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चालू खाते का अधिशेष दूसरी तिमाही मे कम होकर 15.5 अरब डॉलर के स्तर पर

आरबीआई के आंकड़े के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में चालू खाते का अधिशेष जीडीपी का 3.1 प्रतिशत रहा जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही में चालू खाते का घाटा 1.6 प्रतिशत रहा था।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: December 30, 2020 21:33 IST
करंट अकाउंट सरप्लस...- India TV Paisa
Photo:PTI/FILE

करंट अकाउंट सरप्लस में आई कमी

नई दिल्ली। देश का चालू खाते का अधिशेष (Current Account Surplus) मौजूदा वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में कम होकर 15.5 अरब डॉलर रह गया। यह तिमाही के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.4 प्रतिशत है। भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को कहा कि इससे पूर्व तिमाही अप्रैल-जून में यह 19.2 अरब डॉलर रहा था जो कि उस तिमाही में जीडीपी का 3.8 प्रतिशत था। पिछले वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही में चालू खाते का घाटा 7.6 अरब डॉलर रहा था। यह उस तिमाही के दौरान जीडीपी का 1.1 प्रतिशत था।

आरबीआई के आंकड़े के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में चालू खाते का अधिशेष जीडीपी का 3.1 प्रतिशत रहा जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही में चालू खाते का घाटा 1.6 प्रतिशत रहा था। वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही में चालू खाते के अधिशेष में कमी का कारण वस्तु व्यापार घाटा में वृद्धि है जो 14.8 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इससे पिछली तिमाही में यह 10.8 अरब डॉलर था।

नवंबर के महीने में भारत का निर्यात 9 फीसदी की गिरावट के साथ 23.43 अरब डॉलर के स्तर पर आ गया है। वहीं आयात 13.33 फीसदी की गिरावट के साथ 33.39 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। आयात में तेज गिरावट की वजह से व्यापार घाटा भी कम होकर 9.96 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। वहीं देश के निर्यात में चालू वित्त वर्ष के पहले आठ माह यानि अप्रैल से नवंबर के दौरान 17.84 प्रतिशत की गिरावट रही है। इस दौरान आयात भी 33.56 प्रतिशत घटा है। निर्यात के मुकाबले आयात में तेज गिरावट दर्ज होने की वजह से इस अवधि के दौरान व्यापार घाटा भी नीचे आया है। सरकार के मुताबिक 2020-21 में अप्रैल से नवंबर के दौरान निर्यात 17.84 प्रतिशत घटा है। अगर रत्न एवं आभूषण तथा पेट्रोलियम को अलग कर दें, तो यह गिरावट कम रही है। ऐसे क्षेत्र जहां आर्थिक गतिविधियां मूल्धवर्धन की दृष्टि से अर्थपूर्ण रही हैं, उनमें गिरावट कम है।’’

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