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किसी कंपनी का शेयर खरीदने से पहले इस तरह चेक करें कि वह सस्ता है या महंगा, हमेशा फायदे में रहेंगे

आमतौर पर नए-नए निवेशकों को 500 रुपये के मुकाबले 50 रुपये वाले स्टॉक ज्यादा आकर्षक लगते हैं, सस्ते लगते हैं। ये उन निवेशकों की बड़ी भूल हो सकती है।

ANISH KUMAR SINGH Written By: ANISH KUMAR SINGH
Updated on: November 20, 2022 21:59 IST
शेयर - India TV Paisa
Photo:FILE शेयर

नई दिल्ली, अनीश कुमार सिंह।  म्यूचुअल फंड से अपनी इन्वेस्टमेंट की यात्रा शुरू करने के बाद एक समय ऐसा आता है कि आप शेयरों को भी इन्वेस्टमेंट के लिहाज से खरीदकर लॉन्ग टर्म के लिए रखना चाहते हैं। ऐसे में बहुत से लोग पेनी स्टॉक में फंस जाते हैं। पेनी स्टॉक वैसे स्टॉक होते हैं जिनकी कीमत 50 रुपये प्रति शेयर से कम होती है। नए-नए इन्वेस्टर्स इन पेनी स्टॉक को सस्ता समझकर खरीद लेते हैं। चूंकि इस तरह के स्टॉक में Volatility यानी अस्थिरता ज्यादा होती है और इनमें से कई फंडामेंटली स्ट्रॉन्ग भी नहीं होते, इसलिए नए-नए निवेशक इन पेनी स्टॉक्स में उलझकर अपना बड़ा नुकसान कर लेते हैं। ऐसे नुकसान से बचने के लिए क्या करें, आइए जानते हैं।

शेयर लेने में सब्जी खरीदने जैसा दिमाग लगाएं

आमतौर पर नए-नए निवेशकों को 500 रुपये के मुकाबले 50 रुपये वाले स्टॉक ज्यादा आकर्षक लगते हैं, सस्ते लगते हैं। ये उन निवेशकों की बड़ी भूल हो सकती है। इसे आप एक उदाहरण से समझ सकते हैं। आप सब्जी मार्केट जाते हैं। वहां आपको आलू 50 रुपये किलो मिल रहा होता है, और परवल 60 रुपये किलो। आप किसे सस्ता समझेंगे। जो लोग सब्जी मार्केट नहीं जाते हैं उन्हें आलू और परवल में यहां आलू सस्ता लगेगा, लेकिन हकीकत में यहां आलू के मुकाबले परवल सस्ता है। अमूमन आलू का भाव खुदरा मार्केट में 30 रुपये प्रति किलो के ईर्द-गिर्द रहता है बशर्ते कि उसकी सप्लाई में कोई बड़ी कमी न हो, या फिर किसी अप्रत्याशित कारण से अचानक उसकी डिमांड न बढ़ गई हो। जबकि परवल अपने सीजन में 15 से 20 रुपये पाव के हिसाब से दिल्ली-एनसीआर में आसानी से मिल जाता है। यानी परवल की यहां Intrinsic Value(जिसे हम आम बोल-चाल की भाषा में मोलाई भाव भी कह सकते हैं)उसके करेंट प्राइस के बराबर या पास में है। यानि आमतौर पर कोई भी ग्राहक दुकानदार से दाम कम करने के लिए नहीं कहेगा। इसका मतलब ये है कि उस ग्राहक को पता है कि परवल सही दाम पर बिक रहा है। और वो अपने हिसाब से परवल ले लेता है। लेकिन 50 रुपये प्रति किलो आलू बेचने वाले के पास ग्राहक जाकर उससे दाम कम करने के लिए जरूर कहेगा। यानी उस ग्राहक को आलू का Intrinsic Value पता है। जो अभी काफी ज्यादा है। इस उदाहरण से आप समझ गए होंगे कि परवल यहां आलू के मुकाबले सस्ता है। अगर आप ये बात जान गए तो आप अच्छे शेयर का चुनाव भी कुछ यही फॉर्मूला लगाकर कर सकते हैं। 

