Highlights
- 71 प्रतिशत बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भारत को एक आकर्षक निवेश गंतव्य माना
- 96 प्रतिशत कंपनियों ने कहा कि वे भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में सकारात्मक
- वित्त वर्ष 2021-22 में 84.8 अरब डॉलर की रिकॉर्ड एफडीआई आवक हुई
FDI inflows: सुधारों और आर्थिक वृद्धि पर ध्यान देकर भारत अगले पांच वर्षों में 475 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) हासिल कर सकता है। ईवाई और सीआईआई की संयुक्त रूप से तैयार रिपोर्ट - 'विजन विकसित भारत-एमएनसी के लिए अवसर तथा अपेक्षाएं' में यह अनुमान जताया गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, 71 प्रतिशत बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी) ने अपने वैश्विक विस्तार के लिए भारत को एक आकर्षक निवेश गंतव्य माना, जबकि 96 प्रतिशत ने कहा कि वे काफी लंबे समय के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में सकारात्मक हैं। एमएनसी ने जीएसटी लागू किए जाने, विभिन्न क्षेत्रों में सरकार द्वारा डिजिटल प्रथाओं को बढ़ावा देने और कराधान में पारदर्शिता सहित अन्य सुधारों की सराहना की।
भारतीय अर्थव्यवस्था बेहतर प्रदर्शन करेगी
इस सर्वेक्षण के अनुसार ज्यादातर बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लगता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अगले तीन-पांच वर्षों में काफी बेहतर प्रदर्शन करेगी। ईवाई-सीआईआई की रिपोर्ट कहती है, ''भारत सुधार और आर्थिक वृद्धि पर ध्यान देकर अगले पांच वर्षों में 475 अरब अमेरिकी डॉलर का एफडीआई पाने का अवसर तैयार कर सकता है।'' भारत में पिछले दशक में एफडीआई में लगातार वृद्धि देखी गई है। वित्त वर्ष 2021-22 में 84.8 अरब डॉलर की रिकॉर्ड एफडीआई आवक हुई।
जीएसटी में जरूरी सुधार हों
ईवाई इंडिया के पार्टनर (कर एवं नियामक सेवाएं) सुधीर कपाड़िया ने कहा, ''भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में एक उभरते हुए विनिर्माण केंद्र, बढ़ते उपभोक्ता बाजार और सरकारी तथा निजी क्षेत्रों के डिजिटल परिवर्तन में एक वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में देखा जा रहा है।'' सर्वेक्षण में कहा गया कि एमएनसी को सरकार से उम्मीद है कि वह कारोबारी सुगमता को जारी रखे, बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को तेजी से पूरा करे, मुक्त व्यापार समझौते शीघ्रता से किए जाएं तथा जीएसटी में जरूरी सुधार हों।
रियल एस्टेट में निजी इक्विटी निवेश घटा
खुदरा रियल एस्टेट क्षेत्र में निजी इक्विटी (पीई) निवेश इस साल जनवरी-सितंबर के दौरान 63 प्रतिशत गिरकर 30.3 करोड़ अमेरिकी डॉलर रह गया। नाइट फ्रैंक के अनुसार इस दौरान निवेशक उच्च मुद्रास्फीति के चलते खपत पर पड़ने वाले असर को लेकर चिंतित थे। पिछले साल की समान अवधि में खुदरा रियल एस्टेट क्षेत्र में निजी इक्विटी निवेश 81.7 करोड़ अमरीकी डॉलर था। रियल एस्टेट सलाहकार नाइट फ्रैंक इंडिया ने 'भारत में निजी इक्विटी निवेश के रुझान' शीर्षक से जारी एक रिपोर्ट में कहा, ''निवेशकों ने खुदरा क्षेत्र से परहेज किया, क्योंकि उन्हें उच्च मुद्रास्फीति के किसी नकारात्मक असर के बारे में चिंता है।'' हालांकि, सलाहकार फर्म को लगता है कि खुदरा क्षेत्र में निवेश आता रहेगा, क्योंकि इसकी वृद्धि संभावनाओं में तेजी बनी हुई है।