Friday, December 13, 2024
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सड़क हादसों में घायलों को अस्पतालों में मिलेगा मुफ्त इलाज, सरकार उठाने जा रही यह बड़ा कदम

जैन ने कहा, "सड़क हादसे को घायलों को कैशलेस इलाज नजदीकी अस्पतालों में मोटर वाहन अधिनियम में परिभाषित 'गोल्डन ऑवर' के दौरान मुहैया कराया जाएगा।" किसी हादसे में घायल हुए लोगों की जान बचाने के लिहाज से हादसे के एक घंटे के भीतर का समय काफी अहम माना जाता है और इसे चिकित्सा जगत में 'गोल्डन ऑवर' कहा जाता है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Dec 04, 2023 19:09 IST, Updated : Dec 04, 2023 19:09 IST
Road Accident - India TV Paisa
Photo:FILE सड़क दुर्घटना

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय सड़क हादसों में घायल होने वाले लोगों को देश भर में कैशलेस इलाज की सुविधा अगले तीन-चार महीनों में शुरू करने की तैयारी में है। एक शीर्ष अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग सचिव अनुराग जैन ने यहां सड़क परिवहन पर आयोजित एक कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा कि भारत में सड़क हादसों में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या दुनिया में सबसे अधिक है। इसे कम करने के लिए सरकार पीड़ितों को फौरन चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने की योजना बना रही है। जैन ने कहा, "सड़क हादसों में घायल होने वाले लोगों को मुफ्त एवं कैशलेस चिकित्सा सुविधा मुहैया कराना संशोधित मोटर वाहन अधिनियम, 2019 का हिस्सा है। 

देश भर में कैशलेस इलाज लागू करने की तैयारी 

कुछ राज्यों ने इसे लागू किया है लेकिन अब स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ मिलकर सड़क परिवहन मंत्रालय इसे देश भर में लागू करने जा रहा है।" इसके साथ ही परिवहन सचिव ने कहा कि घायलों के लिए कैशलेस इलाज की देश भर में सुविधा तीन-चार महीनों में शुरू हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत सड़क हादसों के पीड़ितों को घटनास्थल के नजदीकी समुचित अस्पताल में कैशलेस ट्रॉमा देखभाल देने की संकल्पना की गई है। यह कदम उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुरूप होगा और इसके लिए मोटर वाहन संशोधन अधिनियम, 2019 से अधिकार मिले हैं। 

मोटर वाहन अधिनियम के तहत मिलेगा इलाज 

जैन ने कहा, "सड़क हादसे को घायलों को कैशलेस इलाज नजदीकी अस्पतालों में मोटर वाहन अधिनियम में परिभाषित 'गोल्डन ऑवर' के दौरान मुहैया कराया जाएगा।" किसी हादसे में घायल हुए लोगों की जान बचाने के लिहाज से हादसे के एक घंटे के भीतर का समय काफी अहम माना जाता है और इसे चिकित्सा जगत में 'गोल्डन ऑवर' कहा जाता है। इसके साथ ही जैन ने कहा कि सड़क हादसों में कमी लाने के लिए मंत्रालय लोगों को शिक्षित और जागरूक करने की पहल भी कर रहा है। इसी क्रम में शिक्षा मंत्रालय स्कूलों और कॉलेज के पाठ्यक्रमों में सड़क सुरक्षा को भी शामिल करने के लिए सहमत हो गया है।

सुरक्षा के लिए उठाए गए कई कदम 

उन्होंने कहा, "वाहनों की इंजीनियरिंग से संबंधित बदलावों के लिए कई कदम उठाए गए हैं जिनमें सीट बेल्ट पहनने की याद दिलाने वाले संकेत और वाहनों की सुरक्षा संबंधी मानक 'भारत एनकैप' को भी पहली बार जारी किया गया है।" इस मौके पर इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एजुकेशन (आईआरटीई) के अध्यक्ष रोहित बलूजा ने कहा कि सम्मेलन में शामिल हो रहे सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ सड़क हादसों की जांच एवं विश्लेषण करेंगे।

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