नई दिल्ली। भारत में करोड़ों लोगों की बैंक डिटेल्स Juspay के जरिये एक डार्क वेब पर लीक हो गई है। ऐसे में बैंक ट्रांजैक्शन के वक्त विशेष ध्यान रखने और कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत है। हाल ही में एक ऐसी रिपोर्ट सामने आई है, जो क्रेडिट और डेबिट कार्ड यूजर्स को थोड़ा चिंतित कर सकती है। एक जानकारी के अनुसार लगभग 10 करोड़ डेबिट और क्रेडिट कार्ड यूजर्स का डेटा लीक हो गया है और इसकी वजह से आपके अकाउंट पर खतर मंडरा रहा है।
पेमेंट गेटवे से हुआ डेटा लीक
शुरुआती जानकारी के अनुसार, इन कार्ड यूजर्स का डेटा एक पेमेंट गेटवे से लीक हुआ है, जिसका नाम Juspay है। Juspay ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन, ऑनलाइन फूड बुकिंग प्लेटफॉर्म स्विगी और मेक माय ट्रिप के बुकिंग पेमेंट को प्रोसेस करता है। बताया जा रहा है कि कार्ड धारकों की पर्सनल जानकारी को डार्क वेब पर बेचा जा रहा है। जिन लोगों की जानकारी लीक हुई है, उसमें बैंक अकाउंट होल्डर्स का नाम, उनका फोन नंबर, मेल आईडी के साथ क्रेडिट या डेबिट कार्ड के शुरुआत और अंत के चार नंबर शामिल हैं।
5 महीने पहले लीक हुआ डेटा
कहा जा रहा है कि इन सभी 10 करोड़ लोगों का डेटा आज से लगभग 5 महीने पहले अगस्त 2020 में लीक हुआ था। यह भी जानकारी सामने आई है कि जो डेटा डार्क वेब में गया है, उसमें यूजर्स की मार्च 2017 से लेकर अगस्त 2020 तक की जानकारी शामिल है।
धोखाधड़ी से बचने के टिप्स
- विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी धोखाधड़ी से बचने के लिए ऐसे एटीएम से दूर रहें, जो गंदे या खराब हालत में दिखें। हो सकता है कि यह काम न कर रहे हों या उससे भी ज्यादा खतरनाक स्थिति यह हो सकती है कि ये एटीएम असली न होकर डुप्लीकेट हो सकते हैं। यहां आपकी जानकारी चोरी की जा सकती है।
- अगर एटीएम आपसे अलग तरीके के कमांड फॉलो करने के लिए कहे तो अलर्ट हो जाएं, जैसे ट्रांजैक्शन पूरा करने के लिए पिन दो बार एंटर करने को कहे। यह भी देखें कि मशीन दिखने में कहीं अलग तो नहीं दिख रही, जैसे टूटी-फूटी या खराब। संभव है कि एटीएम से कोई छेड़छाड़ की गई हो।
- एटीएम में आसपास कोई हाइड कैमरा लगा हो सकता है। इसलिए बचने के लिए अपना पिन एंटर करते वक्त कीपैड को छिपाएं।
- किसी भी शॉपिंग साइट का इस्तेमाल करने से पहले सुनिश्चित कर लें कि कहीं वह साइट फर्जी तो नहीं। सुरक्षित साइट्स पर आपके ब्राउजर के यूआरएल बॉक्स में लॉक का सिंबल होता है। वेबसाइट के लिंक में एचटीटीपीएस प्रोटोकॉल है या नहीं, इसकी भी जांच कर लें। एस का मतलब यहां सिक्योरिटी से होता है। शॉपिंग करते वक्त किसी भी साइट पर अपने कार्ड की डीटेल्स बिल्कुल सेव ना करें।
ओटीपी और सीवीवी नंबर देतें वक्त रखें सावधानियां
- जब आप वेबसाइट पर अपना सीवीवी एंटर करें तो देखें कि ऐस्टरिस्क से यह छिपा हो। किसी फॉरन वेबसाइट पर सीवीवी ही ऑथेंटिकेशन का तरीका होता है, इसलिए इसका खास ध्यान रखें।
- असुरक्षित या पब्लिक वाई-फाई का इस्तेमाल करने से बचें, क्योंकि यह ऑनलाइन चोरी का आसान निशाना होता है।
- अपना पासवर्ड समय-समय पर बदलते रहें। यह काफी हद तक आपको साइबर फ्रॉड होने से बचा सकता है।
- आप को चाहिए कि इंटरनेट बैंकिंग या ऑनलाइन बैंकिंग के लिए एक ऐसा खाता रखें, जिसमें महज कुछ हजार रुपये हों। ताकि अगर ऐसी घटना हो तो आप बड़ा नुकसान होने से बच सकेंगे। हमेशा अपने मेन बैंक अकाउंट को कहीं भी लिंक करने से बचें।
पेमेंट करते वक्त आपको यह करना जरूरी
जब भी किसी ऑनलाइन साइट से क्रेडिट-डेबिट कार्ड के जरिये पेमेंट करें तो वहां कार्ड सेव ना करें। इसके अलावा आपने यदि पहले से अपना कार्ड सेव रखा है तो उसे तुरंत डिलीट करें। यदि आपके अकाउंट से पैसे गायब हो रहे हैं तो इस संबंध में तीन दिनों के अंदर बैंक में शिकायत करें और साइबर थाने में एफआईआर भी करें।
क्या करें और क्या नहीं
अगर आप अपने डेबिट-क्रेडिट कार्ड डेटा को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो सबसे पहले ऑनलाइन साइट से अपने कार्ड और अकाउंट की डीटेल अगर सेव है, तो इसे डिलीट कर दें। अपने डेबिट-क्रेडिट कार्ड का पिन समय-समय पर बदलते रहें। अगर आपके अकाउंट से बिना आपकी जानकारी के निकासी हुई हो तो साइबर पुलिस के पास इसकी शिकायत जरूर करें।