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Green Fuel: भारत में 5 साल बाद Petrol की जरूरत होगी खत्म, अब इस फ्यूल पर चलेंगे आपके कार और स्कूटर

गडकरी ने Green Hydrogen, एथेऩॉल और अन्य हरित ईंधन के उपयोग पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आपकी कारें और स्कूटर पूरी तरह हरित हाइड्रोजन, एथेनॉल, CNG या LNG पर आधारित होंगे।

Sachin Chaturvedi Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: July 09, 2022 15:55 IST
Nitin Gadkari- India TV Paisa
Photo:FILE Nitin Gadkari

Green Fuel: क्या आपको महंगे पेट्रोल डीजल से राहत मिलने वाली है? जी नहीं, हम इलेक्ट्रिक व्हीकल की घिसी पिटी बात नहीं कर रहे हैं। बल्कि यहां बात हो रही है ग्रीन फ्यूल्स की, जिसमें एथेनॉल और हाइड्रोजन जैसे विकल्प शामिल हैं। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने पांच साल बाद देश में सभी वाहनों में हरित ईंधन के इस्तेमाल होने का भरोसा जताया है। 

गडकरी ने उम्मीद जताई है कि आने वाले सालों में वाहनों में पेट्रोल की उपयोगिता पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। गडकरी ने महाराष्ट्र के अकोला में एक बयान में यह बात कही। यहां भाषण के दौरान उन्होंने हरित हाइड्रोजन, एथेऩॉल और अन्य हरित ईंधन के उपयोग पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "मुझे पूरा विश्वास है कि पांच साल बाद देश से पेट्रोल खत्म हो जाएगा। आपकी कारें और स्कूटर पूरी तरह हरित हाइड्रोजन, एथेनॉल, सीएनजी या एलएनजी पर आधारित होंगे।" 

फ्लेक्‍स-फ्यूल का दे चुके हैं सुझाव

इसस पहले गडकरी फ्लेक्स फ्यूल यानी वैकल्पिक ईंधन से चलने वाली गाड़ियां पेश करने पर जोर दे चुके हैं। बीते दिनों गडकरी ने कार विनिर्माताओं से फ्लेक्स इंजन के देश में उत्पादन को प्राथमिकता देने को कहा था। गडकरी के अनुसार देश में एथेनॉल अब आसानी से उपलब्ध होने लगा है। देश में पेट्रोल की 70 प्रतिशत खपत दोपहिया वाहनों द्वारा की जाती है। ऐसे में फ्लेक्स ईंधन वाहनों के लिए घरेलू प्रौद्योगिकी विकसित करने की जरूरत है।

कैसे करता है फ्लेक्स इंजन काम

इस इंजन में एक तरह के ईंधन मिश्रण सेंसर यानि फ्यूल ब्लेंडर सेंसर का इस्तेमाल होता है।  यह मिश्रण में ईंधन की मात्रा के अनुसार खुद को अनुकूलित करता है। ये सेंसर एथेनॉल/ मेथनॉल/ गैसोलीन का अनुपात, या फ्यूल की अल्कोहल कंसंट्रेशन को रीड करता है। इसके बाद यह इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल मॉड्यूल को एक संकेत भेजता है और ये कंट्रोल मॉड्यूल तब अलग-अलग फ्यूल की डिलीवरी को कंट्रोल करता है। फ्लेक्स इंजन वाली गाड़ियां बाय-फ्यूल इंजन वाली गाड़ियों से काफी अलग होती हैं। बाय-फ्यूल इंजन में अलग-अलग टैंक होते हैं, जबकि फ्लेक्स फ्यूल इंजन में आप एक ही टैंक में कई तरह के फ्यूल डाल सकते हैं। यह इंजन खास तरीके से डिजाइन किए जाते हैं।

विदेशों में चलती हैं ऐसी गाड़ियां

फ्लेक्स इंजन वाली कार में इथेनॉल के साथ गैसोलीन का इस्तेमाल हो सकता है और मेथनॉल के साथ गैसोलीन का इस्तेमाल हो सकता है। इसमें इंजन अपने हिसाब से इसे डिजाइन कर लेता है। फिलहाल ज्यादातर इसमें इथेनॉल का इस्तेमाल होता है। ब्राजील, अमेरिका, कनाडा और यूरोप में ऐसी कारें काफी चलती हैं।

