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सिलिकॉन वैली बैंक क्यों हुआ दिवालिया, लेहमन ब्रदर्स की याद ताजा, क्या फिर 2008 वाले दिन देखेगी दुनिया, सभी सवालों के जवाब यहां जानें

सिलिकॉन वैली बैंक, अमेरिका का 16वां सबसे बड़ा बैंक है। बैंक की कैलिफोर्निया और मैसाचुसेट्स में 17 शाखाएं हैं। इसके पास करीब 210 अरब डॉलर की संपत्ति है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Mar 12, 2023 11:16 IST, Updated : Mar 12, 2023 11:16 IST
सिलिकॉन वैली बैंक क्यों हुआ दिवालिया- India TV Paisa
Photo:FILE सिलिकॉन वैली बैंक क्यों हुआ दिवालिया

सिलिकॉन वैली बैंक (SVB) के दिवालिया होने के साथ दुनियाभर के बाजार में हड़कंप मच गया है। एक बार फिर से लेहमन ब्रदर्स के डूबने और 2008 की वैश्विक मंदी की याद ताजा हो गई है। ऐसे में क्या एसवीवी के डुूबने के बाद फिर 2008 के संकट जैसे हालात बन गए हैं। आपके मन में कई सवाल इसके इर्द-गिर्द घूम रहे होंगे कि आखिर बैंक क्यों दिवालिया हुआ? कौन सबसे अधिक प्रभावित होगा? क्या इस घटना से अमेरिका सहित पूरी दुनिया की बैंकिंग प्रणाली प्रभावित होगी। आइए, आपके सभी सवालों के जवाब हम देते हैं। 

इसलिए सिलिकॉन वैली बैंक डूबा 

आपको बता दें कि सिलिकॉन वैली बैंक पिछले एक साल में प्रौद्योगिकी शेयरों में गिरावट के साथ ही महंगाई से निपटने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि करने की फेडरल रिजर्व की आक्रामक योजना से बुरी तरह प्रभावित हुआ था। बैंक ने पिछले कुछ वर्षों में अरबों डॉलर मूल्य के बॉन्ड खरीदे थे और इसके लिए ग्राहकों की जमा राशि का उपयोग किया। सामान्य रूप से बैंक ऐसा ही करते हैं। ये निवेश आम तौर पर सुरक्षित होते हैं, लेकिन ब्याज दर बढ़ने के कारण इन निवेशों का मूल्य गिर गया। क्योंकि आज के अधिक ब्याज की तुलना में उन पर कम ब्याज मिल रहा था। आम तौर पर यह कोई समस्या नहीं है, क्योंकि बैंक लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं। लेकिन हालात तब बदल सकते हैं, जब उन्हें किसी आपात स्थिति में बेचना पड़े। एसवीबी के ग्राहक बड़े पैमाने पर स्टार्टअप और अन्य तकनीक-केंद्रित कंपनियां थीं, जो पिछले एक साल में नकदी के लिए जूझ रही थीं। उद्यम पूंजी वित्त पोषण सूख रहा था। कंपनियां बिना मुनाफा वाले कारोबार के लिए अतिरिक्त फंड पाने में सक्षम नहीं थीं। इसलिए उन्हें अपने मौजूदा फंड का इस्तेमाल करना पड़ा, जो उन्होंने आमतौर पर सिलिकॉन वैली बैंक में जमा किया था। इसलिए सिलिकॉन वैली के ग्राहकों ने अपनी जमा राशि निकालनी शुरू कर दी। शुरू में यह कोई बड़ी समस्या नहीं थी, लेकिन बाद में निकासी के लिए बैंक को ग्राहकों के अनुरोध बढ़ने लगे। ऐसे में बैंक इन अनुरोधों को पूरा करने के लिए अपनी संपत्ति बेचने के लिए मजबूर हो गया। नुकसान में बॉन्ड बेचने से सिलिकॉन वैली बैंक प्रभावी रूप से दिवालिया हो गया।

इस तरह झटके में बैंक के डूबे 80 अरब डॉलर

बैंक ने बाहरी निवेशकों के माध्यम से अतिरिक्त पूंजी जुटाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। सिलिकॉन वैली बैंक (SVB), अमेरिका का 16वां सबसे बड़ा बैंक है। बैंक की कैलिफोर्निया और मैसाचुसेट्स में 17 शाखाएं हैं। इसके पास करीब 210 अरब डॉलर की संपत्ति है। बैंक ने पूंजी की जरूरत को पूरा करने के लिए बीते बुधवार को 2.25 अरब डॉलर के शेयर बेचने का फैसला किया था। इससे बैंक के शेयर में बिकवाली शुरू हो गई और बैंक के शेयर 60.41 फीसदी झटके में टूट गए। इससे एक झटके में बैंक का 80 अरब डॉलर से ज्यादा मार्केट कैप स्वाहा हो गया। इससे बेंचमार्क The benchmark KBW Bank Index में 8.1% गिरावट आई। यह जून 2020 के बाद इस इंडेक्स में एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट है। इससे बैंक दिवालिया हो गया। बैंक के दिवालिया होने पर बैंक नियामकों के पास सिलिकॉन वैली बैंक की संपत्ति को जब्त करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था, ताकि बैंक में शेष संपत्ति और जमा की रक्षा की जा सके। 

क्या 2008 वाले दिन देखेगी दुनिया?

क्या यह एक संकेत है कि हम 2008 जैसे संकट का दोबारा सामना कर सकते हैं फिलहाल, नहीं, और विशेषज्ञ मानते हैं कि व्यापक बैंकिंग क्षेत्र में इसके फैलने की आशंका फिलहाल नहीं है। सिलिकॉन वैली बैंक बड़ा था, लेकिन विशेष रूप से प्रौद्योगिकी की दुनिया और वीसी समर्थित कंपनियों तक सीमित था। इसकी भागीदारी अर्थव्यवस्था के उस विशेष हिस्से से साथ बहुत थी, जो पिछले एक साल में बुरी तरह प्रभावित हुआ था। अन्य बैंकों का आधार कई उद्योगों, ग्राहक आधारों और भौगोलिक क्षेत्रों में कहीं अधिक व्यापक हैं। फेडरल रिजर्व का मानना है कि बड़े बैंक एक बड़ी मंदी और व्यापक बेरोजगारी की स्थिति में भी बचे रहेंगे। 

एक दशक के बाद किसी बड़े वित्तीय संस्थान का पतन 

करीब एक दशक पहले वाशिंगटन म्यूचुअल के ढहने के बाद ये किसी सबसे बड़े वित्तीय संस्थान का पतन है। इससे समझा जा सकता है कि यह कितनी बड़ी विफलता है। बैंक में खाता रखने वाले कुछ स्टार्टअप को अपने कर्मचारियों को भुगतान करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें डर है कि अगल वे अपने धन का इस्तेमाल नहीं कर सके, तो उन्हें अपनी परियोजनाओं को रोकना पड़ सकता है। 

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