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Hindi News विदेश अमेरिका 'भारत को मिलनी चाहिए UNSC की स्थायी सीट', एलन मस्क ने यूएन को दे डाली बड़ी सलाह

'भारत को मिलनी चाहिए UNSC की स्थायी सीट', एलन मस्क ने यूएन को दे डाली बड़ी सलाह

बीते लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र संघ में सुधार और संशोधनों को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। हालांकि, अब तक इसमें कोई भी बदलाव नहीं आया है। अब दिग्गज कारोबारी एलन मस्क नमे भी इस मामले में बड़ा बयान दिया है।

एलन मस्क ने किया भारत का समर्थन।- India TV Hindi Image Source : REUTERS एलन मस्क ने किया भारत का समर्थन।

संयुक्त राष्ट्र संघ पर बीते कुछ समय से लगातार निशाना साधा जा रहा है। कारण है उसका प्रभावी न होना और अपने में बदलाव न करना। ये संस्था द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से अब तक जस की तस ही है। भले ही पूरी दुनिया इतने सालों में क्यों न बदल गई हो। भारत समेत विभिन्न देश यूएन के निकायों में संशोधन की लगातार मांग कर रहे हैं। दुनिया के विभिन्न देशों ने सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सीट देने का कई बार समर्थन किया है। ऐसे समय में दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क भी भारत के समर्थन में खड़े हो गए हैं। 

भारत को स्थायी सीट नहीं मिलना बेतुका

ट्विटर, टेस्ला जैसी कई अन्य दिग्गज कंपनियों के चीफ एलन मस्क ने यूएन में संशोधन करने की बात कही है। मस्क ने कहा है कि कुछ बिंदु पर संयुक्त राष्ट्र निकायों में संशोधन की आवश्यकता है। धरती पर सबसे अधिक आबादी वाला देश होने के बावजूद भारत को सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट नहीं मिलना बेतुका है। मस्क ने कहा कि अफ्रीका को भी सामूहिक रूप से एक स्थायी सीट मिलनी चाहिए। 

20वीं सदी का दृष्टिकोण 21वीं सदी में नहीं चलेगा- पीएम मोदी

इससे पहले भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कई बार यूएन में संशोधन की मांग कर चुके हैं। पीएम मोदी ने कहा था कि 20वीं सदी के मध्य का दृष्टिकोण 21वीं सदी में दुनिया की सेवा नहीं कर सकता। उन्होंने कहा था कि अब वैश्विक संस्थानों को बदलती वास्तविकताओं को पहचाना चाहिए और अपने मंचों का विस्तार करना चाहिए। इसके साथ ही जो आवाज मायने रखती हैं उनका प्रतिनिधित्व भी सुनिश्चित करना चाहिए। 

चीन लगा रहा अड़ंगा?

भारत सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए पांच स्थायी सदस्यों- ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस और अमेरिका के साथ आने की कोशिशें कर रहा है। चीन को छोड़कर सभी देश समय-समय पर भारत को स्थायी सदस्य बनाने के लिए समर्थन देते रहते हैं। हालांकि, जानकारों का मानना है कि चीन संयुक्त राष्ट्र में एशिया की तरफ से अकेले ही एक बड़ी आवाज रहना चाहता है। 

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