कोरोना के समय से सरकार गरीबों को खाने पीने की चिंता से दूरे रखने के लिए मुफ्त राशन योजना चला रही है। इसी सप्ताह केंद्रीय केबिनेट ने इस योजना को 3 और महीने चलाने के लिए मंजूरी दे दी है। यानि इस साल के अंत तक गरीबों को फ्री में राशन मिलता रहेगा।
कोरोना काल में शुरु की गई इस परोपकारी स्कीम को लेकर बीते कई दिनों से संशय का माहौल था। इस साल रबी की पैदावार में गिरावट आई और फिर खरीफ के रकबे में बड़ी कमी और सरकार द्वारा गेहूं और चावल के निर्यात पर पाबंदी लगने से जानकार मान रहे थे कि सरकार इस योजना पर विराम लगा सकती है। लेकिन अब सरकार ने बताया है कि उसके पास इस योजना के लिए पर्याप्त अनाज भंडार मौजूद है।
सरकारी गोदामों में कितना अनाज?
सरकार ने शुक्रवार को कहा कि खाद्य सुरक्षा, मुफ्त राशन योजना पीएमजीकेएवाई और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत खाद्यान्न जरूरतों को पूरा करने के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों में 4.4 करोड़ टन का पर्याप्त खाद्यान्न मौजूद है। खाद्य मंत्रालय ने कहा कि एक अप्रैल 2023 तक सभी आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद लगभग 1.13 करोड़ टन गेहूं और 2.36 करोड़ टन चावल उपलब्ध होगा।
फ्री राशन पर 44,762 करोड़ रुपये का खर्च
इस सप्ताह की शुरुआत में मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) को तीन महीने के लिए बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इस पर 44,762 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘एफसीआई के पास राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए), अन्य योजनाओं और पीएमजीकेएवाई की अतिरिक्त आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए खाद्यान्न का पर्याप्त भंडार है।’’ मंत्रालय के अनुसार, एफसीआई के पास अब तक केंद्रीय पूल में लगभग 2.32 करोड़ टन गेहूं और 2.09 करोड़ टन चावल है।



































