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ओमिक्रॉन के चलते शेयर बाजार में अनिश्चितता! पैसा लगाने से पहले इन 5 संकेतों पर जरूर करें गौर

FII की रिकॉर्ड बिकवाली जारी है। नवंबर में मार्च 2020 के बाद दूसरी सबसे बड़ी बिकवाली देखने को मिली है।

Sachin Chaturvedi Edited by: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: December 09, 2021 16:07 IST
ओमिक्रॉन के चलते शेयर...- India TV Paisa
Photo:PTI

ओमिक्रॉन के चलते शेयर बाजार में अनिश्चितता! पैसा लगाने से पहले इन 5 संकेतों पर जरूर करें गौर

Highlights

  • मार्च 2020 के बाद का मंजर देख चुकी आर्थिक दुनिया इस नए संकट से सहमी है
  • आम लोगों का यही डर दुनिया भर के शेयर बाजारों में भी दिखाई दे रहा है
  • नवंबर 2021 में मार्च 2020 के बाद दूसरी सबसे बड़ी FII बिकवाली

कोरोना वायरस अब ओमिक्रॉन वेरिएंट के साथ नए अवतार में आ चुका है। दुनिया के 50 से अधिक देश इस नए वेरिएंट की चपेट में हैं। कई देश अपने यहां ट्रैवल ब्लॉक लगा चुके हैं वहीं यूरोप के देशों में लॉकडाउन भी एक बार फिर से शुरू हो गया है। आर्थिक दुनिया भी इस नए संकट से सहमी हुई है। निवेशकों की आंखों के सामने मार्च 2020 के बाद का मंजर घूम रहा है। 

आम लोगों का यही डर दुनिया भर के शेयर बाजारों में भी दिखाई दे रहा है। नवंबर में ओमिक्रॉन का खतरा उजागर होने के बाद से वैश्विक शेयर बाजारों में नरमी का माहौल है। भारतीय शेयर बाजार भी इससे अछूते नहीं है। एफआईआई की रिकॉर्ड बिकवाली जारी है। नवंबर में मार्च 2020 के बाद दूसरी सबसे बड़ी बिकवाली देखने को मिली है। यही कारण है ​कि अक्टूबर तक जहां बाजार रोज नए रिकॉर्ड बना रहा था वहीं अब निफ्टी के वापस 17000 पहुंचने की अटकलें लग रही हैं। निफ्टी नवंबर में 4 फीसदी या 688 अंक कमजोर हुआ है। 

बाजार इस समय बेहद वॉलेटाइल है। बुधवार को पॉलिसी की घोषणा के दिन ही बाजार करीब 1100 अंक चढ़ गया। लेकिन अगले ही दिन इसमें फिर उठापटक शुरू हो गई। ऐसे मुश्किल वक्त में यदि आप भी शेयर बाजार में पैसा लगाने की सोच रहे हैं तो आपको बाजार के 5 अहम संकेतों पर भी गौर करना होगा। 

ओमिक्रॉन ने बढ़ाई अनिश्चितता

भारत में बीते कुछ महीनों से कोरोना के केस काफी काबू में दिख रहे हैं। त्योहारी सीजन के बावजूद एक्टिव केस में कमी आ रही है। वहीं वैक्सीनेशन के मोर्चे पर भी सरकार सही दिशा में बढ़ रही है। यही कारण है ​कि नवंबर की शुरुआत तक चीजें काफी समान्य रही। लेकिन नए वेरिएंट ओमिक्रॉन ने बाजार में अनिश्चितता की स्थिति पैदा की है. ओमिक्रॉन से जुड़ी हर अच्छी और बुरी जानकारी पर मार्केट तेजी से रिएक्ट कर रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि ओमिक्रॉन की गंभीरता को लेकर अगले कुछ दिनों में स्पष्टता आ आएगी। तब तक निवेशकों को संभल कर निवेश करना चाहिए। इस समय में भी फार्मा, IT और कंज्यूमर सेक्टर के शेयर आपको फायदा दे सकते हैं। 

यूरोपीय और अमेरिकन फैक्टर

भारत में अभी भी ओमिक्रॉन के मामले कम हैं लेकिन यूरोपीय देश जो अगस्त सितंबर में भी कोरोना के बढ़ते इन्फेक्शन का सामना कर रहे थे, वहां इसे लेकर ज्यादा सतर्कता बरती जा रही है। इसका असर शेयर बाजारों पर भी पड़ रहा हैै। दूसरी ओर यूएस फेड द्वारा टैम्परिंग अनाउंसमेंट, बॉन्ड यील्ड में तेजी, क्रूड की ज्यादा कीमतें और यूएस डॉलर का मजबूत होना बाजार में गिरावट के प्रमुख कारण रहे। बाजार टूटने का कारण क्रिसमस से पहले एफआईआई की भारी बिकवाली रही है। ऐसे में वैश्विक उथल पुथल को थमने का इंतजार करना भी ठीक रणनीति होगी। 

FIIs ने की 40 हजार करोड़ की बिकवाली

नवंबर में बाजार टूटने का एक प्रमुख कारण FIIs की जबर्दस्त बिकवाली है। नवंबर के महीने में FIIs ने 40 हजार करोड़ की बिकवाली की। यह मार्च 2020 के बद से सबसे ज्यादा अमाउंट है। तब उन्होंने कोरोना वायरस के चलते बाजार से 57 हजार करोड़ रुपये निकाले थे। दूसरी ओर राहत की बात यह रही है कि प्राइमरी मार्केट में FIIs ने 27 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा निवेश किया। निवेश करने के लिए आपको FII के रूख में नरमी आने तक का इंतजार करना होगा। 

GDP ग्रोथ के आंकड़े 

सरकार द्वारा हाल ही में घोषित GDP ग्रोथ के आंकड़े बेहतर भविष्य का भरोसा देते हैं। सितंबर तिमाही में GDP ग्रोथ सालाना आधार पर 8.4% फीसदी रही जो कोविड पूर्व के लेवल पर पहुंच गई है। GST कलेक्शन नवंबर में 1.31 लाख करोड़ रुपये रहा है। यह जुलाई 2017 में लागू होने के बाद से दूसरा बड़ा अमाउंट है।

बढ़ती महंगाई 

आरबीआई ने बुधवार को ही अपनी पॉलिसी की घोषणा की है। रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। वहीं जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को भी बरकरार रखा है। यही कारण है कि पॉलिसी की घोषणा के दिन ही बाजार करीब 1100 अंक चढ़ गया। लेकिन अगले ही दिन इसमें फिर उठापटक शुरू हो गई। वहीं आरबीआई ने कोर इन्फलेशन बढ़ने पर चिंता जताई है। इसका असर भी शेयर बाजार में दिखाई दे सकता है।

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