Intrinsic Value बताएगा शेयर सस्ता है या महंगा

आसान शब्दों में कहें तो जिस तरह आप सब्जी खरीदने में आम तौर पर मोलाई करते हैं। यानी सब्जी के दाम को कम करने के लिए दुकानदार को कहते हैं, ठीक उसी तरह का काम इन्वेस्टमेंट की भाषा में Intrinsic Value का है। शेयर सस्ता है या महंगा बहुत हद तक इससे पता चल जाता है। अगर शेयर की करेंट प्राइस Intrinsic Value से अधिक है तो शेयर महंगा है, और अगर कम है तो शेयर लेने लायक है (ऊपर के उदाहरण से आपको ये बात समझ आ गई होगी) आपको Intrinsic Value निकालने की जरूरत भी नहीं। इसे आप गूगल में सर्च कर देख सकते हैं या फिर टिकर टेप जैसी साइट पर जाकर इसे देख सकते हैं। चलिए सस्ते शेयर का पता लगाने के लिए  Intrinsic Value को समझने का  पहला स्टेज तो आप पार कर गए, अब बारी आती है दूसरे स्टेज की।

PE Ratio जानकर सस्ते शेयर को चुने

इसे Price Upon Earning Ratio कहते हैं। साधारण भाषा में कहें तो किसी शेयर से 1 रुपये कमाने के लिए कितने रुपये आपको लगाने पड़ेंगे, ये PE Ratio से पता लगता है। किसी शेयर का PE जितना कम हो उतना सही माना जाता है। एक उदाहरण से समझते हैं, मान लीजिए आपकी लिस्ट में एक ही क्षेत्र की दो बड़ी कंपनियां हैं। दोनों कंपनियां अच्छा रिटर्न जेनरेट कर रही हैं। एक कंपनी का PE ज्यादा और दूसरी का कम है, तो पहली नज़र में जिस कंपनी का PE कम है उसपर आपको फोकस करना चाहिए। आम तौर पर 20 या इससे कम की PE अच्छी मानी जाती है। लेकिन कुछ इमर्जिंग शेयरों के लिए ये Ratio बहुत ज्यादा भी हो सकता है। वैसे तीन और जरूरी Ratio होते हैं जिनका इस्तेमाल हम अच्छे शेयर के चुनाव में करते हैं। PB ratio, Current ratio और Debt to Equity ratio..जिन्हें हम बाद में जानेंगे।

जो शेयर अच्छा है, जरूरी नहीं अभी सस्ता है

इसका एक बेहतरीन उदाहरण आपको देता हूं। मेरे एक मित्र को D-Mart का शेयर बहुत अच्छा लगा(इस शेयर का जिक्र महज उदाहरण के तौर पर किया गया है, इसे किसी तरह का Recommendation न समझें) आमतौर पर हम सुनते हैं कि उसी स्टॉक में निवेश करो जिसके बारे में आप जानते हैं, जिसका प्रोडक्ट आप इस्तेमाल करते हैं। ये ठीक भी है। FMCG सेक्टर में HUL और ITC के प्रोडक्ट्स किसके घर में प्रयोग नहीं किए जाते। लेकिन अगर इसके प्रोडक्ट्स बाजार भाव से सस्ते में मिले तो क्या कहना। मेरे एक मित्र मेरे पास आए और बोले, भाई D-Mart में सामान सस्ते मिलते हैं। लोगों की काफी भीड़ रहती है। सामान हाथों-हाथ बिक जाते हैं। ये कंपनी शानदार प्रॉफिट बनाती होगी। तो क्यों न इसके शेयर लिए जाएं, तो सुझाव ये है कि अभी इस शेयर को इन्वेस्टमेंट के लिहाज से नहीं लिया जा सकता। इसके दो कारण हैं। पहला कारण इसका करेंट प्राइस इसकी Intrinsic Value से ज्यादा है। यानी खरीदने के लिए जो इसका भाव होना चाहिए ये उससे काफी महंगे रेट पर मौजूद है(ख़बर लिखे जाने के दिन तक) और दूसरी बात ये कि इसका PE Ratio भी सेक्टर के PE की तुलना में ज्यादा है। फिलहाल इसका PE:187 है। यानी इस शेयर से एक रुपये कमाने के लिए आपको 187 रुपये लगाने होंगे। हां, आप एक काम कर सकते हैं, इस शेयर को हर डेढ़ या 2 फीसदी की गिरावट पर खरीदते जाएं। या फिर किसी बड़े डीप करेक्शन का इंतज़ार करें। जिसमें आपका मनपसंद स्टॉक अपने Intrinsic Value के आस-पास आ जाए, या फिर उसका PE ratio उसके सेक्टर के ratio के आस-पास आ जाए। इस तरह आप कुछ जरूरी चीजों को समझकर अच्छे शेयर का चुनाव कर सकते हैं। और अपने पोर्टफोलियो को अलग-अलग सेक्टर के बेहतरीन स्टॉक्स से हमेशा हरियाली में रख सकते हैं, साथ ही भविष्य में बढ़िया पैसे जनरेट कर पाएंगे। 

(लेखक इंडिया टीवी में सीनियर एडिटर के पद पर कार्यरत हैं।)

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