसीना का इस्तीफा मिलने की खबर सुनाई दी, लेकिन कोई दस्तावेजी प्रमाण नहीं मिला। "मैंने कई बार इस्तीफा पत्र इकट्ठा करने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहा। शायद उन्हें समय नहीं मिला।"सोमवार को विधि सलाहकार आसिफ नजूरुल ने राष्ट्रपति पर झूठ बोलने का आरोप लगाया और उनकी मानसिक क्षमता पर सवाल उठाया। इसके बाद छात्र संगठनों ने इस्तीफे की मांग की। मंगलवार को रक्तिम जुलाई 2024 और शादीनता-शर्वभौमोत्तो रक्षा कमिटी के सैकड़ों प्रदर्शनकारी बांगभवन की सुरक्षा घेराबंदी तोड़ने की कोशिश में नाकाम रहे। बांगभवन पर चार परतों वाली कड़ी सुरक्षा है, लेकिन प्रदर्शनकारी कभी-कभी इकट्ठा होते रहे हैं। 

चुनाव बाद इस्तीफे को तैयार राष्ट्रपति

इस बीच खबर है कि बांग्लादेश के राष्ट्रपति चुनाव के बाद इस्तीफा देने को तैयार हैं। राष्ट्रपति शाहाबुद्दीन ने एक विदेशी एजेंसी को दिए इंटरव्यू में कहा है कि वे फरवरी चुनाव के बाद पद छोड़ना चाहते हैं। उन्होंने यूनुस सरकार द्वारा "अपमानित" महसूस करने का हवाला दिया, जिसमें सात महीनों से कोई मुलाकात न होना, प्रेस विभाग हटाना और दूतावासों से तस्वीरें उतारना शामिल है। "मैं जाना चाहता हूं... लेकिन चुनाव तक बने रहूंगा।"

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