तंबाकू को लेकर चल रहे विवाद ने अब एक नया मोड़ ले लिया है। किसान महासंघ ने केंद्र सरकार से अपील करते हुए किसानों के ऊपर पड़ रहे अतिरिक्त बोझ को कम करने को कहा है।
अखिल भारतीय किसान संघों के महासंघ (एफएआईएफए) ने कहा कि तंबाकू की फसल को किसी भी अन्य कृषि उत्पाद की तरह माना जाना चाहिए और भारत में कानूनी रूप से निर्मित तंबाकू उत्पादों पर टैक्स बोझ कम किया जाना चाहिए क्योंकि यह इसके उत्पादकों पर बुरा प्रभाव डाल रहा है। अपनी बजट-पूर्व मांग में एफएआईएफए ने तंबाकू क्षेत्र के लिए निर्यातित उत्पादों पर लगाये गये टैक्स के रिफंड (आरओडीटीईपी) लाभ का विस्तार किये जाने की भी मांग की है।
गैरजरूरी कदम नहीं उठाने का आग्रह
यह संगठन आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और गुजरात में वाणिज्यिक फसलों के किसानों और कृषि श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करता है। एफएआईएफए के अध्यक्ष जावरे गौड़ा ने बयान में कहा, ‘‘हम नीति-निर्माताओं से आगामी केंद्रीय बजट में उचित और निष्पक्ष होने का आग्रह करते हैं और वे कोई ऐसा कदम न उठायें जो तंबाकू किसानों की आजीविका पर गंभीर परिणामों के साथ कानूनी रूप से चलने वाले घरेलू उद्योग को प्रभावित करता हो।’’
भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा अवैध सिगरेट बाजार
एफएआईएफए ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मांग की है कि तंबाकू की फसल को किसी भी अन्य कृषि उत्पाद की तरह लें और भारत में कानूनी रूप से निर्मित उत्पादों पर टैक्सों का अतिरिक्त बोझ न डालें, क्योंकि इससे तंबाकू किसानों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।’’ इसमें कहा गया है कि बढ़ते मनमाने टैक्सों की वजह से भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा अवैध सिगरेट बाजार बन गया है। एफएआईएफए ने यह भी कहा कि उत्पादक तंबाकू क्षेत्र के लिए आरओ-डीटीईपी के तहत मिलने वाले लाभ का विस्तार चाहते हैं।