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मिलों और स्टॉकिस्ट के तेल-तिलहन स्टॉक की जांच करेंगे राज्य, केंद्र ने दिया निर्देश

तेल-तिलहन के दाम में हाल के दिनों में कुछ नरमी जरुर आई है लेकिन पीछे दाम में तेजी देखी गई थी। आगे त्यौहारी सीजन में दाम में फिर तेजी ना आए इसे लेकर केंद्र ने राज्यों से कंपनियों के स्टॉक की जांच करने के आदेश दिए है।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: September 10, 2021 22:17 IST
मिलों और स्टॉकिस्ट के तेल-तिलहन स्टॉक की जांच करेंगे राज्य, केंद्र ने दिया निर्देश- India TV Paisa
Photo:PIXBAY

मिलों और स्टॉकिस्ट के तेल-तिलहन स्टॉक की जांच करेंगे राज्य, केंद्र ने दिया निर्देश

नई दिल्ली: खाद्य तेल के दाम में लगातार बढ़ोतरी के बीच केंद्र ने शुक्रवार को राज्यों से कहा कि वे खुदरा विक्रेताओं को उपभोक्ताओं के लाभ के लिए सभी खाद्य तेल ब्रांडों की कीमतों को प्रमुखता से प्रदर्शित करने का निर्देश दें। इसके साथ ही थोक व्यापारी, मिल मालिक और तेल रिफाइनिंग मिल के स्तर पर किसी प्रकार की जमाखोरी के खिलाफ कार्रवाई करें। राज्यों के प्रतिनिधियों और तेल उद्योग के अंशधारकों के साथ बैठक के बाद, केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने व्यापारियों पर स्टॉक सीमा लगाने के साथ-साथ खाद्य तेलों के लिए एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) तय करने की संभावना पर भी जोर दिया। उनका कहना था कि एक बेहतर प्रतिस्पर्धी माहौल में बाजार की ताकतें इन दरों का निर्धारण करेंगी। 

पांडे ने कहा कि सरकार कीमतों को कम करने के लिए किए गए विभिन्न उपायों के प्रभाव का विश्लेषण करने के बाद मौजूदा आयात शुल्क व्यवस्था को लेकर फैसला करेगी। उनके अनुसार, इस महीने के अंत तक नई खरीफ फसल की आवक, वैश्विक बाजारों में कीमतों में गिरावट और केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से खाद्य तेल की कीमतों में कमी आने की उम्मीद है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार का मौजूदा ध्यान, आपूर्ति श्रृंखला में पारदर्शिता सुनिश्चित करने पर है। पांडे ने कहा कि आज की बैठक में राज्यों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि खुदरा विक्रेता ‘‘खाद्य तेलों की दरों को प्रमुखता से प्रदर्शित करें।’’ 

यह पूछे जाने पर कि क्या खाद्य तेलों पर आयात शुल्क को और कम करने की योजना है, उन्होंने कहा, ‘‘हमने कुछ कदम उठाए हैं, हम देखेंगे कि कीमतों पर असर कैसा है और फिर उसके बाद सरकार फैसला करेगी।’’ कीमतों के व्यवहार का विश्लेषण करने के बाद इस बात का फैसला किया जाएगा कि क्या सितंबर के बाद कुछ खाद्य तेलों पर कम आयात शुल्क जारी रखा जाए या नहीं। सरकार ने 30 सितंबर तक के लिए कच्चे पाम तेल (सीपीओ) पर आयात शुल्क 35.75 प्रतिशत से घटाकर 30.25 प्रतिशत की है जबकि रिफाइंड पाम तेल पर आयात शुल्क 49.5 प्रतिशत से घटाकर 41.25 प्रतिशत किया गया है। 

रिफाइंड सोया तेल और सूरजमुखी तेल पर भी आयात शुल्क सितंबर अंत तक 45 प्रतिशत से घटाकर 37.5 प्रतिशत कर दिया गया है। पिछले एक साल में देश में खुदरा खाद्य तेल की कीमतें 41 से 50 फीसदी तक बढ़ी हैं। हालांकि, पांडे ने यह माना कि उत्पादन बढ़ाने में समय लगता है और त्योहारी सत्र के दौरान खाद्य तेल सस्ती दरों पर उपलब्ध हों, यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल उपाय करने की आवश्यकता थी। 

सचिव ने कहा कि देश, ज्यादातर खाद्य तेलों का आयात कच्चे रूप में करता है और इसे स्थानीय स्तर पर रिफाइंड किया जाता है। इसलिए, प्रत्येक स्तर पर स्टॉक की निगरानी से यह जानने में मदद मिलेगी कि खाद्य तेल कितनी जल्दी रिफाइंड हो रहे हैं और बाजार में आ रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार की स्टॉक सीमा लगाने की योजना है, पांडे का जवाब नहीं में था। पांडे ने कहा कि ऐसी उम्मीद है कि तिलहन के तहत रबी (सर्दियों) की फसल का रकबा अधिक होगा क्योंकि सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की है ताकि किसानों को तिलहन उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। उन्होंने कहा, ‘‘इन सभी उपायों से सरकार को उम्मीद है कि उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।’’

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