हाइड्रोजन कार पर सवार हो चुके हैं गडकरी 

केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी बीत संसद सत्र के दौरान टोयटा की हाइड्रोजन कार मिराई से संसद पहुंचे। इसके बार चर्चा जोरों पर हैं कि भारत में जल्द इलेक्ट्रिक के बाद हाइड्रोजन कार सड़कों पर फर्राटा मारती हुई दिखाई देगी। अगर आपके मन में भी हाइड्रोजन कार को लेकर सवाल उठ रहे होंगे कि कैसी यह दूसरी कार से अलग होगी? किन खूबियों के कारण इसे भविष्य की कार कही जा रही है? तो आइए हम आपको इस कारे के बार में सारी जानकारी आपको दे रहे हैं। 

इलेक्ट्रिक कार से कैसे अलग?

आपके मन में पहला सवाल उठ रहा होगा कि अभी तो इलेक्ट्रिक कार लाने पर जोर ​दिया जा रहा है। फिर यह हाइड्रोजन कार उससे अलग कैसे होगी? बाता दें कि इलेक्ट्रिक कार और हाइड्रोजन कार में बड़ा अंतर है। इलेक्ट्रिक कार में बड़े साइज की लीथियम आयन बैटरी लगी होती है। उससे एनर्जी लेकर कार में लगी मोटर पहियों को पावर देती है। पर हाइड्रोजन गाड़ियों के साथ ऐसा नहीं है। इसमें बैटरी तो होती है लेकिन एकदम छोटी। इसमें हाइड्रोजन फ्यूल टैंक होता है जिसमें हाइड्रोजन फ्यूल सेल विखंडित होकर एनर्जी पैदा करते हैं। इसमें लगी बैटरी उस एनर्जी को कुछ देर स्टोर करके इलेक्ट्रिक मोटर तक पहुंचा देती है। यानी हाइड्रोजन इसमें फ्यूल का काम करती है। इसे चार्ज नहीं करना पड़ता, बल्कि इसमें खास हाइड्रोजन फिलिंग स्टेशन से हाइड्रोजन फ्यूल भरवाया जाता है। इसकी एक खूबी बड़ी अच्छी है। 

हाइड्रोजन ईंधन का स्रोत क्या होगा? 

पेट्रोल की तरह हाइड्रोजन ईंधन को कोई भंडार नहीं है। इसे नेचुरल गैस या बायोमास या पानी के जरिये विखंडित करके बनाया जाता है। आइसलैंड में हाइड्रोजन उत्पादन के लिए भू-तापीय ऊर्जा या जियोथर्मल एनर्जी का उपयोग किया जा रहा है।

हाइड्रोजन फ्यूल के फायदे?

हाइड्रोजन ईंधन अधिक कारगर इसलिए है, क्योंकि यह केमिकल एनर्जी को सीधे इलेक्ट्रिकल एनर्जी में परिवर्तित किया जाता है। हाइड्रोजन फ्यूल की सेल कारों से पारंपरिक ईंधन वाली कारों की तुलना में उत्‍सर्जन भी काफी कम और स्‍वच्‍छ स्‍तर का होता है। आम इलेक्ट्रिक कार में बैटरी चार्ज होने में कई घंटे लगते हैं। लेकिन हाइड्रोजन 5 से 7 मिनट में ही भर जाती है। यह काफी अच्छी रेंज भी देती है। एक फुल टैंक हाइड्रोजन फ्यूल से 650 किमी तक का सफर तय किया जा सकता है। इसे पूरी तरह से जीरो एमिशन कार कहा जा सकता है क्योंकि इससे इमिशन में सिर्फ पानी निकलता है। 

हाइड्रोजन कारों के लिए चुनौतियां?

हाइड्रोजन फ्यूल प्रदूषण मुक्त है। साथ ही यह एक बार टैंक फुल होने पर 600 किमी की दूरी तय कर सकता है लेकिन इसके साथ ही चुनौतियां कम नहीं है। हाइड्रोजन गैस अत्‍यंत ज्‍वलनशील है। ऐसे में जब फ्यूल टैंक में इसे पूरा भरा जाता है तो वाहन चलाने के दौरान हादसा होने का खतरा र‍हता है। टैंक ब्लास्ट होने पर यह आसपास के 10 मीटर के एरिया को अपने दायरे में लेकर भारी नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए इस फ्यूल टैंक काफी मजबूत बनाया जाता है। इससे भी इन वाहनों की कीमत बढ़ जाती है। हाइड्रोजन फ्यूल पेट्रोल और डीजल के मुकाबले महंगा भी है। 

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