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Red Sea Crisis : कई सेक्टर्स में दिख सकता है लाल सागर संकट का असर, जानिए इस रास्ते कितना व्यापार करते हैं हम

घरेलू कंपनियां यूरोप, उत्तरी अमेरिका, उत्तरी अफ्रीका और पश्चिम एशिया के साथ व्यापार करने के लिए स्वेज नहर के माध्यम से लाल सागर मार्ग का उपयोग करती हैं। पिछले वित्त वर्ष में देश से 18 लाख करोड़ रुपये का निर्यात (50 प्रतिशत) और 17 लाख करोड़ रुपये का आयात (30 प्रतिशत) इन क्षेत्रों से हुआ था।

Edited By: Pawan Jayaswal
Published : Jan 28, 2024 16:23 IST, Updated : Jan 28, 2024 16:28 IST
लाल सागर संकट- India TV Paisa
Photo:FILE लाल सागर संकट

लाल सागर जल मार्ग के आसपास चल रहे संकट (Red Sea Crisis) का प्रभाव विभिन्न उद्योगों के आधार पर अलग-अलग होगा। एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में देश के निर्यात का 50 प्रतिशत और आयात का 30 प्रतिशत इस मार्ग से हुआ है। क्रिसिल रेटिंग्स ने लाल सागर संकट के कारण देश में विभिन्न बिजनेस सेगमेंट पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की है। लाल सागर व्यापारिक मार्ग में संकट तब शुरू हुआ, जब यमन स्थित हुती विद्रोहियों (Houthi rebels) ने अक्टूबर, 2023 में शुरू हुए इजरायल-फलस्तीन युद्ध के कारण नवंबर में वहां से गुजरने वाले वाणिज्यिक माल ढुलाई जहाजों पर लगातार हमले किए।

काफी ज्यादा होता है इस रूट का इस्तेमाल

फिलहाल अमेरिकी और ब्रिटेन की सेना भी विद्रोहियों पर जवाबी हमले में लगी हुई है। घरेलू कंपनियां यूरोप, उत्तरी अमेरिका, उत्तरी अफ्रीका और पश्चिम एशिया के साथ व्यापार करने के लिए स्वेज नहर के माध्यम से लाल सागर मार्ग का उपयोग करती हैं। पिछले वित्त वर्ष में देश से 18 लाख करोड़ रुपये का निर्यात (50 प्रतिशत) और 17 लाख करोड़ रुपये का आयात (30 प्रतिशत) इन क्षेत्रों से हुआ था। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में देश का कुल माल व्यापार 94 लाख करोड़ रुपये था। इसमें मूल्य का 68 प्रतिशत और मात्रा का 95 प्रतिशत समुद्री मार्ग से हुआ था। देश 30 प्रतिशत डीएपी सऊदी अरब से, 60 प्रतिशत रॉक फॉस्फेट जॉर्डन एवं मिस्र से और 30 प्रतिशत फॉस्फोरिक एसिड जॉर्डन से आयात करता है।

एग्री प्रोडक्ट्स और सी फूड सेक्टर की कंपनियों पर दिखेगा ज्यादा असर

कृषि वस्तुओं और समुद्री खाद्य पदार्थों जैसे क्षेत्रों में काम करने वाली कंपनियों को अपने माल की खराब प्रकृति और/या कम मार्जिन के कारण महत्वपूर्ण प्रभाव देखने को मिल सकता है, जो बढ़ती माल ढुलाई लागत से जोखिमों की भरपाई करने की उनकी क्षमता को सीमित करता है। नवंबर, 2023 से शंघाई उत्तरी यूरोप कंटेनर माल ढुलाई दरें 300 फीसदी से अधिक बढ़कर 6,000-7,000 अमेरिकी डॉलर/टीईयू हो गई हैं। दूसरी ओर, कपड़ा, रसायन और पूंजीगत सामान जैसे क्षेत्रों में काम करने वाली कंपनियों पर तुरंत प्रभाव नहीं पड़ सकता है, क्योंकि उनके पास उच्च लागत को वहन करने की बेहतर क्षमता है, या कमजोर व्यापार चक्र भी इसका एक कारण है। लेकिन लंबे समय तक चलने वाला संकट इन क्षेत्रों को भी कमजोर बना सकता है, क्योंकि ऑर्डर घटने से उनकी कार्यशील पूंजी का चक्र प्रभावित होगा।

शिपिंग कंपनियों को फायदा

हालांकि, शिपिंग जैसे कुछ क्षेत्रों को बढ़ती माल ढुलाई दरों से लाभ हो सकता है। फार्मा, धातु और उर्वरक क्षेत्र की कंपनियों पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा। नवंबर, 2023 से लाल सागर क्षेत्र मार्ग से जाने वाले जहाजों पर बढ़ते हमलों ने जहाजों को ‘केप ऑफ गुड होप’ के वैकल्पिक लंबे मार्ग पर विचार करने के लिए प्रेरित किया है। इससे न केवल माल की आपूर्ति का समय 15-20 दिन तक बढ़ गया है, बल्कि माल ढुलाई दरों और बीमा प्रीमियम में वृद्धि के कारण पारगमन लागत में भी काफी वृद्धि हुई है।

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