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पंजाब में तय हुई बजरी की MRP, भगवंत मान मंत्रिमंडल ने रेत के दाम में भारी बढ़ोत्तरी को दी मंजूरी

बजरी की एमआरपी 20 रुपये प्रति घन फीट तय की गई है। उन्होंने कहा कि लोगों को नौ रुपये प्रति घन फुट की दर से बालू मिले इसके लिए खनन विभाग के अधिकारियों को खनन स्थलों पर तैनात किया जाएगा।

Written By: Indiatv Paisa Desk
Published : Aug 11, 2022 21:25 IST, Updated : Aug 11, 2022 21:25 IST
Bhagwant Mann- India TV Paisa
Photo:PTI Bhagwant Mann

पंजाब में घर बनाने के लिए बजरी अब एमआरपी रेट के तहत खरीदी जा सकती है। पंजाब मंत्रिमंडल ने बृहस्पतिवार को राज्य की खनन नीति में संशोधन कर रेत की दरों को नौ रुपये प्रति घन फीट करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी और बजरी की अधिकतम खुदरा कीमत 20 रुपये प्रति घन फुट तय की है। 

मंत्रिमंडल ने क्रशर इकाइयों के लिए एक नई नीति को भी मंजूरी दी और उत्पादन सामग्री पर एक रुपये प्रति घन फीट का पर्यावरण शुल्क लगाने का फैसला किया, जिससे राज्य के खजाने को 225 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए खनन मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने कहा कि मौजूदा नीति में संशोधन किया गया है और रेत की दर 5.50 रुपये प्रति घन फीट से संशोधित कर 9 रुपये प्रति घन फीट कर दी गई है। उन्होंने दावा किया कि लोगों को 5.50 रुपये प्रति घन फीट की दर से रेत नहीं मिली। पिछली कांग्रेस सरकार ने बालू का रेट नौ रुपये से घटाकर 5.50 रुपये प्रति घन फीट कर दिया था। 

बैंस ने कहा, ‘‘किसी को भी 5.50 रुपये प्रति घन फीट की दर से रेत कभी नहीं मिली। जब हमने फाइलों की जांच की, तो हमने पाया कि राज्य सरकार की रॉयल्टी 2.40 रुपये से घटाकर 70 पैसे कर दी गई है।’’ उन्होंने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार के फैसले से केवल खनन ठेकेदारों को फायदा हुआ है। 

बजरी की एमआरपी 20 रुपये प्रति घन फीट

बैंस ने कहा कि बजरी की एमआरपी 20 रुपये प्रति घन फीट तय की गई है। उन्होंने कहा कि लोगों को नौ रुपये प्रति घन फुट की दर से बालू मिले इसके लिए खनन विभाग के अधिकारियों को खनन स्थलों पर तैनात किया जाएगा। उन्होंने कहा कि परिवहन दरों से उपभोक्ताओं पर बड़ा बोझ पड़ता है, विभाग ट्रांसपोर्टरों और उपभोक्ताओं को जोड़ने वाला एक मोबाइल ऐप तैयार करेगा, जबकि दरें परिवहन विभाग द्वारा तय की जाएंगी। 

उन्होंने कहा कि राज्य में बालू खनन के लिए सर्वे कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे पता लगेगा कि किन क्षेत्रों में खनन किया जा सकता है। मंत्री ने कहा कि क्रशर के लिए एक नीति को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। 

आवंटन ई-नीलामी के जरिए

नई नीति के तहत अवैध खनन को रोकने के लिए क्रशर को पांच हेक्टेयर या पांच हेक्टेयर के गुणक का खनन स्थल आवंटित किया जाएगा। इन खनन स्थलों का आवंटन ई-नीलामी के जरिए किया जाएगा। ठेके तीन साल की अवधि के लिए आवंटित किए जाएंगे, जिसे चार साल तक बढ़ाया जा सकता है, बशर्ते साइट पर सामग्री उपलब्ध हो। 

सीसीटीवी कैमरों से होगी खनन की निगरानी 

क्रशर के उत्पादन सामग्री पर एक रुपये प्रति घन फीट की दर से पर्यावरण कोष लगाया गया है। उन्होंने कहा कि इससे 225 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा। अवैध खनन को रोकने के लिए खनन स्थल के साथ-साथ क्रशर स्थल पर सीसीटीवी कैमरों के साथ वेटब्रिज लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। 

ऑनलाइन पोर्टल से निगरानी

क्रशर पर सामग्री की बिक्री की निगरानी एक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से की जाएगी। एक क्रशर के लिए पंजीकरण शुल्क मौजूदा 10,000 रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दिया गया है। इसके अलावा क्रशर इकाइयों से 3 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक की सुरक्षा राशि भी ली जाएगी। 

क्रशर इकाइयां रिटर्न भी दाखिल करेंगी

क्रशर इकाइयां उनके द्वारा संसाधित सामग्री की मासिक रिटर्न भी दाखिल करेंगी। उन्होंने कहा कि क्रशर मालिक को वैध स्रोतों से प्राप्त सामग्री से अधिक उनके द्वारा संसाधित सामग्री पर जुर्माना देना होगा। नीति में किसी भी उल्लंघन के मामले में पंजीकरण के निलंबन और रद्द करने के प्रावधानों की भी परिकल्पना की गई है। 

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